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उत्तरप्रदेश में एक युवक ने की खुदकुशी, नोट में शहर की एसपी को बताया जिम्मेदार

उत्तर प्रदेश की पुलिस यूं तो आम दिनों में भी अपने कारनामों से सुर्खियां बटोरने में लगी रहती है। मगर ये सुर्खियां खबरों में तब अधिक तब्दील हो जाती है जब बात किसी की जान पर आकर अटक जाती है। अभी हाल ही में यूपी में एक नौजवान ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दे दी। इसके बाद यह खबर सनसनी में तब तब्दील हो गई जब उक्त मृतक विशाल सैनी द्वारा लिखा हुआ सुसाइड नोट बरामद किया जाता है।

मृतक विशाल सैनी ने अपनी आत्महत्या का जिम्मेदार एक आईपीएस ऑफिसर को ठहराया है। उसने साफ तौर पर अपने सुसाइड नोट में यह लिखा है कि आईपीएस प्राची सिंह के एक गलत फैसले ने उसकी पूरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी। वह अपनों से नज़र तक नहीं मिला पा रहा है। इस वजह से उसने आत्महत्या की।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, प्राची सिंह ने यूपी के एक स्पा सेंटर में कुछ दिनों पूर्व छापेमारी की थी। जहां से 4 लड़कियां भी पकड़ी गई थीं और इसी छापेमारी की ज़द में पकड़ा गया विशाल जो उसी स्पा सेंटर के बाहर चाउमीन खा रहा था। विशाल यह कभी नहीं समझ सका कि आईपीएस ऑफिसर ने अपनी वर्दी में चार चांद लगाने के खातिर उसकी जिंदगी क्यों खराब कर दी?

कुछ दिनों तक जेल में रहने के बाद विशाल को जमानत मिल गई थी लेकिन बिना गुनाह के लगे इस कलंक से वह उबर नहीं सका और इस सदमे में उसने अपनी जान दे दी। यह खत मिलते साथ ही कई तरह के सवालात परिजनों के मन में घर कर गए, और उन्होंने पुलिस से प्राची सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कारवाई की मांग की। यह घटना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। जनाब! यह यूपी पुलिस है, यानी कि आप खतरे के घेरे में हैं।

अबतक कोई कारवाई नहीं, उल्टा परिजनों को मिल रही है धमकी

परिजनों ने पुलिस ऑफिस के बहुत चक्कर लगाए लेकिन आत्महत्या में जिम्मेदार पाई गई प्राची सिंह की जांच करने की बजाय पुलिस ने परिवार को ही डराना-धमकाना शुरू कर दिया। विशाल की बहन कहती है कि, “अगर सच में मेरा भाई गलत था तो पुलिस के पास कोई तो सबूत ज़रूर होगा? कोई तस्वीर, कोई वीडियो जिसे उक्त छापेमारी के वक्त लिया गया होगा, तो हमें दिखाए। बावजूद इसके पुलिस कोई भी सबूत दिखाने को तैयार नहीं है और हमें ही धमका रही है।”

वह आगे कहती है कि “पुलिस का व्यवहार काफी डरावना है। इन्होंने बिना किसी जांच के आईपीएस के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोपों में उसे क्लीन चिट दे दी। अब पुलिस हमारा मुंह बंद करवाने के लिए हमें तरह तरह से धमका रही है। पुलिस स्टेशन में चोरों जैसा व्यवहार करती है और हमारे घर के बाहर सिविल ड्रेस में हमारे ऊपर नज़र रखती है। हमेशा ऐसा लगता है कोई हमारे घर के आसपास हमपर नज़र रखे हुए है। हम हर पल डर के साये में रह रहे हैं।”

यानी कि कुल मिलाकर यूपी पुलिस मामले की गंभीरता समझने की बजाय मामले को दबाने के लिए हर प्रयास कर रही है। इन सबके बीच जो सबसे घातक बात है वह ये कि एक पुलिस की गलती और गलत कानूनी कारवाई के कारण विशाल आत्महत्या करता है। आज शायद हम एक विशाल की कहानी पढ़ रहे हैं। परन्तु इसी गलत कानूनी कारवाई के कारण कई विशाल ऐसी मौतें मरते होंगे जिनकी सूद लेने वाला आज कोई नहीं है। अब वाकई हमें इसपर सोचने और सुधार करने की ज़रूरत है।

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