राहुल गांधी ने बीते दिनों इंदिरा गांधी सरकार में लगे आपातकाल को लेकर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में वो इस तरह का फैसलों के समर्थन नहीं करते। राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि उनकी दादी ने जो आपातकाल लगाया था वो गलत था।
कांग्रेस ने कभी देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की
भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के साथ एक बातचीत में उन्होंने कहा, कि “उस दौरान जो भी हुआ वह गलत था, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य से बिल्कुल अलग था, क्योंकि कांग्रेस ने कभी भी देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने की कोशिश नहीं की। कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी, देश को उसका संविधान दिया और समानता के लिए खड़ी हुई।”
आपातकाल पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वो एक गलती थी। बिल्कुल, वो एक गलती थी और मेरी दादी (इंदिरा गांधी) ने भी ऐसा कहा था।” पार्टी का सबसे बड़ा नेता होने के नाते अपनी दादी और अपनी पार्टी की पूर्व प्रधानमंत्री के सबसे बड़े निर्णय की खुली आलोचना राहुल को बड़ा बनाती है।
आंख में आंख डालकर झूठ बोलने वाला नेता इस देश का प्रधानमंत्री बनने योग्य नहीं है
इससे पहले राहुल गांधी ने राजीव गांधी के समय हुए सिख नरसंहार की भी खुले मंच से आलोचना की थी। राहुल की इन बातों में एक अदब बछड़े जैसा मासूम नेता नज़र आता है। दूसरी तरफ एक ऐसा नेता है जो कोरोना के कारण 150 हज़ार मौत हो जाने के बाद भी कहता है कि दुनिया भारत से प्रेरणा ले रही है जिस तरह से भारत ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीती है।
22 सैनिकों की मौत हो जाने पर भी वो नेता आंख में आंख डालकर कहता है कि भारत की सीमा में कोई नहीं घुसा। जबकि लद्दाख की जनता कहती रही है कि चीन, हमारी सीमा में घुस आया है। किसान आंदोलन से लेकर, आरटीआई तक। इस नेता ने लगातार झूठ बोला है।
सिर्फ झूठ ही नहीं बोला जनता की वैज्ञानिक सोच को भी सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। मैं नहीं कहता कि राहुल इस देश के प्रधानमंत्री योग्य हैं लेकिन इतना ज़रूर कहूंगा आंख में आंख डालकर झूठ बोलने वाला नेता इस देश के प्रधानमंत्री बनने योग्य नहीं है।