टीबी के कारण अनेक हैं, मगर कुपोषण और गरीबी के कारण टीबी के केसों का बढ़ना वर्तमान समय के लिए चिंता का विषय है क्योंकि बढ़ते देश में कुपोषण और गरीबी के कारण अगर लोग मरने लगें, तब उसके लिए जरुरी दिशा-निर्देश समेत लोगों के बीच जागरुकता कार्यक्रम बढ़ जाने चाहिए।
माननीय प्रधानमंत्री ने साल 2020 में बिहार राज्य की स्थिति देखते हुए 50,000 करोड़ के एक पैकेज का एलान किया था। बिहार भारत का सबसे गरीब और सबसे पिछड़ा राज्य है। बिहार में सभी उप-क्षेत्रों में गरीबी की घटना समान रूप से उच्चतम स्तर (46-70%) पर है। वहीं बिहार की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय केवल 3650 रुपये है, जो राष्ट्रीय औसत 11,625 रुपये की लगभग एक तिहाई है। बिहार एकमात्र राज्य भी है, जहां की 52.47 प्रतिशत आबादी निरक्षर है।
केवल इन आंकड़ों से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बिहार में आर्थिक रूप से मजबूत लोगों की संख्या बेहद कम है। ऐसे में लोगों के बीच किसी बीमारी के इलाज के लिए आर्थिक रूप से सोचना लाज़िमी है, क्योंकि लोग सबसे पहले दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं, तब अस्पताल आदि के खर्चों के बारे में सोचते हैं। ऐसे में टीबी की बीमारी हो जाए, तब लोग जागरुकता के अभाव में डर जाते हैं।
मुज़फ्फरपुर इलाके में आमगोला स्थिति फल मंडी के कुछ फल विक्रेताओं से बात करने पर पता चला कि लोग पहले दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं, ताकि परिवार के लोगों का पेट भरा जा सके। यह केवल एक इंसान की स्थिति नहीं है, बल्कि असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले अधिकांश लोगों की स्थिति ऐसी ही मिलती है। ऐसे में अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि लोगों के बीच आर्थिक स्थिति सबसे ज्यादा मायने रखती है।
लोग अगर आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होंगे, तब कुपोषण की स्थिति होना एक सामान्य घटना होगी, क्योंकि पैसे के अभाव में उचित पोषण शरीर से कोसों दूर हो जाएगा। लोगों के बीच आम धारणा बन चुकी है कि केवल पेट भरने के लिए खाना खाया जाना चाहिए।
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक केवल कुपोषण के कारण 55 प्रतिशत लोग टीबी की बीमारी से संक्रमित हो जाते हैं। वहीं 5 प्रतिशत लोग एड्स के कारण, 9 प्रतिशत लोग डायबिटीज के कारण और 11 प्रतिशत लोग स्मोकिंग के कारण टीबी की बीमारी से संक्रमित होते हैं।
टीबी फैक्ट्स के अनुसार भारत में 40 प्रतिशत लोग सही खानपान नहीं मिलने के कारण Latent TB से ग्रसित रहते हैं। Latent TB एक ऐसी अवस्था है, जिसमें Mycobacterium tuberculosis नामक बैक्टिरिया अपने In-active स्टेज में उपस्थित रहता है। Latent tuberculosis infection को (LTBI) कहा जाता है।
Latent TB बैक्टीरिया सामान्य रूप से शरीर में सुस्त अवस्था में मौजूद रहते हैं, मगर कमज़ोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण Latent TB अपने Active TB केस में तब्दील हो जाती है।
टीबी फैक्ट्स के अनुसार कुपोषण के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इसके साथ ही शरीर अन्य बीमारियों का गढ़ बनने लग जाता है। हालांकि, यह जरुरी नहीं है कि टीबी के दौरान महंगे खाद्य पदार्थ ही खाने पड़ते हैं।
एक संतुलित आहार द्वारा भी टीबी को मात दिया जा सकता है। संतुलित आहार द्वारा शरीर के वजन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही टीबी के दौरान की जाने वाली थेरेपी का असर भी सही तरीके हो पाता है और रोगी स्वस्थ होने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ जाता है।
टीबी विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि लोगों के बीच कुपोषण से जुड़े मामलों मेें खानपान में आयरन से भरपूर आहार लेना चाहिए, ताकि शरीर में रक्त की कमी नहीं हो। हमें खाने में विटामिन-ए, जिंक, विटामिन-डी को अवश्य रूप से शामिल करना चाहिए।
सही और संतुलित खानपान द्वारा टीबी की बीमारी से बचा जा सकता है। आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा निश्चय पोर्टल की शुरुआत हुई है। साल 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य पर काम करने के लिए सरकार भी प्रतिबद्ध है।
नोट- यह लेख SATB फैलोशिप के तहत लिखी और प्रकाशित की जा रही है
Youth Ki Awaaz के बेहतरीन लेख हर हफ्ते ईमेल के ज़रिए पाने के लिए रजिस्टर करें