Site icon Youth Ki Awaaz

नौकरियों को लेकर योगी सरकार के दावे और सच्चाई में आसमान-ज़मीन का अंतर

प्रयागराज में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे मुकेश कहते हैं कि साल 2017 में, उत्तर प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद “समाज कल्याण पर्यवेक्षक एवं ग्राम पंचायत अधिकारी” योगी सरकार की पहली बड़ी भर्ती थी। दिसंबर 2018 में परीक्षा कराई गई। परीक्षा काफी अच्छी गई थी। इस भर्ती से घर वालों को भी काफी उम्मीदें थी।

मगर बुधवार (24 मार्च 2021) जब पता चला कि सरकार ने परीक्षा में अनियमितता का कारण बता भर्ती निरस्त कर दिया है तो बहुत कष्ट हुआ। न तो सरकार कोई नई भर्ती निकालती है और न ही निकाली गई भर्तियों को पूरा करती है। जो भर्ती पूरा होने को है, सरकार उसे भी निरस्त करने पर लगी हुई है। घर वाले बड़ी मुश्किल से पढ़ने के लिए पैसे भेजते हैं, और समय है कि निकलता चला जा रहा है।”

गरीब तबके से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए बड़ा ही मुश्किल होता है, घरों से दूर जाकर शहर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना। हमारे सामने हमेशा ये चुनौती रहती है कि सीमित संसाधन और सीमित समय के अंदर नौकरी पा लेना।

सारी प्रक्रियाएं के अंतिम नतीजे आने के बाद परीक्षा रद्द

गौरतलब है कि बुधवार को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने समाज कल्याण पर्यवेक्षक और ग्राम पंचायत अधिकारी पद की भर्ती को निरस्त कर दिया है। इसकी परीक्षा दिसंबर 2018 में हुई थी। इन दो पदों की भर्ती में कुल 1952 सीटें थीं।

आयोग का तर्क है कि छात्रों द्वारा भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायत पर सरकार द्वारा एक एसआईटी का गठन किया गया था।  एसआईटी की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि होने पर आयोग ने परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि इस भर्ती परीक्षा में 9 लाख के करीब अभ्यर्थी शामिल हुए थे। जिसका परीक्षा परिणाम 28 अगस्त 2019 को आ गया था। आगे की प्रक्रिया डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और जॉइनिंग भर की थी।

भर्ती में हुई गड़बड़ी पर आयोग का कहना है कि परीक्षा में पेपर के साथ तीन ओएमआर शीट को शामिल किया गया था। जिसमें से एक आयोग, दूसरा कोषागार और तीसरा अभ्यर्थी के पास रहना था। जब आयोग और कोषागार के ओएमआर शीट का मिलान कराया गया तो दोनों के अंकों में अंतर था। काफी संख्या में इस तरह की गड़बड़ी के चलते परीक्षा को रद्द कर दिया गया।

कई परीक्षाओं को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है

आपको बता दें कि पिछले कई सालों से UPSSSC के भर्ती प्रक्रिया में हो रही लेट लतीफी के चलते अभ्यर्थी काफी परेशान हैं। एक तो सरकार द्वारा जल्दी कोई वैकेंसी नहीं निकाली जाती और अगर भर्ती आ भी गई, तो परीक्षा की तारीख निश्चित नहीं हो पाती है।

उत्तरप्रदेश में भर्ती का आलम यह है कि किसी भर्ती में यदि प्रारंभिक परीक्षा हो गई तो लिखित होना बाकी है, और यदि भर्ती प्रक्रिया पूरी हो भी गई तो रिजल्ट कब आएगा इसका पता नहीं!

यहां आपको बता दें कि ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती के परीक्षा रद्द करने के साथ ही साथ आयोग ने वन्य जीव रक्षक के 728 पदों पर भर्ती के लिए, 4 अप्रैल से होने वाली परीक्षा को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। साथ ही इसी तरह सहायक बोरिंग टेक्नीशियन के 486 पद के लिए 25 अप्रैल को होने वाली परीक्षा को भी स्थगित कर दिया गया है। इसी क्रम में सहायक सांख्यिकी अधिकारी और सहायक शोध अधिकारी के 904 पदों के लिए होने वाली भर्ती प्रक्रिया को भी स्थगित कर दिया है।

सरकारी दावों को झूठा साबित करतीं ये लंबित पड़ी भर्तियां

लंबित पड़ी भर्तियों का जिक्र करें, तो तीन साल पहले मार्च 2018 में UPSSSC ने युवा कल्याण विकास अधिकारी का पद निकाला था। सितंबर 2018 में परीक्षा हुई, जिसका रिज़ल्ट फ़रवरी 2018 में आया। आठ महीने बाद अक्टूबर 2019 में शारीरिक परीक्षा हुई, रिजल्ट भी आ गया परंतु अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया।

वहीं 2018 में राज्य मंडी समिति के निरिक्षक और पर्यवेक्षक की भर्ती का परिणाम भी लंबित पड़ा है। अभ्यर्थी रिजल्ट के लिए लगातार UPSSSC कार्यालय पर धरना दे रहे हैं। इसी क्रम में साल 2016 में गन्ना पर्यवेक्षक की 437 पदों की भर्ती आई थी। अगस्त 2019 में इस भर्ती की लिखित परीक्षा हुई और 2020 में इंटरव्यू भी हो गया। एक साल गुजरने को हैं परंतु इंटरव्यू का रिजल्ट अभी तक नहीं आया है।

https://twitter.com/Gauraw2297/status/1364834293608902657?s=09

उत्तर प्रदेश सरकार के दावों की मानें तो सरकार ने चार साल में चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी है। साथ ही सरकार यह भी दावा कर रही है कि आगामी तीन महीने के अंदर 90 हजार पदों पर नियुक्तियां शुरू कर दी जाएंगी। वहीं 15 जनवरी को हिंदुस्तान अखबार में छपे इश्तेहार में सरकार ने यह दावा किया है कि बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, जबकि 69000 शिक्षक भर्ती में 4000 सीटों पर भर्ती बची हुई है। सरकार के इन आकड़ों की जमीनी हकीकत पर बात करें, तो इन दावों से इतर भर्तियों का कुछ अलग ही तथ्य है।

दिसंबर 2020 में सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि UPSSSC के जरिये 16860 पदों पर नियुक्ति दी गई है। जबकि UPSSSC के अंतर्गत आने वाली परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि इस कमिशन द्वारा मार्च 2017 से अबतक कुल 13 भर्तियां निकाली गई हैं, जिनमें से अभी तक एक में भी नियुक्ति नहीं हुई है। अभ्यर्थियों का कहना है कि यह बात सही है कि सरकार ने साल 2020 में 3209 नलकूप चालकों को नियुक्ति पत्र दिया था, मगर सरकार को 16860 पदों पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।

मुख्यमंत्री का एक ट्वीट जिससे सरकार की काफी फजीहत हुई

सरकार द्वारा जारी इश्तेहार में इतनी नौकरी के दावे पर पत्रकार राजन चौधरी ने एक आर.टी.आई. फ़ाइल की थी, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के मार्च 2017 से दिसंबर 2020 तक के सभी विभागवार सरकारी और अर्ध-सरकारी पदों पर हुई भर्तियों की मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी थी।

जवाब के लिए इस आर.टी.आई. को मुख्यमंत्री कार्यालय ने कार्मिक विभाग के पास भेज दिया और कार्मिक विभाग ने जवाब में बताया की सूचना उपलब्ध नहीं है।

सरकारी दावों के ताजा घटना का जिक्र करें, तो हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऑफिस के ट्वीटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया गया। वीडियो 10 मार्च को शेयर किया गया था। वीडियो में एक शख्स जिसका नाम दुर्गेश चौधरी था वो दावा कर रहा है, कि वर्तमान योगी सरकार में उसे लेखपाल की नौकरी मिली है। जब यह वीडियो ट्वीटर पर आया तो हंगामा मच गया। अभ्यर्थी सवाल करने लगे कि जब आखिर बार लेखपाल की भर्ती साल 2015 में हुई थी, तो दुर्गेश चौधरी का सेलेक्शन कब और कैसे हुआ?

इस ट्वीट के चलते विवाद इतना बढ़ा कि लोग योगी सरकार को ही ट्रोल करने लगे। विपक्ष ने भी सरकार को घेर लिया। काफी फजीहतों के बाद आखिर में ट्वीट डिलीट कर दिया गया।

सरकारी दावे और सच्चाई दो समानांतर रेखाएं हैं, जो आपस में कभी मिल नहीं सकते

सितंबर 2020 में जब युवाओं ने पहली बार रोजगार और नौकरियों को लेकर हल्ला बोला था तो उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री एक चौंकाने वाले दावे के साथ आये थे। उन्होंने कहा था कि अगले 3 महीने में 3 लाख नौकरियों के लिए सारी प्रक्रियाएं पूरी कर 6 महीने के भीतर जॉइनिंग लेटर दे दी जाएगी। तब से अबतक हम 6 महीने पूरे कर चुके हैं लेकिन इन रिक्तियों और हो रही प्रक्रियाओं का कोई अता पता नहीं।

https://twitter.com/CMOfficeUP/status/1306826886991892482?s=19

उत्तर प्रदेश सरकार के कुछ भी दावे हों पर भर्तियों का यही हाल है। कहीं कोई भर्ती पूरी नहीं हुई तो किसी का रिजल्ट अटका पड़ा है। सरकार अपने इश्तेहार में कुछ भी दावे करे परंतु जब इन्हीं नौकरियों की जानकारी मांगी जाती है तो सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं रहता है। इसी तरह सरकार का यह भी दावा है कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय बीते तीन सालों में दोगुनी हो गई है। इश्तिहार छपवाए जा रहे हैं लेकिन ज़मीनी हकीकत तो कुछ ऐसी दिख नहीं रही है। स्थिति पहले से बदतर ज़रूर हुई है।

अभ्यर्थी सरकार के इन दावों से अचंभित होते हैं कि इतनी भर्तियां कब आई और कब पूरी हुईं किसी को पता नहीं चला। सरकार के दावों को देखकर आदम गोंडवी का वो शेर याद आता है, कि

“तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है,

  यह दावा झूठा है ये दावा किताबी है”

मौजूदा स्थिति को देखते हुए फिलहाल तो यही कह सकते हैं कि नौकरियों को लेकर योगी सरकार के दावे और सच्चाई दो ऐसी समानांतर रेखाएं हैं, जो शायद आपस में कभी नहीं मिल सकती।

Exit mobile version