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मेरे जीवन की प्रेरणा: मेरी माँ, मेरी बॉस और दुनिया की हर महिला

मेरे जीवन की प्रेरणा- मेरी माँ, मेरी बॉस और दुनिया की हर महिला

वैसे तो हर कोई हमें अपने काम व नाम से प्रेरित कर सकता है, लेकिन अपने 10 साल के करियर में मेरी प्रेरणा बनी हैं, वे हर औरतें जो मुझसे जाने-अनजाने में जुड़ी हैं। भारत के इतिहास में भी अगर हम एक नज़र डालें तो हम पाएंगे कि महिलाओं को हमेशा से विशेष महत्व दिया गया है।

अगर हम धार्मिक दृष्टि से बात करें तो विद्या की देवी सरस्वती, धन-वैभव की देवी माँ लक्ष्मी और माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ दुर्गा के लिए ऐसा माना जाता है कि संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का मूल कारण शक्ति हैं, जिन्हें ब्रम्हा, विष्णु व शिव तीनों ने मिलकर माँ नवदुर्गा के रूप में सृजित किया था। इसलिए माँ दुर्गा में ब्रह्मा, विष्णु और शिव का तेज है। वहीं हम हमारी सुख, समृद्धि व वैभव के लिए माँ लक्ष्मी व विद्या के सृजन के लिए माँ सरस्वती को पूजते हैं।

इतिहास में महिलाओं का अमूल्य योगदान 

 वहीं हम अगर राजनीतिक दृष्टि की बात करें तो देश को आजाद कराने में भी महिलाओं ने अपना विशेष योगदान दिया है और मेरी नजर में सबसे पहला नाम आता है वह लक्ष्मीबाई का जो अंग्रेज़ों के खिलाफ देश की आज़ादी के लिए अंतिम सांस तक लड़ती रहीं और अपनी जान कुर्बान कर दी।

थियोसोफिकल सोसाइटी और भारतीय होम रूल आंदोलन की विशिष्ट अध्यक्षता निभाने वाली ऐनी बेसेंट ने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं को वोट जैसे अधिकारों की मांग के लिए बिट्रिश सरकार को लगातार पत्र लिखती रहीं और देश की आज़ादी के लिए होम रूल आंदोलन में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

यह पहली विदेशी महिला थी, जिन्होंने हमारे देश भारत को विदेशियों से मुक्त करने में अपना सहयोग दिया। वहीं आजादी के बाद हमारे देश में महिलाओं की स्थिति उनके प्रति कुप्रथाओं के कारण काफी गंभीर एवं भेदभाव पूर्वक थी। इस माहौल के विरोध में अपनी आवाज उठाई सावित्री बाई फूले ने, उन्हें देश की पहली महिला शिक्षक के रूप में भी जाना जाता है।

 यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता अगर मैं कुछ साल पहले तक की बात करूं तो स्व. सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर अपने ट्वीट के माध्यम से लोगों के दिल में अपनी खास जगह बनायी थी। वे ना केवल वह एक अच्छी वक्ता होने के साथ-साथ एक कुशल राजनेता भी थीं, वह एक माँ की तरह विश्व के कोनों में फंसे भारतीयों की हर संभव मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती थीं।

यह तो वह औरतें हैंजिन्होंने पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई और लोगों को प्रेरित किया। लेकिन, हमारी आम जिंदगी में भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो हमें अपने अलग-अलग तरीकों से प्रेरणा देती हैं।

माँ एक शब्द, लेकिन उसमें हमारी पूरी सृष्टि समाती है 

इस कड़ी में सबसे पहले नाम आता है मेरी माँ का आप कहेंगे कि वो तो सब की होती है जी हां, लेकिन हम कभी उन्हें अपने दिल की बात नहीं कह पाते हैं। इसलिए माँ को दिल से धन्यवाद। सुबह से रात हो जाती है, लेकिन एक मेरी माँ ही है जो दिन खत्म होने के बाद भी फूलों की तरह खिलखिलाती है।

उसे देखते ही मेरे चेहरे की गायब हंसी अपने आप आ जाती है। वैसे थकते तो हम सब हैं, लेकिन वह दिल से सारा काम करती है, उसे देख मेरी थकान ना जाने कहां छूमंतर हो जाती है। माँ आप मुझे सदैव इस बात की प्रेरणा दे जाती हैं कि हर थकान से पहले स्वयं और अपने घर की जिम्मेदारी होती है।  

एक स्त्री समाज की शिक्षक होती है  

मेरी दूसरी प्रेरणा हैं – मेरी बॉस। उन्होंने मुझे हमेशा इस बात की प्रेरणा दी है कि एक शादीशुदा और दो बच्चों की माँ, बॉस भी बन सकती है। यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि शादी के बाद जिंदगी थम जाती है। यदि आप के मन में लगन और जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। लोगों की गलत धारणाएं भी धरी की धरी रह जाती हैं, जब एक औरत घर के साथ-साथ अपने ऑफिस की भी जिम्मेदारी बखूबी निभाती है।

 भले ही आपकी काबिलियत पर लोगों को शंका हो, आपका नाम किसी से भी जोड़ा जाए लेकिन आपका ध्यान सिर्फ और सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए। क्योंकि, अंत में सफल व्यक्ति की सफलता ही पूरे दुनिया में शोर मचाती है। 

तीसरी वह सभी औरतें हैं, जो मुझे ट्रेन में औ मेरे काम करने के दरम्यान मिलती हैं। वो मुझे यह प्रेरणा देती हैं कि नारी कभी भी पुरुष के समान नहीं हो सकती और मैं इस बात को दिल से मानती हूं, क्योंकि एक नारी पुरुष की तुलना में सर्वोपरि है। जब हम एक पुरूष को शिक्षित करते हैं तो हम सिर्फ एक पुरुष को ही शिक्षित करते हैं, लेकिन जब हम एक महिला को शिक्षित करते हैं तब हम एक घर, एक समाज और इस समाज के माध्यम से अपने देश का विकास करते हैं। इसलिए महिलाएं सर्वोपरि हैं।

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