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सिर्फ पांच शब्द लिखकर हमारे राष्ट्र के लिए खतरा हो गई थीं रिहाना

अभिव्यक्ति की आज़ादी सिर्फ हमारे भारत देश में रोकी गई है। कई कटाक्ष किए जाते हैं, अगर हम अपने मन की बातें करें। वहीं देश के प्रधानमंत्री जी अपने मन की बात हर सप्ताह करते हैं। देश के युवा और लोगों के मन की बात तो सुनी ही नहीं जाती। उस दौरान सरकार बहरी हो जाती है। 2019 का शाहीन बाग हो या फिर 2020 का किसान आंदोलन।

किसान भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं

आंदोलन करने वाले लोगों के स्थान के आसपास की जगह को किले की तरह तब्दील कर दिया जाता है। कहीं दूर जाने की ज़रूरत नहीं है, आज हम अपने देश में ही यही सब देख रहे हैं। हम अक्सर दंगों या आंदोलन की खबरें अपने बचपन में सुनते थे। गुजरात का गोधरा कांड हो या फिर 2006 का अलीगढ़ दंगा। हमने दिल्ली के आसपास कभी नहीं सोचा था ऐसा देश की राजधानी में भी होगा।

पिछले साढ़े तीन महीने से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। ठंड, बारिश और तरह-तरह की परेशानियों से जूझते हुए किसान और उनका आत्मसम्मान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। आम इंसान तो सुन भी लेंगे, मगर उनका क्या जो देश के सिंहासन पर बैठकर किसानों द्वारा उगाए हुए मशरूम और काजू की रोटियां सेक रहे हैं? किसान आंदोलन अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की थू-थू करवा रहा है।

रिहाना का ट्वीट और भारत सरकार का ओवर-रिएक्ट बर्ताव

संसद हो या बॉलीवुड और या बाहरी लोग। लोग ऐसा बर्ताव कर रहे हैं जैसे रिहाना ने किसी को गाली दे दी हो या फिर भरी महफिल में किसी बड़ी सियासतदान को जूता फेंककर मार दिया हो। जब देश के बड़े-बड़े लोग और नेता अपने मुंह पर टेप लगाएंगे तो लोग कहीं के भी हों अपनी संवेदना तो व्यक्त करेंगे ही। अब हर कोई पैसों की सेज पर सोकर गूंगा तो नहीं बन सकता।

मानवता धर्म भी कुछ मायने रखती है। करोड़ों किसानों की आवाज़ से तो आपके कानों पर जूं तक न रेंगी। महज पांच शब्दों Why aren’t we talking about this? ने आपके खून में उबाल ला दिया। इतना ओवर रिएक्ट किस लिए? किस कांड से आप लोगों का ध्यान भटकवाना चाहते हैं? जब आप अपने इमोशन्स को सुला चुके हैं तो औरों से शिकायत क्यों? और कौन सा आंतरिक मामला? पूरा विश्व भारत के किसानों का दर्द समझ रहा है। जहां अमेरिका ने भी नपा-तुला उत्तर दिया मगर आंदोलन को सही बताया।

भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया और रिहाना का नाम लिए बना प्रहार किया, कहा, “ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले, हम आग्रह करेंगे कि तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों की उचित समझ पैदा की जाए। मशहूर हस्तियों द्वारा सनसनीखेज सोशल मीडिया हैशटैग और टिप्पणियों के प्रलोभन का शिकार होना, न तो सटीक है और न ही ज़िम्मेदारीपूर्ण है।”

रिहाना और उनका ट्वीट हर तरह से मानवता के लिए है

रिहाना का एक छोटा सा ट्वीट और किसानों के साथ की बात करने वाली रिहाना हमेशा से अपने खुले विचारों के लिए जानी जाती हैं। रिहाना के ट्वीट से उन्हीं लोगों को परेशानी हो रही है जिनके अंदर से मानवता खत्म हो चुकी है। ह्यूमैनिटी बहुत बड़ा तथ्य है। इसके बिना आप और हम सिर्फ मिट्टी का पुतला भर हैं। इस समय किसानों की जो दुर्दशा हो रही है उसमें संवेदना का पैदा होना तो स्वाभाविक है।

उनके ट्वीट ने यह बता दिया कि देश हो या विदेश इमोशन्स को प्राथमिकता दी जा रही है। ज़रूरी नहीं हर जगह रोबोट हों जैसे हमारे देश में। उनके ट्वीट में सच्चाई है, भलाई है और स्नेह है। जो कि हाशिए पर आंके जाने वाले समाज के लिए प्रेरक का काम कर रहे हैं।

रिहाना हमेशा से सच बोलती हुई आईं हैं। चाहे कुछ भी हो जाए वह सच्चाई का साथ नहीं छोड़ती। वहीं हम अपने बॉलीवुडिया कलाकारों को देखेंगे तो पता लगेगा कि वो लोग बस तभी बोलते हैं जब उनको बोलने के लिए कहा जाता है। न्यूट्रल रहने वाले कुछ बॉलीवुड के किरदार भी कुछ न कुछ बोलते हुए नज़र आए।

कभी-कभी तो भारतीय मीडिया और साथ के साथ मंत्रालय भी ऐसी हास्यस्पद बातें करते हैं जो किसी चुटकुले से कम नहीं लगते। खरीदी हुई एक न्यूज़ एजेंसी ने रिहाना पर 18 करोड़ लेने का आरोप भी लगाया और सारे झूठे तथ्यों को न्यूज़ बना कर उसको लोगों तक पहुंचाया।

कैसा रहा है रिहाना का अबतक का सफर?

केवल 10 साल के म्यूज़िक के सफर में रिहाना ने 8 ग्रैमी अवॉर्ड और 14 बिलबोर्ड म्यूज़िक अवॉर्ड्स जीते हैं। साथ ही साथ गानों ने बिलबोर्ड हॉट 100 लिस्ट में सबसे पहले जगह बनाने का रिकॉर्ड बनाया था। दुनिया भर में रिहाना ने 54 मिलियन अलबम और 210 मिलियन गाने बेचने का रिकॉर्ड बनाया है।

रिहाना की नेट वर्थ 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 44 अरब रुपये है। रिहाना ने 2012 में क्लारा लॉयनेल फाउंडेशन (Clara Lionel Foundation) की स्थापना की थी। यह संगठन दुनिया भर में शिक्षा और अन्य कार्यों के लिए काम कर रहा है। लोगों ने रिहाना और ग्रेटा के पुतले फूंके और उनकी तस्वीरों को जलाया। इसमें कोई बड़ी बात नहीं जहां रात के दो बजे जबर्दस्ती बलात्कार की पीड़िता को जलाया जाता हो वहां ऐसा होना तो आम है।

रिहाना हमको खुशी है कि आप जैसी सच्ची नायिका ने न्याय किया और न्याय वाली बात कही। हमको आप पर गर्व है। आप जैसे लोग काश हमारे भारत में भी होते तो आज देश किसी और दिशा में बढ़ रहा होता। अफसोस यहां तो संवेदना व्यक्त करने वाले दूर की बात है, बल्कि कहीं से भी कोई अपने इमोशन्स को हमसे साझा करने आए तो उसपर भी विरोध किया जाने लगता है। यह दुखद है और पीड़ादायक है। बस दिल से फिर एक बात कहेंगे

रिहाना तुस्सी ग्रेट हो।

तुम कुछ भी हो मेरे फेवरेट हो।

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