Site icon Youth Ki Awaaz

20 सालों तक दुष्कर्म के झूठे आरोप में कैद रहा, अब कोर्ट ने निर्दोष मानते हुए बरी किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में 20 साल जेल में बिताने वाले आरोपी को बलात्कार के मामले में बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति गौतम चैधरी की खंडपीठ ने विष्णु की रिहाई का आदेश पारित करते हुए, वर्ष 2003 में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया है।

पुलिस ने वर्ष 2000 में विष्णु तिवारी पर आईपीसी की धारा 376, 506 और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1) (7), 3 (2) (5) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था। उस वक्त विष्णु की उम्र 23 साल थी।

नहीं मिले आरोपी के विरूद्ध कोई ठोस सबूत

दरअसल, भूमि विवाद के कारण एक महिला ने उसके खिलाफ झूठा बलात्कार का केस दायर किया था। इस मामले में प्राथमिकी सितंबर 2000 में दर्ज की गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता 5 महीने की गर्भवती थी और अपने ससुर के लिए दोपहर का भोजन देने जा रही थी। तभी रास्ते में आरोपी ने उसे पकड़ लिया और जमीन पर पटक दिया और फिर उसका यौन शोषण किया।

उनका यह भी कहना था कि पीड़िता की जाति के कारण यह घटना हुई थी और इस तथ्य की जानकारी आरोपी को थी। इसके अलावा, पीड़िता के अनुसार आरोपी ने उसे धमकी दी थी कि वह घटना के बारे में किसी को न बताए, वरना बुरे परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इसलिए उसके परिवार के सदस्य तीन दिन तक पुलिस स्टेशन नहीं गए। उसके बाद उसके ससुर ने प्राथमिकी दर्ज करवाई थी।

बयानों में पाया गया विरोधाभास

हाईकोर्ट ने कहा कि इस मुकदमे का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि अपील को जेल के माध्यम से दायर किया गया था। यह मामला 16 साल की अवधि के लिए एक डिफेक्टिव मामले के रूप में रहा। इसलिए, आमतौर पर डिफेक्टिव अपील संख्या का उल्लेख नहीं करते हैं लेकिन इसका उल्लेख किया है।

कोर्ट ने इसके बाद पीड़िता और उसके परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि उनके बयानों में काफी विरोधाभास पाया गया है, जो उनके मौखिक साक्ष्यों को अविश्वसनीय बना रहा है।

जज ने निर्दोष होने के बावजूद जेल में 20 साल रहने को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 साल से दुष्कर्म के आरोप में जेल में बंद एक शख्स को निर्दोष करार दिया है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि गंभीर आरोप न होने पर भी वो 20 साल से जेल में बंद है। राज्य सरकार ने सजा के इतने साल बीतने पर भी उसकी रिहाई के कानून पर विचार नहीं किया।

20 सालों में मैंने जितना खोया है उसे कोई वापिस नहीं कर सकता

जेल से निर्दोष साबित होकर छुटने के बाद विष्णु ने कहा कि “ये पल मेरे लिए बहुत खुशी का पल है जब मुझे कोर्ट से मुझे निर्दोष साबित किया गया। आखिरकार सच की जीत हुई, चाहे देर से हुई हो। इन 20 सालों में मुझे मेरे परिवार की कोई खबर नहीं मिली। मां-पिताजी और दो भाई अब मेरे बीच नहीं हैं। वकील की फीस भरने में पूरी जमीन चले गई लेकिन मुझे खुशी है कि अब मैं इस समाज में सर उठा कर चल पाऊंगा।

लोग अब मुझे गलत नहीं समझेंगे। मगर इन 20 सालों में मेरे घर में कुछ नहीं बचा। सब कुछ खंडहर में बदल चुका है। 20 सालों में मैंने जितना खोया है, वो तो मुझे कोई वापिस नहीं कर सकता लेकिन सरकार अगर मुझे फिर से अपने पैरों पर खड़े होने के लिए मदद करेगी तो मैं दुबारा जी पाऊंगा।”

Exit mobile version