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मॉब लिंचिंग क्या है और यह कैसे की जाती है?

मॉब लिंचिंग क्या है और यह कैसे की जाती हैं?

आज हम जानते हैं मॉब लिंचिंग के बारे में। जब कभी अनियंत्रित भीड़ के द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही किसी व्यक्ति को बिना अपराध किये भी तत्काल सज़ा दे दी जाती है। इसका मतलब उसे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहलाती है।

इस तरह की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता और यह पूर्णतः गैर-कानूनी होती है। इसमें ना किसी पुलिस या समाज के सेवादारों का हस्तक्षेप होता है, बल्कि आम जन इस अपराध को अंजाम देते हैं।

मॉब लिंचिंग की घटनाएं मानवता के लिए दंश हैं 

साल 2017 का पहलू खान हत्याकांड मॉब लिंचिंग का एक बहुचर्चित उदाहरण है। जिसमें कुछ तथाकथित गौ-रक्षकों की भीड़ ने गौ तस्करी के झूठे आरोप में पहलू खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इसका ना तो किसी न्याय से सम्बन्ध हुआ और ना ही कोई अन्याय साबित हुआ। यह तो सिर्फ राजस्थान का ही उदाहरण है।

इसके अलावा देश के कई अन्य हिस्सों में भी ऐसी ही घटनाएं सामने आई हैं। महाराष्ट्र के पालघर में तीन साधुओ को भीड़ ने पुलिस के सामने दौड़ा-दौड़ा कर मार डाला था। इस पूरे प्रकरण में पुलिस मात्र एक मूक-दर्शक बनकर खड़ी रही। 

मॉब लिंचिंग के प्रमुख कारण

यदि देखा जाए तो भारत में बड़े तौर पर दो समुदाय हैं, एक हिन्दू तो दूसरा मुस्लिम। कई दशक पहले भारत पर अंग्रेजों ने अपनी सत्ता को फूट डालो और राज करो की नीति से स्थापित किया था। वहीं अंग्रेज तो चले गए, लेकिन वह अपनी कई नीतियों को हमारे देश में छोड़ गए। इसका नतीजा यह रहा कि इन नीतियों का प्रयोग कुछ राजनीतिक दल या लोग अपने फायदे के लिए करने लगे।

ऐसे ही किसी विशेष दल के लोग पहले किसी भी स्थान पर धार्मिक भावनाओं को बढ़ावा देते हैं। जिससे एक धर्म अपने आप को शक्तिशाली महसूस करने लगता है और दूसरा धर्म अपने को कमजोर समझने लगता है। इन लोगों का प्रोपेगैंडा यही होता है कि इन दोनों धर्मों को आपस में किसी भी नाज़ायज घटना को लेकर आपस में लड़वा दिया जाता है। नई नकरात्मक कृतियों को अंजाम दिया जाता है।

इस घटना के कारण लोगों का गुस्सा फूट पड़ता है। इस गुस्से की वजह से दूसरे धर्म के लोगों के साथ मार-पीट की घटना को अंजाम दिया जाता है। यह मार-पीट का स्तर इतना अधिक बढ़ जाता है कि उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

अल्पसंख्यकों के कानूनों का कमज़ोर और खराब कार्यान्वयन

लिंचिंग का एक कार्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और दोषियों को दंडित करने के लिए कानून की विफलता को दर्शाता है। कानून को सख्ती से लागू करने और दोषियों को दंडित करने में राज्य की कार्रवाई महत्वपूर्ण है।

भीड़-भाड़ पर कोई कानून लागू नहीं होता

भारत में भीड़-भाड़ पर कोई व्यापक कानून नहीं है। इससे लोगों को मिलकर किसी एक को मारने के लिए और आज़ादी मिल जाती है। इससे अपराधी मुक्त अयोग्य हो सकता है।

जवाबदेही और विश्वास की कमी

इसमें विश्वास की बहुत कमी है। यह असभ्यता भीड़ को चरम कदम उठाने के लिए प्रेरित करती है। इस प्रकार ऐसे अपराधों को रोकने के लिए समुदाय और राज्य की भूमिका बढ़ती है। ऐसे अपराधों के खिलाफ नागरिक समाज की सक्रिय भागीदारी और अपराधी को पकड़ने में राज्य और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मदद करना महत्वपूर्ण है। मगर फिलहाल यहां यह सब दशाएं शून्य हैं।

वोट-बैंक की गन्दी राजनीति

चुनावों में वोट हासिल करने के लिए कभी-कभी, राजनीतिक गोलबंदी जो हिंसा को राजनीति के उपकरण के रूप में इस्तेमाल करती है। समाज में ऐसे तत्वों का समर्थन करती है, जिसमें किसी एक विशेष धर्म को आकर्षित करने के लिए दूसरे धर्म का शोषण करना इनके लिए एक नियम बन जाता है। यहां ऐसे वोट बैंक की राजनीति को रोकने के लिए सामुदायिक जागरूकता और ऐसे राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई आवश्यक हो जाती है।

पुलिस की विफलता

पुलिस का उदासीन रवैया लोगों को कानून अपने हाथ में लेने की ओर ले जाता है। इसके साथ ही पुलिस की देरी और अपराधियों को पकड़ने में असमर्थता इस तरह की घटनाओं को जन्म देती है। पुलिस सुधारों में राज्य अधिक सक्रिय होना चाहिए। आपराधिक घटनाओं में ऐसी घटनाओं को दर्ज ना  करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

सोशल मीडिया में आग की तरह फैलती हुई अफवाहें

सोशल मीडिया को आजकल मैं तो अफवाहों के बाज़ार के रूप में देखता हूं। वैसे भी सोशल मीडिया की पहुंच में वृद्धि और अफवाहें और नफरत फैलाने के लिए इसके उपयोग ने ऐसी घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया है। जिससे हिंसक स्वाभव के लोगों को दंगे-फसाद करने का मौका मिल जाता है।

साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ-साथ राज्य को कार्रवाई के साथ एक सतर्क समुदाय का निर्माण करना चाहिए, जिससे नकली समाचार और अफवाहों को रोकने में मदद मिले।

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