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क्या है GNCTD बिल जो केजरीवाल की शक्तियों को बहुत कमज़ोर कर सकता है?

GNCTD गवर्नमेंट ऑफ नैशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गई है। लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी यह बिल पास हो गया है। राष्ट्रापति के दस्तखत के बाद इस बिल को कानून में बदल दिया जाएगा।

क्यों इसे दिल्ली सरकार को कमज़ोर करने वाला बिल कहा जा रहा है?

यह कानून बनने के बाद केंद्र सरकार को दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर अधिक शक्ति मिल जाएगी, क्योंकि एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) की राय के बिना दिल्ली सरकार कोई भी फैसला नहीं कर पाएगी। दिल्ली के एलजी और मुख्यमंत्री के अधिकारों को स्पष्ट करने वाले इस बिल को संसद के दोनों सदनों से पास कर दिया गया है। जबकि राज्यसभा में विपक्ष ने इसपर जमकर हंगामा भी किया था।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया। ऐसा क्या है इस बिल में जो आम आदमी पार्टी और विपक्षी दलों ने इसे संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ बताया?

आपको पता होगा दिल्ली में एलजी बनाम मुख्यमंत्री की जंग बहुत पुरानी है। केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये मामला कई बार चर्चा में रहा। यह मामला फिर सुप्रीम कोर्ट तक भी जा पहुंचा। 2018 और 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए एल जी और दिल्ली सरकार की भूमिका और उनके आधिकारों को स्पष्ट कर दिया था।

मगर केन्द्र सरकार की दलील है, कि सुप्रीम कोर्ट की जो भावना है इस आदेश में, उसको लागू करने के लिए ही वो यह गवर्नमेंट ऑफ नैशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट में संशोधन लाई है।

 

जिसमें प्रत्यक्ष रूप से प्रावधान है, कि राज्य कैबिनेट या सरकार किसी भी फैसले को लागू करने से पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर से राय लेगी। इस बिल के मुताबिक दिल्ली विधानसभा के बनाए किसी भी कानून में सरकार का मतलब अब एलजी से होगा। सभी निर्णयों, प्रस्तावों और एजेंडा के बारे में एलजी को जानकारी देनी होगी। अगर एलजी और मंत्री परिषद के बीच कोई मामले में मतभेद होता है, तो वह मामले को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं। बस इतना ही नहीं, विधानसभा से पारित कोई एसा बिल जो विधायिका के शक्ति – क्षेत्र से बाहर है वो उस बिल को मंजूरी नहीं देंगे। वह इसे विचार के लिए राष्ट्रपति के पास रिज़र्व रख सकते हैं।

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने पर केजरीवाल ने फैसले का किया था स्वागत

दिल्ली के मुख़्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि “राज्यसभा ने GNCTD अमेंडमेंट बिल को पास कर दिया। भारतीय लोकतंत्र के लिए यह दुखद दिन है। लोगों के अधिकारों को बहाल करने के लिए हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे। चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम अपने अच्छे कामों को जारी रखेंगे। काम न रुकेंगे और न ही धीमे होंगे”।

ये वही आम आदमी पार्टी जिसने 5 अगस्त 2019 को केंद्र को समर्थन दिया था। जब मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर के लोगों से किया भारत का वादा तोड़ संविधान का अनुच्छेद 370 खत्म कर उसका विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया। ये जम्मू-कश्मीर की सत्ता पर पीछे के दरवाजे से काबिज़ होने की चाल थी। तब आप के नायक केजरीवाल ने मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया था।

आज बात उनपर भी आ गयी जब दिल्ली सरकार के पीछे के दरवाजे से खुद सत्ता चलाने के लिए एक ऐसा बिल लेकर आई जो केंद्र को वीटो पावर देता है। भाजपा जिस राज्य में जनता के वोट से सत्ता नहीं पाती है, वहां भी किसी न किसी तरीके से जोड़-तोड़ करके एक समय के बाद तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ले ही लेती है।

 

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