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आखिर क्यों चर्चा में है पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र?

आखिर क्यों चर्चा में है, पश्चिम बंगाल का नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र

वैसे, तो आज कल मीडिया की जुबान पर विधानसभा चुनावों की ही धुन सजी हुई है। यह धुन और भी खास तब बन जाती है, जब बात पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की आती है। यह  बात तो अब तक किसी से छुपी नहीं है कि किस कदर भाजपा पश्चिम बंगाल के इस विधानसभा चुनाव में कमल खिलाने को बेताब हो रही है।

ऐसे में एड़ी-चोटी का जोड़ लगाते हुए, वह अपने हर संभव प्रयास करने में जुटी हुई है। लेकिन, इस विधानसभा चुनाव के अतिरिक्त जो कुछ चर्चा में है, वह है पश्चिम बंगाल में चुनाव की एक सीट नंदीग्राम।

नंदीग्राम बना पश्चिम बंगाल का हॉट सीट

जी हां, पश्चिम बंगाल चुनाव में जिस एक सीट की अब तक सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। वह सीट कोई और नहीं बल्कि, नंदीग्राम की ही विधानसभा क्षेत्र की सीट है। आप इसे सरल भाषा में समझने के लिए इसे बंगाल की हॉट सीट भी कह सकते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि पश्चिम बंगाल के चुनाव के अतिरिक्त आखिर इस सीट में ऐसी क्या विशेष बात है, जो यह आजकल सुर्खियों में है। मैं आपको बता दूं कि इस सीट पर चुनाव लड़ने का पूरा दारोमदार टीएमसी सुप्रीमो और प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने कंधों पर उठा रखा है।

कभी ममता के सेनापति रहने वाले शुभेंदु अधिकारी, आज ठोंक रहे हैं उन्हीं के खिलाफ दांव

यानी कि नंदीग्राम ही वह विधानसभा सीट है, जिस पर ममता बनर्जी ने अपना  भरोसा जताया है। फिलहाल ये तो चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे कि नंदीग्राम की जनता ममता बनर्जी पर भरोसा जताती है कि नहीं।

परंतु, चुनाव परिणाम की चिंता किए बिना जो फिलहाल चर्चा का विषय बनी हुई है। वह बात है ममता के प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधिकारी, जो ममता बनर्जी को कांटे की टक्कर देने के लिए पूरी तैयारी के साथ खड़े है।

शुभेंदु अधिकारी भाजपा की सीट से नंदीग्राम में ममता के खिलाफ मुकाबले में उतरे हैं। एक वक्त था, जब कभी शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के सेनापति हुआ करते थे। आज वो ममता बनर्जी के खिलाफ ही चुनाव के मैदान में ताल ठोंक रहे हैं।

भाजपा के लिए आसान नहीं होगी, बंगाल की राह

एक वक्त पर शुभेंदु की ममता के साथ रही नजदीकियों की वजह से इस सीट की चर्चा अधिक है। चूंकि, ममता के साथ काम करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी की नीतियों को अच्छी तरह जाना और समझा है। इसलिए ममता बनर्जी के खिलाफ मुकाबले में खड़ा होना, उनके लिए परेशानी का सबब भी है।

परंतु, भाजपा के लिए दावेदारी इतनी भी आसान नहीं होने वाली है, क्योंकि जहां पूरा देश राजनीति पर चलता है वहीं, पश्चिम बंगाल में चुनावों के समय एक अलग ही लहर उमड़ती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अबकी यह लहर किसकी नैय्या पार लगाएगी !

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