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हमारी आने वाली नई पीढ़ियों के लिए सेक्स एजुकेशन क्यों ज़रूरी है?

हमारी आने वाली नई पीढ़ियों के लिए सेक्स शिक्षा क्यों जरुरी है?

हमें अपने बड़े होते हमउम्र के लड़कों और लड़कियों को एक साथ विद्यालय में साथ बिठाना था, जिससे वे एक दूसरे को समझ सकें। हमें उन्हें साथ बड़ा करना था, जिससे वे अपने शरीर में हार्मोन्स के कारण होने वाले शारीरिक एवं मानसिक बदलावों को एक सरल प्रक्रिया के रूप में समझ सकें।

 हम अपने बच्चों की परवरिश एवं उनकी शिक्षा-दीक्षा में उसी दिन फेल हो गए थे, जिस दिन हमें अलग से बॉयज स्कूल और गर्ल्स स्कूल खोलने की ज़रूरत पड़ी। हमने लड़कों और लड़कियों दोनों को साथ बड़ा ही नहीं होने दिया। हमने उनके बीच में हमारे तथाकथित सभ्य समाज के संस्कारों एवं नैतिकता की एक अदृश्य दीवार खड़ी कर दी और इसी वजह से आने वाली पीढ़ियों में लड़कियों की नज़रों में लड़कों की और लड़कों की नज़रों में लड़कियों की एक ऐसी तस्वीर बनती चली गई, जिसे नहीं बनना चाहिए था।

हमारे शरीर में होने वाले बायोलॉजिकल बदलाव एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है 

 हम खुद को सभ्य, शिक्षित और समझदार तो कहते रहे, लेकिन अपनी आने वाली पीढ़ियों को यह समझाने में बुरी तरह असफल रहे कि हमारे शरीर में होने वाले बायोलॉजिकल बदलाव एक आम शारीरिक प्राकृतिक प्रक्रिया है। हमें उन्हें बताना था कि एक लड़की के स्तन और कूल्हे कोई अजूबा नहीं हैं, जिन्हें लगातार घूरा जाए बल्कि वो महज़ उसके शरीर का एक अभिन्न अंग हैं, जिन्हें बुरी नीयत (इच्छा ) से घूरना एक अपराध है।

हमें अपनी नई पीढ़ी के लड़कों को यह समझाना था कि किसी लड़की को समझने,उसे स्पर्श या छुअन से पहले उनकी बुरी नीयत( इच्छा ) लड़की तक पहुंच जाती है। इसलिए किसी लड़की को स्पर्श करने से पहले उनकी नीयत(इच्छा) का पाक होना बेहद ज़रूरी है, जितनी पाक नीयत होगी उतना ही सुरक्षित और निर्दोष स्पर्श  (Touch) होगा। 

हमें लड़के और लड़कियों में सेक्स (यौन ) शिक्षा को आसान बनाना होगा

हमें सिर्फ लड़कों को ही नहीं वरन हमें लड़कियों को भी यह बताना होगा कि वो उन लड़कों के चेहरों, उनके मनोभावों और उनकी मनोदशा को पढ़ना सीखें, जो एक लड़की को ज़िंदगी भर शारीरिक एवं मानसिक रूप से एक कुशल ज़िम्मेदारी के तौर पर संभालने की नीयत रखते हैं।

हमें अपनी लड़कियों को बताना होगा कि खुद को किसी तथाकथित मर्द के हाथों इस्तेमाल होने की बजाए, वे स्वयं को एक ऐसे इंसान को सुपुर्द करें जिसने समाज एवं अपने परिवार में कुशलता से अपना बेटा होना निभाया हो, जिसने अपना भाई होना निभाया हो, जिसने एक लड़की का दोस्त होना निभाया हो।

 ऐसे लड़के पत्थर दिल होने के बाद भी ताउम्र एक नाजुक दिल प्रेमी ही रहते हैं, जो कभी भी आपकी आँखों में आँसू नहीं देख सकते, आपके पीरियड्स के दिनों में आपका ख्याल रखते हैं, आपके गर्भवती होने पर उस प्रक्रिया को खुद भी बराबर महसूस करते हैं, आपको परेशान देख कर उनके चेहरे पर भी शिकन आ जाती है और सबसे अहम कि वो आपको एक बदन से बढ़कर आपको एक बेहतर इंसान और आपको अपना हमसफर समझें और वे आपकी पसंद-नापसंद और अपनी ज़िन्दगी के अहम निर्णयों में आपको भी बराबर का हिस्सेदार मानें।

हमें सेक्स और हमारे मानवीय सम्बन्धों को सहज बनाना होगा

एक सबसे अहम बात जो हमें लड़कों और लड़कियों, दोनों को ही समझानी होगी कि वो सेक्स जैसे एक प्यारे और खूबसूरत प्रक्रिया को बर्बाद और बदनाम होने से बचा लें। हमें अपनी बड़ी होती पीढ़ियों को यह बताना होगा कि सेक्स कोई मौज-मस्ती या अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना नहीं है, बल्कि प्रेम में पूर्ण आत्म-समर्पण का नाम सेक्स है।

मैंने अपने एक अंग्रेज़ी मज़मून( लेख ) में कभी लिखा था कि “Sex is the purest form of expressing love”, हमें नए जवान होते बच्चों को हमें सेक्स की प्रक्रिया इसी ज़ाविए( दृष्टिकोण ) से समझानी होगी कि वो अपनी ज़िंदगी के इतने अहम चरण को अपने शरीर की चंद लम्हों की हवस में कहीं भी किसी के भी साथ ज़ाया( बर्बाद ) ना करें।

 सेक्स तो अपने प्रेम को जताने का एक पाक और स्वयं की सुपुर्दगी से लबरेज़ एक ज़रिया( माध्यम ) है। एक सच्चे और प्यारे   लड़के या लड़की की यादों में सेक्स के दौरान समर्पण की इंटेंसिटी, अपने साथी की आंखों में स्वयं की  सुपुर्दगी और पाक मासूमियत ही अहमियत रखती है, जो कि प्रेम में एक सच्चा हासिल है। अगर इस पूरे तब्सिरे (प्रकरण) को इख़्तेताम (निष्कर्ष ) की ओर लेकर जाएं तो इसका निचोड़ यही है कि सेक्स वो लम्हा है, जब दो रूहें एक होकर स्वयं के शरीर के होने को नकार देती हैं और हर पल प्रेम का हासिल तैयार करती हैं।

याद रखिए, जिस दिन हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के बड़े होते लड़के-लड़कियों को यह समझाने में कामयाब हो जाएंगे, यकीन मानिए उस दिन समाज में ना तो कोई पितृसत्तात्मक सोच रहेगी और ना ही उस सोच को समाप्त  करने के लिए फेमिनिज्म की तलवार की ज़रूरत पड़ेगी।

पढ़िए, लिखिए, और खूब खुश रहिए और कृपया आने वाली नस्लों की मानवीय शिनाख़्त (पहचान ) बचाइए। 

P.S :- फ़ोटो को देख कर जो जजमेंटल माइंडसेट स्ट्राइक करेगा ना उसी को खत्म करने के लिए ये मज़मून लिखा गया है.

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