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जानिए आखिर क्यों पूरे देश की निगाहें नंदीग्राम पर जमी हुईं हैं?

आखिर क्यों पूरे देश की निगाहें नंदीग्राम पर जमी हुईं हैं जानिए?

बंगाल चुनाव में दूसरे चरण के प्रचार अभियान के आखिरी दिन नंदीग्राम में राजनैतिक पार्टियों का  बंगाल की सियासत के लिए शक्ति प्रदर्शन हुआ। चुनावी रैलियों, रोड शो और जनसभाओं के जरिए टी.एम.सी, भाजपा और माकपा के उम्मीदवारों ने वहां के वोटरों को रिझाने के लिए अपना जमकर पसीना बहाया।

वहीं ममता बनर्जी, पिछले चार दिनों से नंदीग्राम में ही डेरा डाल के अपने अलग ही अवतार में रोड शो व जनसभाएं कर रहीं थीं। भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी के समर्थन में प्रचार-प्रसार के लिए गृह मंत्री अमित शाह, पीयूश गोयल समेत कई अन्य नेता भी शामिल थे।

पश्चिम बंगाल की सबसे महत्वपूर्ण सीट है नंदीग्राम 

पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण में गुरुवार को चार ज़िलों के 30 विधानसभा सीटों में वोट डाले जाएंगे, लेकिन देश में  सभी की नज़रें छोटे से कस्बे नंदीग्राम पर होंगी। ये वो जगह है, जहां सियासी घमासान पिछले कई दिनों से देखने को मिल रहा है। इन चुनावों में स्वयं ममता बनर्जी तो चार दिनों से डटी हुई हैं और चुनाव प्रचार कर रही हैं।

उनके मतदान होने तक वहीं रुकने की सम्भावना है। वही शुभेंदु अधिकारी के प्रचार में भाजपा की तरफ से स्वयं गृह मंत्री अमित शाह, पीयूश गोयल समेत कई बड़े स्तर के तमाम नेता भी बंगाल पहुंच गए हैं।

आज चुनाव प्रचार का आखरी दिन था, जो आज थम गया है और इन सब के बीच कई जगहों पर तनाव भी देखने को भी मिला जो अपने चरम पर था। कई जगह भाजपा और टी.एम.सी के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए। लेकिन सुरक्षा बलों ने हालात को संभाला। कुछ जगहों पर ममता दीदी का काफिला जाते देख भाजपा समर्थकों ने जय श्रीराम के नारे लगाना शुरु कर दिया।

ममता बनर्जी ने सोनाचूड़ा की सभा से मतदाताओं से अपील किया कि वे अपने ठंडे दिमाग से मतदान करें, क्योंकि नंदीग्राम को बदलाव का प्रतीक माना जाता है।

पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

नंदीग्राम का भी अपना इतिहास है। ये इस लिए भी जाना जाता है, क्योंकि वर्ष 2007 में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन और आंदोलनकारियों की पुलिस के साथ हुई झड़प में 14 लोगों की मौत की वजह से नंदीग्राम उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में था। इस आंदोलन का नेतृत्व स्वयं ममता बनर्जी ने किया था। इस आंदोलन की बंगाल में ममता बनर्जी को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका रही थी और इस आंदोलन की ज़मीन बनाने वाले व्यक्ति उस समय शुभेंदु अधिकारी थे।

आज समय ऐसा बदला की 2007 मे बंगाल के नंदीग्राम में एक साथ काम करने वाले ममता और शुभेंदु आज उसी नंदीग्राम आंदोलन की विरासत पर अपनी-अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में शुभेंदु ने टी.एम.सी के टिकट पर नंदीग्राम सीट जीती थी लेकिन इस बार वो भाजपा की तरफ से मैदान में हैं।

जहां तक इस सीट के  राजनीतिक गणित की बात की जाए तो नंदीग्राम में 70% हिन्दू और 30% मुस्लिम वोटर हैं। यहां 2 लाख 13 हज़ार वोटर्स में से 1 लाख 51 हज़ार वोटर हिन्दू हैं और 62 हज़ार वोटर मुस्लिम हैं। 2016 मे शुभेंदु अधिकारी ने इस सीट से लेफ्ट के उम्मीदवार को मात दी थी।

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