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होली के साथ मनाई जाने वाली आदिवासी लोक संस्कृति का पर्व ‘भगोरिया’

आदिवासी लोक संस्कृति का पर्व भगोरिया मेला होली के एक सप्ताह तक अलग-अलग गाँवों में लगने वाले हाट बाजार में परंपरागत रूप से रविवार को पारा में उत्साह व उल्लास के साथ लगा। वहीं कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का अभाव रहा।

मेला को लेकर लोगों में भरपूर उत्साह

सुबह से ही ग्रामीण अंचलों से युवक-युवतियां सज-धजकर अपने परंपरागत वेशभूषा के साथ आधुनिक परिधान में आने लगे थे। दोपहर को भगोरिया मेला परवान चढ़ा। भगोरिया मेले में उत्साह चरम पर था। हर कोई अपनी मस्ती में मस्त होकर मेले का मजा ले रहा था। वहीं कोविड 19 को लेकर जिला प्रशासन की स्पष्ट गाइडलाइन पूर्व से जारी नहीं होने से असमंजस कि स्थिति बनी रही।

जिससे व्यापारियों ने सैकड़ों की तादाद में झूले-चकरी व बच्चों के मनोरंजन के साधन लाए। वहीं पान, कुल्फी, आइस्क्रीम, सेव भजिए, मिठाई, चश्मे, नारियल माजम, कांकडी, खजूर, सौंदर्य प्रसाधन के सामान, कपड़े आदि की दुकानें भी बड़ी मात्रा में लगी थी। हर कोई भगोरिया की मस्ती में नाचते-गाते कुर्राटी मारते हुए झूम रहा था।

क्षेत्र के विभिन्न संगठनों व पंचायत ने पीने के पानी की व्यवस्था भरपूर रखी थी। वहीं मन्नतधारी भी मेले में पहुंचे थे। पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद थी। पार चौकी प्रभारी श्याम कुमावत व एएसआई रमेश गेहलोत अपने दल-बल सहित लगातार भगोरिया की सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेते रहे। दोपहर तीन बजे पुलिस ने भगोरिया में झूले-चकरी विशेष आकर्षण के केन्द्र थे। हर कोई झूला झुलने के लिए लाइन में खड़ा था। झूला में झूलने का उत्साह जबरदस्त देखने को मिला है।

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