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“बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से मिलेगी डॉक्टर्स की सुविधा, बिहार के चार दोस्तों की सेहतमंद पहल”

बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से मिलेगी डॉक्टर्स की सुविधा, बिहार के चार दोस्तों की सेहतमंद पहल

लोगों को परेशानी होने पर डॉक्टर की याद आना लाज़िमी है, मगर दर्द से कराहते हुए यदि किसी मरीज़ को सही समय पर डॉक्टर ना मिले, तब उस मरीज़ की जान पर बन आती है। बिहार में गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था वहां के आम- जनमानस के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी का सबब है, क्योंकि बिहार में लोगों को सही समय पर सही डॉक्टर मिलना मुश्किल हो जाता है। अब आप सोचिए कि आपकी सेहत खराब है और सही मौके पर आपको डॉक्टर की सुविधा आसानी से मिल जाए, तब समय पर डॉक्टर मिलने से ना जाने ऐसे कितने मरीज़ों की जान बच जाएगी। जो सही समय पर डॉक्टर ना मिलने पर अपनी दम तोड़ देते हैं।

     

बीआईटी मेसरा में पढने वाले बिहार के चार दोस्तों सुमन सौरभ, ऋतुराज स्वामी, मोहम्मद अमानुल्लाह और प्रिंस कुमार ने इसे सच करके दिखाया है। चार दोस्तों ने अपने परिवार के सदस्यों को डॉक्टर्स के यहां नंबर लगाने के लिए घंटों-घंटों तक खड़ा देखा था और इसके साथ ही उन्होंने महसूस किया कि ग्रामीण इलाकों से आने वाले लोगों के लिए शहरी डॉक्टर से जांच करवाना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि उनकी पहुंच गाँव से बाहर नहीं होती है। इसे समझते हुए उन्होंने साल 2019 में एक स्टार्टअप की शुरुआत की, जिसका नाम मेडिशाला रखा गया।

वीडियो कॉल पर मिलेगी स्वास्थ्य सम्बन्धी सारी सुविधाएं

मेडिशाला के को-फाउंडर अमानुल्लाह का कहना है कि ग्रामीण बिहार में स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को दुरुस्त करने की पहल ही मेडिशाला है, जिसके द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अंतर को कम किया जा सकता है। यह एक ऐसी पहल है, जिसके तहत गाँव और दूर-दराज में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं घर बैठे दी जाएंगी।

मेडिशाला एप को लोग अपने स्मार्टफोन में गूगल प्ले स्टोर से इंस्टॉल कर सकते हैं, जिसके बाद वह फोन से ही डॉक्टर्स के यहां अपना नंबर लगा सकते हैं। यह एक ऐसा प्रयास है, जिससे लोगों के पैसों की बचत होगी और आने-जाने के दौरान होने वाली थकान से मरीज़ों एवं उनके परिजनों को राहत मिलेगी। इसके द्वारा मरीज़ ऑनलाइन ही वीडियो कॉल के द्वारा डॉक्टर से जुड़ सकता है। मेडिशाला की फीस को भी बहुत कम रखा गया है, जो 60-200 रुपयों के बीच है।

 

ई-क्लिनिक पर भी मौजूद हैं सारी सुविधाएं

इसके साथ ही जो लोग टेक्सेवी नहीं हैं, उनके लिए भी मेडिशाला काम करता है। समस्तीपुर और बाराही में मेडिशाला के ई-क्लिनिकों पर जाकर लोग वहां मौजूद क्लाइंट से डॉक्टर के यहां अपना नंबर लगवा सकते हैं। उसके बाद वहां मौज़ूद मरीज़ को वीडियो कॉल के द्वारा डॉक्टर से बात करवाई जाती है।

इसके साथ ही डॉक्टर द्वारा मरीज़ को बताए गए टेस्ट्स भी करवाकर रिपोर्ट डॉक्टर को भेज दी जाती है। उसके बाद डॉक्टर मरीज़ की प्रिस्क्रिपशन मेल द्वारा भेज देते हैं, जिसे मरीज को सौंप दिया जाता है। मेडिशाला की टीम में कुल 25 लोग हैं, जिसमें 500 डेली एक्टिव यूज़र्स हैं। इसके साथ ही समस्तीपुर और बाराही में मौजूद ई-क्लिनिक में 350 से ज़्यादा डॉक्टर और मरीज़ एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का अंदाज़ा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि बिहार में 17,685 लोगों पर केवल 1 डॉक्टर ही मौजूद है। 

घरवालों की परेशानियों से आया आइडिया

सुमन सौरभ का कहते हैं, भले ही शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हों, लेकिन वे अभी भी ग्रामीण आबादी की पहुंच से बहुत दूर हैं। गाँवों से शहरों के लिए आवागमन की उपलब्धता अधिक नहीं है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ से अक्सर तबाही होती है, जिससे बीमार लोगों की संख्या बढ़ जाती है और साथ ही भारी रूप से घायल और लावारिस मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है।

प्रिंस कुमार का कहना है, मरीजों और रिश्तेदारों को डॉक्टर के परामर्श के लिए सुबह 3 बजे से कतार में लगना पड़ता था। कभी-कभी केवल यह पता चलता था कि डॉक्टर उपलब्ध ही नहीं होगा। हमने देखा कि शहर के अस्पतालों में जाने वाले लगभग 70 प्रतिशत रोगी ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। इसके साथ ही अधिकांश रोगी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक सूचनाओं और सेवाओं से वंचित हैं।

असल मुश्किल स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े से है

अमानुल्लाह ने आगे बताया कि भले ही हमारी प्रतिस्पर्धा स्वास्थ्य सेवा देने के नाम पर होने वाले फर्जीनामे से है, क्योंकि लोग कई बार गलत लोगों के हाथों में आ जाते हैं। इसके पीछे लोगों के बीच जागरुकता की कमी का होना है।

आगे के प्लान के बारे में उन्होंने बताया कि अगले आने वाले 12-18 महीनों में उनका शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 100 फार्मेसी खोलने का इरादा है। टीम के लोगों का उद्देश्य लोगों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा की ओर अग्रसर करना है, जिसके लिए वह लगातार काम कर रहे हैं।

मेडिशाला स्टार्टअप को पूर्व-त्रिवागो इंडिया के प्रमुख अभिनव कुमार द्वारा निर्देशित किया गया है, जो वर्तमान में पेटीएम में वीपी प्रोडक्ट मार्केटिंग हैं। इसके साथ ही सोशल एंटरप्रेन्योर रंजन मिस्त्री, उद्योग विशेषज्ञ संजय चक्रवर्ती और अभिषेक सिंह शामिल हैं।

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