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“देश जहां बलात्कार पर चुप्पी, मगर प्रेम के खिलाफ कानून बनते हैं”

भारत की न्याय व्यवस्था की स्थिति इतनी जर्जर हो चुकी है, कि यदि पीड़ित के परिवार वाले न्याय के लिए न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाते हैं तो यह भी उनपर भारी पड़ जाता है। ऐसा करने पर आरोपी के द्वारा उनके पूरे परिवार को खत्म करने की कोशिश की जाती है। ऐसा कोई एक मामला नहीं, उदाहरण भरे पड़े हैं।

कई उदाहरण ऐसे जब प्रशासन अपराधियों के साथ खड़ा रहा

हमारा प्रशासन पीड़ित और पीड़ित के परिवार वालों को सुरक्षा देने में नाकाम रही है जिसका उदाहरण हमने उन्नाव केस में देखा है। उन्नाव केस में आरोपी विधायक ‘कुलदीप सिंह सेंगर’ खुद एक जनप्रतिनिधि था। उत्तर प्रदेश में महिलाओं और दलित समुदाय पर होने वाले अपराधों की घटना हमें ज़्यादा दिखाई देती है।

आये दिन खबरों में ऐसा पढ़ने को मिला है, जब पुलिस में शिकायत करने पर पीड़िता या उसके परिजनों को मार दिया गया है। उदाहरण इतने सारे हैं कि अपराधियों के बीच यह एक ट्रेंड बन गया है और जिसमें बड़े सहयोगी होती है प्रदेश की पुलिस।

उन्नाव और हाथरस जैसी घटनाएं भी सामने आए हैं, जिसमें प्रशासन की कमियों के कारण पीड़ित परिवार को बड़ी समस्याओं से गुजरना पड़ा। प्रशासन ने अपराधियों को बचाने की भी कोशिश की, जिससे यह साफ है कि यूपी में अपराध का इतना बढ़ना प्रशासन की चूक नहीं बल्कि उनकी भी इन अपराधों को बढ़ाने में संलिप्तता है।

क्या कहते हैं अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन औसतन 88 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसका मतलब हर 16 मिनट पर एक महिला के साथ बलात्कार का मामला सामने आया। भारत में साल 2019 में 32,033 बलात्कार के केस दर्ज हुए जिसमें 11 प्रतिशत दलित महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न है।

हैरानी की बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में लगभग 31 प्रतिशत अपराधी महिला के परिवार या रिश्तेदार हैं। साल 2018 में 58.8 (प्रति लाख महिला पर) रेप के मामले थे, जो 2019 में बढ़कर 62.4 हो गया था।

उत्तर प्रदेश से 3065 बलात्कार के मामले दर्ज हुए। दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश भारत को माना गया है, तो स्वाभाविक रूप से प्रदेश में उत्तरप्रदेश।

ऊंची जाति की लड़की से प्रेम करना महंगा पड़ गया

1 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मेरठ से अपहरण और बलात्कार का एक मामला सामने आया। चार अपराधियों ने पीड़िता को ट्यूशन से लौटते वक्त अगवा करने के बाद उसके साथ बलात्कार किया। पीड़ित परिवार का कहना है कि उनकी बच्ची के साथ उन चार अपराधियों ने सामूहिक बलात्कार किया और फिर पीड़िता को जहर पीने के लिए मजबूर किया। वो उसे एक निजी अस्पताल में ले गए जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

31 मार्च को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिला में एक युवक को बड़ी ही बेरहमी से इसलिए मारा गया क्योंकि वह एक कथित ऊंची जाति की लड़की से प्रेम करता था। पीड़ित को लड़की के पिता और उसके तीन भाइयों ने लोहे की रॉड, लठ और बेल्ट से बहुत पीटा। साथ ही उसके गुप्तांग पर भी मारा गया।

यह घटनाएं हमने इसलिए लिया है, क्योंकि दोनों घटनाएं जो ऊपर से दिखने में अलग-अलग लग रहे हैं उसका संदेश एक ही है। यूपी में वर्तमान में एक ऐसी सरकार मौजूद है जो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की बात कहती है। भारतीय जनता पार्टी का जन्म और विकास दक्षिणपंथी विचारधारा को लेकर हुआ है जिनकी सोच घोर मनुवादी और सांप्रदायिक है।

जातिवादी समाज में महिलाओं का भी बराबर उत्पीड़न होता है

दोनों ही घटनाओं में महिला की स्वतंत्रता को निशाना बनाया गया है और जातिवादी मानसिकता की भी झलक देखने को मिलती है। महिला सड़क पर आज़ाद चल सके इसकी सुरक्षा हमारा प्रशासन देने में नाकाम रहा है। जो दो अपराधी मेरठ केस में पकड़ गए हैं उनकी उम्र ‘अठारह’ और ‘उन्नीस’ साल है।

इन किशोर लड़कों की मानसिकता का स्वरूप कहीं न कहीं हमारे समाज और प्रशासन में बैठे उन लोगों की देन है जो एक महिला को दोयम दर्जे का मानते हैं। जिनकी सोच पितृसत्तात्मक है। जो मानते हैं कि महिला का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है और महिलाएं पुरुषों के अधीन हैं।इसी मानसिकता के कारण किसी से प्रेम करने की स्वतंत्रता को भी बाधित किया जाता रहा है।

जातिवादी मानसिकता के लोगों को इस बात से परेशानी है कि प्रेम पर कोई भी जातीय बंदिश काम नहीं आती। इसलिए उन्होंने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर प्रेमियों को प्रताड़ित किया है| एक जातिवादी मानसिकता वाले समाज में जितना दलित समुदाय पीड़ित होता है, उतना ही प्रताड़ित समाज की महिलाएं भी होती हैं।

उन्हें पुरुष के अधीन अपना जीवन यापन करना पड़ता है।

रिप्ड जीन्स पर संस्कारी होने का सर्टिफिकेट देते मुख्यमंत्री

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत हाल ही में महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी की थी। उनका मानना है कि एक रिप्ड जीन्स पहनी महिला अपने बच्चों को क्या संस्कार देगी? उनकी राय में रिप्ड जीन्स पहनी महिला को समाज के बीच नहीं जाना चाहिए। यह बयान नारी सशक्तिकरण को कितना बढ़ावा देगा आप सोच सकते हैं?

उनके ऐसे बयान के बाद भी उनका मुख्यमंत्री पद पर बने रहना समाज में ऐसी मानसिकता को बढ़ावा देता है, जो महिलाओं को दबाना चाहते हैं। यह बयान केवल बीजेपी के मंत्रियों द्वारा ही दिया जाता है ऐसा नहीं है, बल्कि सभी पार्टियों में ऐसे कई नेताओं की भरमार है जिनके हाथ महिला उत्पीड़न से रंगे हुए हैं।

भारत में एकमात्र महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं जिससे यह पता चलता है कि हमारा समाज राजनैतिक तौर पर महिलाओं की भागीदारी में कितना पिछड़ा हुआ है। भारत का प्रशासनिक स्वरूप समाज में महिलाओं की भागीदारी को बाधित कर रहा है, जिसके कारण महिलाएं समाज में उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं।

बलात्कार के खिलाफ कोई कदम नहीं, प्रेम के खिलाफ कानून

यूपी में लव जिहाद का खूब हल्ला है कि मुस्लिम समुदाय के पुरुष, हिन्दू महिलाओं को प्रेम के जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। जिसको लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून भी बना दिया है। जब सरकार का रवैया सांप्रदायिक और भेदभाव पूर्ण हो तो सामाजिक स्थिति का बिगड़ना लाज़मी है। समाज में प्रेम को धार्मिक और जातीय नजरिए से देखा जा रहा है, जिसे हमारा संविधान कहां उचित ठहराएगा?

लव जिहाद के अधिकतर मामलों में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं पाई गई है, बल्कि लव जिहाद जैसा कोई शब्द ही नहीं था। इसे धार्मिक वैमनस्य बढ़ाने के लिए लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि इस मामले से संबंधित कोई स्पष्ट आंकड़े भी मौजूद नहीं हैं।

यूपी सीएम जितना कड़ा रूख मुस्लिम समुदाय के खिलाफ लिया करते हैं, उतना ही वह रूढ़िवादी विचारों का समर्थन करते हैं। क्या वह यूपी में बलात्कार जैसे मामलों को रोकने के लिए तमाम जातिवादी और पितृसत्तात्मकता सोच के खिलाफ कारवाई करेंगे? शायद ऐसा कर पाना उनके लिए मुश्किल है क्योंकि उनका यह पद भी इसी मानसिकता की देन है।

इसलिए महिलाओं को अब खुद लड़ना पड़ेगा| महिलाएं जबतक खामोश रहेंगी तब तक ज़ुल्म बढ़ता रहेगा। समाज की बागडोर महिलाओं के हाथ में भी होना चाहिए, जिससे वह अपनी सुरक्षा खुद कर सकें।

सरकार का स्वरूप बदलने की आवश्यकता है क्योंकि सरकार ही एक मात्र माध्यम है, जिसकी सहायता से समाज में सभी की सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।

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