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“कोरोना को हराना है, अपने लिए और अपनों के लिए”

"कोरोना को हराना है, अपने लिए और अपनों के लिए"

कोरोना को शुरुआत से ही हमारे देश भारत में एक मज़ाक की तरह लिया जा रहा है। पिछला साल हम सबने देश में चरणीय लॉक डाउन की प्रक्रिया में निकाल दिया। उस समय सभी को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा और जिनके घर में किसी परिजन की कोरोना से मौत हुई उनका हाल तो कोई बयान भी नहीं कर सकता कि उनके अंतिम समय में उनके परिजनों को उनकी बॉडी तक नहीं मिली थी।

यह एक ऐसी बीमारी है, जो सिर्फ उस इंसान को मौत की तरफ नहीं बल्कि, पूरे परिवार, मोहल्ले, शहर को अपने चपेट मे ले लेती है। इसका दुष्प्रभाव सिर्फ इंसान को शरीर से ही नहीं बल्कि, आर्थिक एवं मानसिक रूप से तोड़ देता है। इसके संक्रमण की संभावना ही दुकान, ऑफिस सब बंद करवा देती है। इंसान को इंसान से दूर कर देती है। एक माँ को अपने छोटे बच्चे से अलग कर देती है। 

लेकिन, हमें क्या हमें नहीं हुई है यह बीमारी तो हम क्यों मास्क पहनें,  हम क्यों एक-दूसरे से उचित दूरी बना कर रहें। यही सोच वालों की वजह से आज कोरोना नामक इस बीमारी ने अपने दुबारा से पैर पसार लिए हैं। यह हमें दुबारा से हर तरीके से तोड़ने आ रही है। अभी भी वक्त है कि इसकी चैन को तोड़ने का और इसे फैलने से रोकने के उपाय किए जाएं।

आप सभी से मेरा हाथ जोड़ के विनम्र निवेदन है कि कृपया मास्क लगाए ,वैक्सीन लगवाएं और दूसरों को भ्रमित नहीं उन्हें प्रेरित करें वैक्सीन लगवाने और मास्क लगाने के लिए। 

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