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“पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन के बीजेपी में शामिल होने से समाजवादी पार्टी की क्या क्षति है?”

"पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन के बीजेपी में शामिल होने से समाजवादी पार्टी की क्या क्षति है?"

अन्य दलों के मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता, आज समाजवादी पार्टी के मुस्लिम नेताओं और आम कार्यकर्ता से यह सवाल पूछ रहे हैं कि आज पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन भाजपा के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं। इसके साथ ही योगी, मोदी और भाजपा की चुनावी रैलियों में प्रचार-प्रसार कर रही हैं। अब क्या हुआ इन लोगो को ये किस के एजेंट हो गए हैं? धर्मेंद्र यादव और उनकी बहन किस पिच से खेल रहे हैं? जरा बताइए कि वो पिच का रंग लाल है या नारंगी।

समाजवादी पार्टी के वो मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता जरा मुस्लिम समाज को भी यह बताएं कि जिन्होंने 2019 के चुनावों मे धर्मेंद्र यादव के लिए मुस्लिम समाज से झोली फैला कर वोट मांगा था, समाज भी जानना चाहता है की क्या हमारा वोट भाजपा के एजंटो के लिया मांगा गया था? समाजवादी पार्टी में वो मुसलमान चाहे वो नेता के रूप मे हों या कार्यकर्ता की हैसियत मे हों या फिर पार्टी के लिए मेहनत करने वाले और अपनी जवानी कुर्बान करने वाले मुस्लिम नौजवान हों सब को, पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव जी की बहन ने शर्मिंदा करने के साथ ही उनकी बोलती भी बंद कर दी है।

धर्मेंद्र यादव की बहन के बीजेपी में जाने से समाजवादी पार्टी में असंतोष की लहर 

वो अपने समाज के लोगो का फोन तक नहीं उठा पा रहे हैं और उनके पास इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं है।  आज पूरा मुस्लिम समाज पूर्व संसाद धर्मेंद्र यादव जी की बहन के इस कार्य से अपने आप को बड़ा ठगा महसूस कर रहा है। इसके साथ ही समाज के भीतर धर्मेंद्र यादव को ले कर बड़ी हताशा और निराशा भी है। मुस्लिम समाज अब यह भी देखना चाहता है कि मा० अखिलेश यादव जी समाज की इस हताशा और निराशा का क्या निष्कर्ष निकालते है?

वो कैसे मुस्लिम समाज के साथ ही उन मुस्लिम नेताओं, कार्यकर्ताओं और जवानी कुर्बान करने वाले नौजवानों का मनोबल बढ़ाते हैं, क्योंकि अब मुस्लिम समाज को अपने पाले में रखने के साथ ही साथ अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं को कैसे संतुष्ट करते हैं। यह अब उनके लिए एक बड़ा चैलेंज होगा।

मैं एक बात और रेखांकित करना चाहता हूं कि मुस्लिम समाज इस मुद्दे को लेकर अति गंभीर है और पूरे समाज के साथ ही पार्टी के शुभचिंतक, कार्यकर्ता, और मुस्लिम नेता आज अखिलेश यादव जी के कठोर, निर्णायक, निर्णय ( फैसले) का बड़ी उत्सुकता (बेसब्री) से इंतजार कर रहे हैं, ताकि अन्य दलों के मुस्लिम नेताओं को सपा के मुस्लिम नेता, कार्यकर्ता, उन्हे उचित उत्तर देकर उनकी जबान पर ताला मार सकें।

मुस्लिम समुदाय के नेताओं, कार्यकर्ताओं और नौजवानों में अस्थिरता 

आज जो गंभीर स्थिति पूर्व संसाद धर्मेंद्र यादव की बहन के बीजेपी मे जाने की वजह से समाज के भीतर बनी है और उनके इस स्वार्थी कार्य की वजह से मुस्लिम समाज के भीतर जो भिन्न-भिन्न प्रकार की भ्रांतियां फैली हैं या मीडिया द्वारा फैलाई जा रही हैं। उन पर पूर्ण रूप से विराम लग जाएगा या मुस्लिम समाज के भीतर समाजवादी पार्टी के प्रति असंतोष, अस्थिरता, आपसी सौहार्द जो खंडित हुआ है उस पर पुनः विश्वास स्थापित हो जाएगा।

क्योंकि, मुस्लिम समाज मोहम्मद आज़म खान साहब से बड़ा प्रेम करता है और आज़म खां के समाजवादी पार्टी में  बने रहने की वजह से उसका आत्मयी लगाव अखिलेश यादव से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए समाज नहीं चाहता कि  अखिलेश यादव कमजोर हों बल्कि, जो लोग अखिलेश यादव और मुस्लिम समाज के बीच एक खाई / दरार पैदा करना चाह रहे हैं उन्हे ही अखिलेश यादव अपने फैसले से आईना दिखाने का काम करें।

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