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“शिक्षित युवाओं से लेकर रेहड़ी-पटरी वाले तक सब इस सरकार से परेशान हो चुके हैं”

कोरोना के इस दौर में आज की परिस्थितियां गरीब, मध्यम वर्ग, छात्र और कुटीर उद्योग वाले श्रमिक जो कि पहले ही आर्थिक रूप से काफी पिछड़े हुए हैं, उनके लिए स्थिति आर्थिक और मानसिक रूप से काफी परेशान करने वाली है।

जुमलेबाजी की सरकार बस कांग्रेस को दोष देने में व्यस्त

वर्तमान केंद्र सरकार यानी नरेंद्र मोदी सरकार ने कभी भी हॉस्पिटल, स्कूल, कॉलेज या बड़े-बड़े संस्थानों को बनाने में ध्यान दिया ही नहीं। ना कभी शैक्षणिक स्तर को बढ़ाने की बात की और ना ही आर्थिक स्थिति को सुधारने की बात की। हर बार बस सरकार बनाने के लिए तमाम तरह के झूठे वादे।

जनता को बस जाति और धर्म के नाम पर लड़ाया गया। चाहे वह दो करोड़ रोज़गार की बात हो, हर जिले में कॉलेज की बात हो, या कई शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की बात हो, हर तरफ झूठ को व्यापक तौर पर मीडिया द्वारा फैलाया गया जिसका नतीजा आज यह देश भुगत रहा है।

कांग्रेस सरकार ने अपने राज में तमाम गलतियां की हो लेकिन कांग्रेस ने हमेशा जनता को कार्य करके दिखाया है। चाहे वह बड़े-बड़े संस्थानों की बात हो, रोज़गार की बात हो, किसानों के लिए कर्ज़ माफी की बात हो या अन्य तमाम बड़े स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल व शैक्षणिक संस्थानों को बढ़ावा देने की बात हो।

कांग्रेस की योजनाएं सदैव गरीब, दलित, मध्यमवर्ग और वंचित समाज के हित में दिखाई देती रही है। जिस व्यक्ति पर इतना खर्च कर उसको पप्पू घोषित करने की योजना बनाई गई, आज उसकी बातें देश में सच हो रही हैं, जिसके चलते देश आज कांग्रेस के राज को याद कर रहा है।

शिक्षित युवाओं से लेकर रेहड़ी-पटरी वाले तक सब परेशान

तमाम छात्रों से बात करके पता चलता है कि एग्ज़ाम की स्थिति बहुत सही नहीं है। एडमिट कार्ड लेट आता है। आ भी गया तो परीक्षा स्थगित हो जाती है। परीक्षा हो भी गई तो रिज़ल्ट लेट आता है। रिज़ल्ट आ भी गया तो गड़बड़ी के चलते कोर्ट में मामला चला जाता है।

आज नौकरी की ये स्थिति हो गई है, कि जो छात्र तमाम बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर घूम रहे थे आज उन्हें एक प्राइवेट जॉब तक नसीब नहीं है। गांव की गलियों से निकलकर शहरों में पढ़ने आए तमाम छात्रों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है।

छोटे-छोटे शहरों में तमाम तरह की रेहड़ी-पटरी लगाने वाले, कुटीर उद्योग चलाने वाले, अपनी-अपनी दुकानों पर समान सजाकर बेचने वाले आर्थिक रूप से पिछड़ते चले जा रहे हैं। ये वो लोग हैं, जो रोज़ कमाते हैं और रोज़ खाते हैं। बचता है तो घर-परिवार की व्यवस्थाओं में लगाते हैं।

सरकार समझ नहीं रही है कि जिस दिन इन लोगों को समझ आ गया कि इस व्यवस्था के पीछे नरेंद्र मोदी सरकार का झूठा दिखावा है, उस दिन ये लोग इस सरकार को गिराने में जरा भी संकोच नहीं करेंगे।

सभी समस्याओं को देखते लगता है कि यह स्थिति एक बड़ी आर्थिक महामारी या बड़ी आर्थिक त्रासदी लेकर आने वाली है। जिसका प्रभाव इन वर्गों पर सीधे तौर पर पड़ेगा। सरकार को इनके लिए सुविधाजनक नीति बनाते हुए एक कुशल नेतृत्व का परिचय देना चाहिए।

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