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“झारखण्ड : मनरेगा योजनाओं की असल वास्तविकता”

"झारखण्ड : मनरेगा योजनाओं की असल वास्तविकता"

मनरेगा में डोभा निर्माण कार्य शुरू से ही विवादों में रहा है। ऐसे में विवादों के लाल घेरे में मनिका प्रखंड में मनरेगा योजना के तहत बन रहा डोभा भी आ जाता है। मनिका प्रखंड महकमे के नाक तले भदई बथान स्कूल के पूर्व नदी के उस पार टोंगरी के एक वर्ग किलोमीटर में इन दिनों आधे दर्जन से अधिक डोभा निर्माणाधीन हैं। 80X80 फिट एवं 10 फिट गहराई वाले प्रत्येक डोभा की अधिकृत राशि 3.23 लाख है।

24 मनरेगा मज़दूरों का नाम रजिस्टर्ड, काम कर रहें केवल 3

ऐसी योजनाओं की सच्चाई जब धरातल तौर पर देखी जाती है तब समझ में आता है कि इनके निर्माण में लगे मनरेगा मज़दूरों की जो 24 सूचियां तैयार की गई हैं, वह वास्तविकता में कहीं हैं ही नहीं। सन्तु पासवान के डोभा में जहां 24 मज़दूरो का नाम जहां मस्टर रोल में दिखाया गया है, वहां सिर्फ 3 मज़दूर (कबूतरी देवी, रामनंदन यादव और प्रयाग) ही कार्य कर रहे थे।

इसी प्रकार उमेश पासवान के डोभा में स्वयं सहित 2 अन्य उपस्थित पाए गए। जबकि मस्टर रोल में 32 लोगों के नाम दर्ज थे। ठीक इसी तरह भदई बथान स्कूल के पूर्व नदी के उस पार टंगरी के चारों ओर 7 डोभाओं में सिर्फ 2 पर ही खुदाई का काम चल रहा था। जहां जांच टीम के पहुंचने से पहले ही बिचौलियों ने मज़दूरो को भगा दिया था।

बिचौलियों की मनाही के बावजूद मनरेगा योजना पर रहता है इनका प्रभाव

मनरेगा अधिनियम की अनुसूची II की धारा 21 में ठेकेदारों और बिचौलियों पर मनाही के बावजूद मानिक में मनरेगा योजनाओं पर बिचौलिए संलिप्त हैं। यहां आपको बस कुछ उदाहरण द्वारा मनरेगा के तहत चल रही योजनाओं के सच से पर्दा हटाना होगा। जहां पर आपको पूरी की पूरी सच्चाई एक साथ देखने को मिल रही है। परंतु, यह कोई पहली मनरेगा योजना नहीं है जहां सरकारी काम को झूठ की सतह तले दबा दिया जाता है। ऐसी कई योजनाएं हैं, वे धरातल में आम लोगों के लिए आती जरूर हैं परंतु, सरकारी हथकंडो में दबी रह जाती हैं।

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