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“आइए ‘विश्‍व पृथ्वी दिवस’ पर धरती को हरा-भरा बनाने का लें संकल्‍प”

"आइए 'विश्‍व पृथ्वी दिवस' पर धरती को हरा-भरा बनाने का लें संकल्‍प"

पृथ्वी दिवस या अर्थ डे मनाने की चीज़ नहीं है, यह पृथ्वी का ख्याल रखने की बात है। पृथ्वी अपना गुस्सा कभी भूकंप, कभी बाढ़, कभी अन्य प्राकृतिक आपदाओ से जाहिर कर देती है। हम उस गुस्से को प्राकृतिक आपदा कहकर टाल देते हैं, उससे निपटकर अपनी नई ज़िन्दगी शुरु कर देते हैं। पृथ्वी को हर रोज़ पूरी मानवता से जो ज़ख्म मिलते हैं। हम उसके बारे में थोड़ा सा भी ख्याल नहीं करते हैं। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है, लेकिन हम कभी सोचते ही नहीं है और यह कब तक चलता रहेगा? कहीं एक दिन ऐसा ना हो कि हमारी वजह से पृथ्वी की सांसे ही रुक जाएं!

हर साल की तरह 22 अप्रैल को हम फिर पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। बहुत सारे अभियान चल रहे हैं, सेमिनार हो रहे हैं और अप्रैल का महीना खत्म होते ही फिर से ये सारी बातें हवा हो जाएंगी। हम सब जानते है कि औद्योगिकीकरण, प्रदूषण और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हमारी पृथ्वी को नुकसान हो रहा है। लेकिन, हम जानते ही नहीं हैं  कि हम अपने स्तर पर क्या करें? जिससे हम पृथ्वी को बचाने में अपना सहयोग कर सकें।

आज हमें ज़रूरत है, तो बस एक सोच के साथ आगे आने की जिससे अपनी पृथ्वी का संरक्षण हम स्वयं करें। बेशक यह प्रयास छोटे ही हैं। परंतु, हमारे द्वारा छोटे-छोटे प्रयास मिल-जुलकर किए जाएं तो हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए हम अपने बच्चों में इन आदतों को ढ़ालकर उन्हें अनुशासित करने के साथ-साथ स्वयं भी अनुशासित हो सकते हैं। हम अपनी आदतों में कुछ सुधार करके यह काम तो कर ही सकते हैं।

हर पल हम बिजली बचाएं

हम और आप दो सेकण्ड भी बिजली बचाते हैं, तो वह हमारा कार्य ऊर्जा को बचाने में सहयोग दे सकता है। अक्सर हम सबों के घरों में लाइट, पंखे, कूलर, एसी कभी-कभी बिना वजह के चलते रहते हैं। हम थोड़ा सा सहज हो कर  पृथ्वी को गर्म होने से बचा सकते हैं। बस आप जब भी कमरे से बाहर निकलें तो उस समय सभी स्विच ध्यान से बंद कर दें। इसी तरह सही समय पर बिजली उपकरण को बदलकर भी हम बिजली की खपत को कम कर सकते हैं। जैसे-जैसे हम इलेक्ट्रानिक वाहनों के प्रयोग की दिशा में बढ़ रहे हैं। उस से हम सब ऊर्जा संरक्षण में अपना अमूल्य सहयोग दे रहे हैं।

वाहनों का ख्याल और पब्लिक ट्रान्सपोर्ट का इस्तेमाल

आज पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों की वजह से हम ट्रैफिक सिग्नलों पर अपना वाहन बंद करने लगे हैं। अगर हम अपने वाहनों का पोल्यूशन चेक समय-समय पर करवाते रहें, अपने वाहनों की समय से सर्विसिंग कराएं, तो बेवजह बर्बाद होने वाले ईंधन की खपत को कम कर सकते हैं। इलेक्ट्रानिक वाहनों का प्रयोग भी इस दिशा में एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसी तरह कारपूल, पब्लिक टान्सपोर्ट का इस्लेमाल या हफ्ते में कुछ दिन अपने वाहन का प्रयोग ना करके हम काफी मात्रा में ईंधन की खपत को कम कर सकते हैं। इससे ईंधन की कम खपत तो होगी ही, प्रदूषण को कम करने में भी हम काफी सहयोग कर सकेंगे।

 पानी की बचत को करें प्रोत्साहित

हमें शावर से नहाने में मज़ा तो ज़रूर आता है, पर उसमें पानी की खपत, बाल्टी भर पानी से अधिक होती है। इसलिए जितना हो सके बाल्टी में पानी भरकर नहाएं, यह काफी पानी के व्यय को कम कर सकता है। कई बार शैम्पू करते समय या टूथब्र्श/सेव करते समय हम अपने नलों को खुले छोड़ देते हैं, जिससे थोड़े समय में भी काफी पानी की बर्बादी होती है।

आजकल सबके घरों में शुद्ध पानी के लिए हर घर में वॉटर प्यूरीफायर लगाया ही जाता है, लेकिन इस वजह से काफी पानी बर्बाद होता है, जिसका अक्सर कोई इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस पानी का इस्तेमाल पेड़-पौधे में, सब्जी धोने में, पोंछा लगाने में ही नहीं बल्कि, जूठे बर्तनों को धोने में भी कर सकते हैं। बस हमें ज़रूरत है कि हम प्यूरीफायर वाले पानी का संग्रह करें।

कागजों का उचित उपयोग और कम उपयोग करना है ज़रूरी

हमारे दैनिक जीवन में हम मसलन एटीएम में ट्रांसजेक्शन रसीद का उपयोग ना करके, पेपर नैपकिन का कम उपयोग करके, दफ्तरों में डबल साइड प्रिंटर लेकर, सहकर्मियों को मेल या मैसेज के माध्यम से संपर्क करके, डिजिटल पानी, बिजली बिल या महीने के समानों का बिल मंगाकर ऑनलाइन भुगतान करके, अगर अखबार लेते हैं तो उसको पेपर बैग बनाकर, दूध या सब्जी लेते समय कपड़ों का थैला इस्तेमाल करके, बच्चों के लिए डाइपर्स की जगह कपड़ों के नैपकिन का इस्तेमाल करके बहुत सारे कामों में कागज का कम इस्तेमाल करते हुए हम कागज का उपयोग अपने जीवन में कम से कम कर सकते हैं। हमारी यह कोशिश पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

ई-कचरे, को सही तरीके से करें इस्तेमाल

हमारे घरों में कुछ वस्तुए ई-कचरे की श्रेणी में आती हैं जैसे- टीवी रिमोट, खिलौने, घड़ी, खराब मोबाइल, यूज़ की हुई बैटरी, कभी-कभी खराब लैपटॉप और अन्य कई इलेक्ट्रानिक आइटम इनको हम साधारण कचरे में फेंक देते हैं। इनसे निकलने वाला टाक्सिन एसिड और केमिकल हमारे पर्यावरण के लिए बहुत अधिक हानिकारक होता है। हमें ज़रूरत है कि हम इन चीज़ों को जमा करें और उन संस्थाओं या कंपनियों से संपर्क करके दान करें जिससे वे इन चीज़ों को सही तरीके से रिसाईकल कर सकें।

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