Site icon Youth Ki Awaaz

‘सासू मां नहीं सिर्फ मम्मी कहिए, अच्छा लगेगा’

सासू मां नहीं सिर्फ मम्मी कहिए, अच्छा लगेगा

एक तुम्हारा होना क्या से क्या कर देता है, बेजुबान छत दीवारों को घर कर देता है।

यह पंक्तियां माहेश्वर तिवारी जी की हैं, जो अपने आप में बहुत कुछ कहती हैं। यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि आज भी हमारे समाज में बेटियों के होने पर उतनी खुशी नहीं होती जितनी एक बेटे के होने पर होती है। महिला सशक्तिकरण, नारी अस्मिता, नारी सम्मान और  बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे बुलंद होते हैं, होते रहेंगे लेकिन एक बेटी आज भी समाज के परिवेश के हर क्षेत्र में स्वयं को ‘असुरक्षित’ महसूस करती है।

अपने पड़ोस में रहने वाले अंकल से, स्कूल के चपरासी से, जॉब में अपने बॉस से, शादी के बाद अपने देवर और जेठ से, होली के नाम पर होती बदतमीजियों से, मजाक के नाम पर होते शाब्दिक शोषण से और हर जगह उन्हें एक डर का सामना करना पड़ता है।मैं उम्मीद करती हूं कि यह डर एक ना एक दिन खत्म होगा लेकिन असल बात यह है कि शादी के बाद आज भी एक लड़की ससुराल जाती है तो वो अपने ससुर में पिता और सास में माँ को तलाश करने की कोशिश करती है।

लेकिन, कहीं ना कहीं वो उन्हें अपने मां-बाप के रूप में स्वीकार नहीं कर पाती है। कभी ना कभी सासू मां सास बन जाती हैं और ससुराल में पिता जी ससुर वाला रूप दिखा ही देते हैं। हालांकि, बहू भी बहू ही बनकर रहती है, सबसे पहले तो एक लड़की को शादी के बाद अपने घर परिवार को अच्छे से समझ लेना चाहिए।

जब वो अपने पूरे घर- परिवार को छोड़कर एक नए घर, नए परिवार में आ गई है तो उसे अपनी ससुराल को ही अपना घर मानकर वहां के नियमों को समझना चाहिए और वहां के तौर-तरीकों को अच्छे से समझना चाहिए। 

एक महिला को अपनी मनमानी एवं महत्वाकांक्षाओं के बजाय ससुराल के परिवेश को समझना चाहिए  

यह समझने के लिए उसे अपने पति से भरपूर संवाद करना चाहिए और अपनी ससुराल के इतिहास को जानने में नहीं बल्कि ,वर्तमान को बेहतर बनाकर भविष्य के लिए अच्छा सोचना चाहिए। वहां के सदस्यों की पसंद-नापसंद को समझना चाहिए और फैसला देने के बजाए राय सुझाव देने पर ज्यादा फोकस करना चाहिए।

कई बार छोटी-छोटी बातें आगे चलकर एक बड़े विवाद को जन्म देती हैं। इसलिए उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि छोटी-छोटी बातों का बतंगड़ ना बने बल्कि, आपसी मतभेद भी घर के अंदर ही हल हो जाएं। टीवी की दुनिया जैसी सास-बहू दिखा रही है, हमारे समाज में रिश्ते ऐसे नहीं होते हैं, अपनी मनमानी और महत्वाकांक्षा ही विवादों को जन्म देती है।

इसलिए सबसे पहले आप यह समझिए कि शादी के बाद आपकी पहली मां आपकी सास है और सास के लिए बहू से पहले अब आप बेटी हैं। समाज में सम्मान हर रिश्ते का है और स्थान सब रिश्तों का है, लेकिन परिवार को आगे लेकर जाने की ज़िम्मेदारी अब सास और बहू की जोड़ी पर है। इसलिए इन दोनों के बीच जितना बेहतर संवाद होगा, जितना शानदार सामंजस्य होगा वो भविष्य के लिए बेहतर ही होगा। 

Exit mobile version