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हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम एक नागरिक का खुला पत्र

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम, वहां के एक नागरिक का खुला पत्र

श्रीमान,

उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला,

हरियाणा सरकार।

आप इस समय कुशल मंगल तो होंगे नहीं क्योंकि आज जो हालात बने हुए हैं, वो आपके लिए सही नहीं हैं। आप उप मुख्यमंत्री होते हुए, हरियाणा के किसी भी गाँव में सार्वजनिक तौर पर नहीं जा सकते हो। आप जहां से विधायक चुन कर आए हो उस उचाना हल्के में भी आप नहीं जा पा रहे हो, अपने गृह क्षेत्र सिरसा में जाना तो दूर आपके अपने गाँव चौटाला में भी जाने पर भी आप पर जनता की पाबंदी है। आपको जनता ने तड़ीपार घोषित कर दिया है जैसे आपको याद हो माननीय कोर्ट ने मौजूदा गृहमंत्री अमितशाह को गुजरात से तड़ीपार किया था। ऐसे ही हरियाणा की जनता ने आपके साथ-साथ जे.जे.पी, बी.जे.पी के सभी नेताओं को तड़ीपार कर दिया है।

मुझे लगता है कि ऐसे हालात में आपको सोने के लिए भी नींद की गोलियां खानी पड़ती होंगी।

अभी 1 अप्रैल को आप हिसार आए। हिसार एयरपोर्ट पर आपके उतरने के बाद 2 घंटे तक आप एयरपोर्ट पर ही बंधक बने रहे क्योंकि किसानों ने एयरपोर्ट को चारों तरफ से आपका विरोध करने के लिए घेरा हुआ था। आपको हिसार एयरपोर्ट से लघु सचिवालय तक पहुंचने के लिए भी हवाई मार्ग इस्तेमाल करना पड़ा। आप जहां भी गए आपको विरोध करने वाले किसान सामने जरूर मिले। किसानो के विरोध के चलते ही आप अपने घर अर्बन स्टेट कोठी नम्बर 222 में नहीं जा सके।

आप के इन हालातों को देख कर मुझे आप पर तरस आ रहा है। एक ऐसा व्यक्ति जो हरियाणा के शक्तिशाली राजनीतिक परिवार का हिस्सा है। आप अपने परिवार के चौथी पीढ़ी में राजनीति का प्रतिनिधित्व कर रहे हो। जब आप राजनीति में आए तो हरियाणा के नौजवानों ने आपको अपने सिर पर बैठाया।

हिसार लोकसभा के किसानों, मजदूरों, छोटे दुकानदारों ने आपको आते ही लोकसभा की कमान सौंप दी। उस समय आपकी उम्र 25 साल ही थी। 25 साल के नौजवान को मुल्क की सबसे बड़ी पंचायत में भेजने का मतलब है लोकतंत्र में नौजवानों की भागीदारी, जनता का नौजवानो पर विश्वास करना। आपने हरियाणा की जनता को अहसास करवाया कि आप में पूर्व प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल जो आपके परदादा थे, उनकी छवि व गुण हैं।

आप जब 2014 में लोकसभा में थे तो आप विपक्ष में थे। विपक्ष में रहते आपने लोकसभा में किसानों के मुद्दे पर अलग-अलग समय पर आवाजें भी उठाईं। इसी दौरान परिवारिक पार्टी इनेलो की सत्ता पर कब्जे की लड़ाई में पार्टी दो फाड हो गई। जिस पार्टी को ताऊ देवी लाल ने बनाया था। उस पार्टी को आपने दो हिस्सों में बांट दिया।

आपके दादा ओमप्रकाश चौटाला, अभय चौटाला की तरफ चले गए तो आपके पापा अजय चौटाला आपकी तरफ आ गए। दोनों गुटों ने ही अपने आप को असली चौधरी देवीलाल का वैचारिक व राजनीतिक वारिस घोषित किया।आपने इनेलो से अलग होकर जननायक जनता पार्टी बनाई। जननायक जनता पार्टी मतलब चौधरी देवीलाल के विचारों वाली पार्टी और विधानसभा में आपने चुनाव लड़ा।

आपने किसान कर्जा माफी, रोजगार, किसानों की समस्याएं, मजदूरों की समस्याएं इन सब मुद्दों को चुनाव अभियान में शामिल किया। हरियाणा की जनता जो भाजपा जैसी साम्प्रदायिक, फासीवादी व फूट डालो-राज करो कि नीति पर काम करने वाली पार्टी से दुःखी थी। आपने हरियाणा की जनता से भाजपा को हराने की अपील की व जे.जे.पी. को जिताने पर आपने जनता को भरोसा दिया कि भाजपा को यमुना पार छोड़ आएंगे। 

चुनाव नतीजे आए आपकी पार्टी को हरियाणा की जनता ने 10 सीटें दीं। आपके पास मौका था, भाजपा को सत्ता से बाहर करने का लेकिन यहीं से आपकी, जनता से गद्दारी शुरू होती है। हरियाणा की जनता के लोकतांत्रिक फैसले को दरकिनार करते हुए आपने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। सरकार में आते ही आबकारी विभाग मतलब शराब वाला महकमा अपने पास रख लिया।

आप शायद भूल गए आपने उस चुनावी दौर में ताई इन्द्रो के नाम से दिया भाषण जिसमें आपने जनता को बताया कि ताई इन्द्रो ने शराब से उजड़ते अपने परिवार के बारे में आपको बताया आपने ताई को वादा किया कि सरकार में आते ही शराब को गाँव से बाहर कर देंगे। लेकिन, ताई इन्द्रो को क्या मालूम था कि जिस नेता के सामने वो अपना दुखड़ा रो रही हैं उसके दिखाने के दांत दूसरे हैं, तो खाने के दांत दूसरे हैं।

आप खाने वाले दांतों से ताई इन्द्रो की उम्मीदों को, उसके शराब मुक्त गाँव के सपने को हड्डियों समेत खा गए। चुनाव का परिणाम आते ही पहला धोखा हरियाणा की जनता के जनमत को दे कर भाजपा की सरकार बनाई। दूसरा धोखा ताई इन्द्रो को दिया। वादा तो शराब को गाँव से बाहर करने का था लेकिन शराब मंत्रालय को अपने पास रख लिया। आज हरियाणा में गाँव की परचून की दुकानों पर भी शराब बिकती है।

तीसरा धोखा नौजवानों के साथ रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य व सरकारी महकमों के निजीकरण की नीतियों को सपोर्ट करके किया। सत्ता में आने से पहले निजीकरण को आप कोसते थे लेकिन सत्ता आते ही निजीकरण आपको मीठा लड्डू लगने लगा।

केंद्र सरकार, तीन खेती कानून व चार लेबर कोड लेकर आई। तीन खेती कानूनों के लागू होने से मुल्क का किसान, मजदूर, छोटा दुकानदार, रेहड़ी-पटरी वाला सब बर्बाद हो जाएंगे। ऐसे ही चार लेबर कोड जो मजदूर विरोधी हैं। विश्व व मुल्क के लाखों-करोड़ों मजदूरों ने शहादतें देकर लम्बी-लम्बी जेल यातनाएं सहकर श्रम कानूनों का निर्माण करवाया। इन श्रम कानूनों में आठ घण्टे की ड्यूटी, यूनियन बनाना, पी.एफ, ई.एस.आई जैसी तमाम मजदूर हितैषी योजनाएं लागू करवाई गईं थी।

केंद्र की सरकार ने श्रम कानूनों को पंगु बनाते हुए चार लेबर कोड में तब्दील कर दिया। नए लेबर कोड के अनुसार अब काम के घण्टे प्रतिदिन 8 से बढाकर 12 कर दिए गए, यूनियन बनाने का अधिकार खत्म, न्यूनतम वेज सरकार द्वारा निर्धारित ना होकर मालिक तय करेगा।

तीन खेती कानूनों व चार लेबर कोड एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। खेत में सस्ती मजदूरी व 12 घंटे मजदूरी करवाने के लिए ये सब कानून केंद्र सरकार अपने व आपके मालिको अडानी, अम्बानी, WTO, साम्राज्यवादी मुल्कों की सेवा करने के लिए लेकर आई है। 

तीनों खेती कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व पश्चिम उतर प्रदेश व मुल्क के अलग-अलग हिस्सों का बहुमत किसान इनके विरोध में लड़ रहा है। हरियाणा का किसान, जिसने आपको ज़मीन से उठाकर सत्ता की कुर्सी पर बैठा दिया। वो इस आंदोलन के समय आपकी तरफ टक-टकी लगाए देख रहा था।

उस किसान को उम्मीदें दी कि स्वतंत्रता सेनानी, किसान नेता व मुजारों के लिए ज़मीन की लड़ाई लड़ने वाले चौधरी देवीलाल का वारिस बताने वाला दुष्यंत चौटाला इस समय किसानो के बीच आकर खड़ा हो जाएगा। किसानों को उम्मीदें थी कि किसानों की ज़मीन बचाने की इस लड़ाई में दुष्यंत चौटाला सत्ता की कुर्सी व ज़मीन बचाने की लड़ाई में से सत्ता को चुनने की बजाए किसानों की ज़मीन बचाने की लड़ाई को चुनेगा।

किसान बहुत भोला है। किसान एक बार फिर ठगा गया। आपने किसानों व मजदूरों को धोखा दिया।

किसान भोला जरूर है, लेकिन मूर्ख नहीं है। चौधरी छोटूराम ने कहा था कि हे! मेरे भोले किसान 2 काम करना सीख ले, दुश्मन पहचानना सीख ले व बोलना सीख ले। इस बार किसान ने दोनो काम सीख लिए हैं। किसानों ने दुश्मन साम्राज्यवादी कार्पोरेट पूंजी, मुल्क की बड़ी कार्पोरेट पूंजी व मुल्क की सत्ता के गठजोड़ को दुश्मन के तौर पर पहचान लिया है। जनता के दुश्मन को पहचान कर उसे सज़ा देने का भी पूरा मन बना लिया है।

हरियाणा के किसानों ने फैसला किया कि भाजपा व जजपा के नेताओ को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। दुष्यंत चौटाला जिसने गद्दारी की है, किसानों के द्वारा उसके सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों का विरोध किया जाएगा। हरियाणा का सबसे बड़ा गाँव सिसाय में चारों तरफ बैनर लगा कर घोषणा कर दी गई कि जे.जे.पी व भाजपा के नेताओं को गाँव में घुसने नहीं दिया जाएगा। सिसाय गाँव को चौधरी देवीलाल अपना दूसरा गाँव मानते रहे। सिसाय गाँव भी चौधरी साहब को अपना मानता रहा लेकिन आप के साथ ऐसा व्यवहार क्यों? कभी सोचा है।

अब आपके साथ ऐसे हालात बने हुए हैं  कि आप किसी के दुख-सुख में भी शामिल नहीं हो सकते हैं। एक अप्रैल को आपके हिसार आगमन पर हज़ारों किसानों ने हिसार एयरपोर्ट से आपकी कोठी तक जो विरोध प्रदर्शन किया है, असल शब्दों में यही असली लोकतंत्र है। इसको ही जनता का तंत्र कहते हैं। जब चुना हुआ विधायक-सांसद जनता से गद्दारी करे तो उसको छिपने की जगह ना मिले। इसी को जनता का जनता द्वारा चलाया जाने वाला राज कहते हैं।

ऐसे तो लिखने के लिए बहुत कुछ है, आपने जो जनता से गद्दारी की है लेकिन, इन दो लाइनों के साथ अपने पत्र को समाप्त करूंगा। ये दो लाइनें किसी कवि या बुद्धिजीवी की नहीं हैं। ये दो लाइनें आपकी पार्टी का जन नारा था। लोकराज, लोकलाज से चलता है लेकिन, शायद ये नारा भी सिर्फ नारा ही था। आपने लोकराज भी व लोकलाज भी दोनों ही खो दी।

आपकी नज़र में लोकराज, लट्ठराज से चलता है, लेकिन जनता यह सब जानती है।  

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