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ट्रायल में प्रभावी नतीजों के बाद रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन को मिली मंज़ूरी

भारत में कोरोना के मामलों में बेतहाशा वृद्धि के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों से वैक्सीन की कमी के खबरों से हलकान आम जनता के लिए एक राहत की खबर आई है। कोविशिल्ड और कोवैक्सिन के बाद अब स्पुतनिक V वैक्सीन को भी वैक्सीन मामलों की विशेषज्ञ कमिटी SEC के बाद अब DCGI की भी मंज़ूरी मिल गई है।

ट्रायल के प्रभावी आंकड़े को देखते हुए मिली मंज़ूरी

भारत में हैदराबाद स्थित डॉक्टर रेड्डीज लैब ने इस वैक्सीन के ट्रायल किये थे, जिससे प्राप्त आंकड़ों के आधार पर भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल के समक्ष इसके आपातकालीन प्रयोग की मांग रखी गई थी। खबरों के मुताबिक सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने इस वैक्सीन के ट्रायल आंकड़ों को तय मानकों के अनुरूप पाया और इसके इस्तेमाल की अनुमति देने की अनुशंसा की थी।

इस मामले में आखिरी फैसला अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को लेना था। वैक्सीन के प्रभाव को देखते हुए इसे अनुमति मिलना लगभग तय ही माना जा रहा था।

ज्ञात हो कि भारत में भारत बॉयोटेक की कोवैक्सिन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एवम एस्ट्राजेन्का के तत्वधान में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशिल्ड वैक्सीन को पहले ही आपातकालीन प्रयोग की अनुमति मिली हुई है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक अब तब भारत में वैक्सीन के 10 करोड़ 45 लाख से भी अधिक डोज़ लगाए जा चुके हैं।

कोवैक्सिन और कोविशिल्ड से ज़्यादा प्रभावी

स्पुतनिक V का निर्माण गामालेया नेशनल सेंटर ऑफ एपीडेमियोलॉजी एन्ड माइक्रोबायोलॉजी तथा रशियन डाईरेक्टरेट इंवेस्टमेंट फंड के संयुक्त तत्वधान में हुआ है।

ये कोरोना पर दुनिया का पहला रजिस्टर्ड वैक्सीन है जिसे 2020 के अगस्त महीने में रजिस्टर कराया गया था। निर्माताओं के मुताबिक ये वैक्सीन कोरोना रोकने में 91.6 फीसदी तक कारगर है। वहीं कोवैक्सिन और कोविशिल्ड की सफलता दर 80 प्रतिशत के आस-पास ही है।

कुछ मामलों में स्पुतनिक V वैक्सीन लगाने के उपरांत बुखार, थकान, सरदर्द जैसे साइड इफेक्ट्स भी देखे गए हैं, पर जानकारों के मुताबिक इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट अन्य वैक्सीन के मुकाबले कम है। भारत से पहले कुल 59 देश स्पुतनिक V के आपातकालीन प्रयोग की अनुमति दे चुके हैं।

मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन की उम्मीद

बाजार में इस वैक्सीन के दो डोज़ की कीमत 10 अमिरिकी डॉलर यानी तकरीबन 750 रुपये होगी जो कि फाइज़र और मोडर्ना वैक्सीन के मुकाबले काफी कम है। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर स्टोर किया जाना है और इसके दो डोज़ के बीच का अंतर 21 दिन का होगा।

स्पुतनिक V के प्रयोग की अनुमति मिलने के बाद भारत में दैनिक वैक्सीन उत्पादन क्षमता में उछाल आने की संभावना है, जिससे मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को और कम किया जा सकेगा। साथ ही, इस वैक्सीन के प्रयोग में आने से अन्य दो वैक्सीन निर्माता कम्पनियों (भारत बॉयोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) से भी दबाव घटेगा।

 

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