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मेरे अधूरे इश्क की कहानी, मेरी जुबानी

मेरे अधूरे इश्क की कहानी, मेरी जुबानी

कहते हैं इस जहां में सभी के लिए किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए लेकिन यह इश्क है जनाब ये अधूरा ही खूबसूरत है। इसमें खट्टी-मीठी यादों का जो रंग होता है, जो कभी याद करो तो अकेले मे हंसा देता है तो कभी रुला देता है। इन्हीं यादों के कारवां को तो इश्क कहा गया है।

आज कुछ अपनी इन खूबसूरत यादों के पन्नों को पलटने का मन हुआ। वो पहली बार जब हम मिले उसकी आंखों में गुस्सा और मेरा दिल लगा पिघलने।

शहर के ट्रैफिक सिग्नल पर उसे देखा तो एक गुस्से से भरी आंख दिखी या यूं कहा जाए कि वो गुस्सा अपनी नाक पर लिए चलती ही थी। मैंने कभी उतना ध्यान दिया नहीं कोचिंग की क्लासों में लेकिन, वो 2 मिनट का सिग्नल ना जाने हमारे लिए कैसी कहानी सोच कर बैठा था तो यहां से शुरु होती है, हमारे इश्क की गाड़ी और शुरु हुआ हमारी अधूरी कहानी का किस्सा।

कोचिंग में उसके पीछे वाली सीट मेरी हो गई तो उसके पीछे बैठ उसके उड़ते हुए हल्के-हल्के बालों की खुशबू में वो 1 घंटा कब बीत जाता था, मुझे पता ही नहीं चलता था। कोचिंग से छूटते ही अपनी बाइक उसकी स्कूटी के पीछे लगाना उसे घर तक पीछे-पीछे जाना, जिस दिन वो स्कूटी से ना आए रिक्शा करे तो बाइक छोड़ रिक्शा कर खुद भी उसके पीछे जाना। उसे बोलने की हिम्मत ना जुटा पाना कुछ ऐसा सा आलम हो गया था। ऐसे चलते हुए दिन बीते, महीने बीते, साल हो गया हम स्कूल से कॉलेज में आ गए लेकिन मुझ में हिम्मत नहीं आई। सुबह-शाम की चाय तो उसके घर के ठीक नीचे की दुकान पर बंध गई और साल भर हो गया घर की चाय पिए हुए बस उसकी एक झलक के लिये उसकी गली को अपना पता बना लिया।

फिर एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि आज तक वो मेरे ज़हन मे एक खूबसूरत सी याद बन कर बैठा है। शाम का वक्त था, हमारी कोचिंग छूटी मैं बाहर अपने दोस्तों के साथ बैठकर बात कर रहा था और हमारी नज़र उसकी स्कूटी पर थी। अभी वो निकलेगी लेकिन तभी पीछे से मुझे एक प्यारी सी गुस्से वाली आवाज़ में मेरा नाम सुनाई दिया। मेरा दिल बोल रहा था, पलट कर देखो और दिमाग कह रहा था कि आज गड़बड़ हो गई। फिर मैंने खुद को सम्भाला और पलटा वो गुस्से से मेरी तरफ बढ़ रही थी और यहां मेरी मुस्कुराहट मेरे चेहरे से जाने का नाम नही ले रही थी।

वो आई और मुझे मेरे दोस्तों के बीच से बुलाकर ले गई अपनी सहेलियों के बीच और उस दिन पहली बार बहुत ही अच्छी बातें मेरे साथ हुईं। पहली यह कि मैंने उसको पहली बार इतने पास से देखा और उसके मुंह से अपना नाम सुना तब लगा कितना अच्छा नाम है मेरा। वो मुझे डांट लगा रही थी और मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।  मैं बस इस बात को सोच-सोच कर मुस्कुरा रहा था कि उसके मुंह से मेरा नाम कितना अच्छा लग रहा है और सामने से वो कितनी सुन्दर है। ये मेरी मुस्कुराहट उसे और गुस्सा दिला रही थी और उसका गुस्से से लाल चेहरा मुझे और दीवाना कर रहा था।

उसकी मुझसे शिकायत थी कि मैं उसके पीछे ना आऊं और मैं मान गया। उसके बाद मैं कोचिंग छूटने के बाद उसकी स्कूटी के आगे चलने लगा। उस वक्त सोशल नेटवर्क मे Orkut का जमाना था। इसके बाद में मुझे पता चला कि वह Orkut पर है फिर क्या मैंने भी Orkut पर अपना प्रोफाइल बना लिया और सोचा कि उसे रिक्वेस्ट भेजूंगा तो स्वीकार कर लेगी। लेकिन, मैं भूल गया था कि वह लड़की है उसमें नखरे ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है।

उस वक्त ऑरकुट पर किसी को सर्च करो तो सामने वाले को पता चल जाता था कि किसने आपकी प्रोफाइल सर्च की है। मेरा तो रोज़ का काम था पर एक दिन मेरे नोटिफिकेशन में उसका नाम देखा तो ऐसा लगा जैसे खिलता गुलाब फिर भी बात बन नहीं रही थी। उस वक्त मार्केट में नया-नया मोबाइल आया था, नोकिया 6600 मैंने वो कैमरे वाला मोबाइल लिया और कोचिंग में उस दिन उसके पीछे नहीं ठीक उसके सामने एक अलग बेंच पर बैठ गया।

हम सारे दोस्त वहीं पर बैठे थे, सर आए उन्होंने पूछा यहां क्यों लगाया है बेंच? हम सब ने कहा कि सर पीछे से समझ में नहीं आता है। उसको तो पता था कि उसे देखने के लिये ये कारनामा हुआ है, लेकिन बात कुछ और थी फोन दिया दोस्त को कि उसकी एक अच्छी सी फोटो लो। मेरे दोस्त ने उसकी एक अच्छी सी फोटो ले ली फिर तो 24 घंटे वो मेरे आंखों के सामने आ गई। एक दिन मैंने वो फोटो अपने ऑरकुट पर पोस्ट कर दिया और कैप्शन मे एंजल लिख दिया। कुछ दिन बाद उसने मेरी प्रोफाइल सर्च की तो वहां उसको अपनी फोटो दिखी, शाम को जब मैं  ऑनलाइन हुआ तो देखा मेरे प्रोफाइल पर उसकी रिक्वेस्ट आई हुई है।

यहां तो नोकिया वाले को मैंने दुआएं दी। मैंने फिर तुरन्त ही उसकी रिक्वेस्ट स्वीकार की और मुझे नहीं मालूम था कि वो भी ऑनलाइन बैठी है। उसने मुझे मैसेज किया कि मेरी फोटो हटाओ। मैंने भी उसे उसकी फोटो को हटाने के लिए बोल दिया लेकिन एक शर्त पर की तुम मुझे ब्लाक नहीं करोगी और मुझसे बात करती रहोगी। उसने बोला कि मैं सोचूंगी फिर मैंने बोला कि तुम भी सोचने के लिए अपना समय ले लो।

धीरे-धीरे हम दोनों में बातें शुरु हो गईं। हमें एक-दूसरे की पसंद ना पसंद का भी धीरे-धीरे पता चल गया था। ऐसे ही 4-5 दिनों के बाद फिर उसने मुझे बताया कि वो पढ़ाई के लिये बाहर जा रही है। इस बात को सुनकर तो जैसे मुझे तो बुखार चढ़ गया था। हमारा लोकल लव अब डिस्टेंस लव मे बदलने जा रहा था, वो भी एक तरफा वाला क्योंकि उसने तो कुछ बोला ही नहीं कि वह मुझसे प्यार करती है या सिर्फ मेरी दोस्त ही है।

फिर उसने एक और अपनी परेशानी जाहिर की उसने मुझसे कहा कि अब हमारी बात नहीं हो पाएगी क्योंकि अब मैं ऑनलाइन नहीं आ पाउंगी। यह सुनकर मुझे बुखार के साथ-साथ चक्कर भी आने लगे फिर खुद को कंट्रोल किया और बोला कोई बात नहीं। मैं हमेशा तुम्हें चैट पर लिखता रहूंगा अब हम दोनो जी-टॉक पर आ गये थे। तुम जब भी ऑनलाइन आना महीने में या साल में बस मेरे मैसेज का जवाब देते रहना मेरे लिये यही बहुत होगा। यह लिखते वक्त पता नहीं  मेरे आंसू आने शुरु हो गए और लग रहा था कि ना प्यार हुआ ना इकरार हुआ और ब्रेक-अप वाली फीलिंग क्यों आ रही है।

फिर उसने मुझसे पूछा तुम मुझसे बात क्यों करना चाहते हो? मैं निरुत्तर था, मैं क्या बोलता अब इसलिए सीधे तो उसे  I love u तो बोल नहीं सकता था तो इसलिए मैंने कहा कि मैं तुम्हें पसंद करता हूं, फिर वो बोली क्यों पसंद करते हो मुझे? अब इसके जवाब में मैं क्या बोलता तो मैंने बोला मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो।

मैंने उससे कहा कि जबसे तुम को देखा है, तबसे तुम्हारा गुस्से वाला चेहरा और तुम्हारा मुझे डांटना बहुत पसंद है। तुम्हारा मुझे देखते ही मुंह बना कर गुस्से भरी आंखों से देखना बहुत अच्छा लगता है। बहुत देर बाद उसने बोला कल 1 तारीख है, कल सुबह मैं तुम्हें एक मेल भेजूंगी उसे अच्छे से पढ़ना  और उसके बाद शायद हम दोनों में बात ना हो।  वह मेरे लिए हार्ट अटैक मोमेंट था, बुखार और चक्कर तो पहले से ही था।

वह इतना बोल कर चली गई अब तो जैसे मेरी नींद और भूख गायब हो गई। माँ मुझे बुला रही थी कि खाना खा लो अब उनको कौन बताए कि आपका बेटा मोहब्बत में झटका खा कर बैठा है। खैर, जैसे-तैसे मेरी बिना सोए रात कटी और मैं उसके जवाब के लिए सुबह 4 बजे से  ऑरकुट पर ऑनलाइन आ कर बैठ गया। सुबह ठीक 9:32 पर उसका मुझे मेल आया उसके मेल को खोलने से पहले मेरा मन्नतों के मांगने का दौर शुरु हो गया। उसके बाद बड़ी हिम्मत करके माता रानी को याद किया और जवाब में आया उसका मेल खोला।

मेल के जवाब की शुरूआत यहां से होती है कि मेरी की गई सारी गलतियों से उसको बहुत तकलीफ होती थी। मैं  पढ़ता जा रहा था और खुद को कोसता जा रहा था फिर उसने लिखा कि पता नहीं कब उसको मेरी ये हरकतें अच्छी लगने लगी और वो भी जब भी कोचिंग से बाहर निकलती तो उसकी नज़रें मुझे ही ढूंढती थी। अब जो मैं महसूस कर रहा था, इसको कोई भी शब्द बयान नहीं कर सकते मतलब दिल बोल रहा था कि ये कितनी सुन्दर और प्यारी है।

उसने उस मेल में काफी कुछ बयान किया था। उसने फिर मेल के आखिरी में लिखा था कि जब हमें भी लगा कि मैं  भी तुम्हें बहुत पसंद करती हूं तो अब मुझे पढ़ने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। इसलिए इस बात को आगे नहीं  बढ़ाना चाहती जिससे तुम परेशान हो। तुम भी अपनी पढाई पर अच्छे से ध्यान लगाओ और अपना कैरियर बनाओ और मैं भी अपने कैरियर पर फोकस करूं और आज के बाद हमारी बात नहीं होगी।

मैं क्या बताऊं कि बाकी सब मेरे दिमाग से निकल गया रह गया तो बस उसका मुझे बोला हुआ ‘आई लव यू’ अब उसको कौन बताए कि मैंने अपना भविष्य उसके साथ ही देख लिया है। 

उसके बाद मैंने बहुत देर तक उसको मैसेज भेजे लेकिन उसका कोई रिप्लाई नहीं आया फिर कुछ देर बाद वह दुबारा ऑनलाइन आई और बोली कि मुझे भूल जाओ। हम दोनों का साथ में अपना कोई भविष्य नहीं है। मैं बाहर रहूंगी तो तुमसे ना बात हो पायेगी ना हम मिल पाएंगे। इससे हम दोनों को ही परेशानी होगी। मैंने भी अपने घर में  किसी से बोला नहीं कि मुझे पढाई के लिए बाहर जाना है पर उसको बता दिया था कि मैं भी आ रहा हूं उसी शहर मे पढ़ने जहां वो जा रही है। इसके लिए घर पर माँ-पापा को मनाना मुश्किल था पर थे तो मेरे ही माँ-बाप आखिर में मेरी जिद के सामने वो मान गए।

फिर यहां से शुरु होती है हमारी इश्क की अमर कहानी, आगे की कहानी आपको मैं बाद में बताऊंगा बस इतना बता देता हूं कि आज हम दोनों साथ में नहीं हैं। उसकी शादी हो चुकी है और मैं अपने बिज़नेस में व्यस्त हूं।

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