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“भ्रष्टाचार से लिप्त लोकतंत्र के लिए कौन ज़िम्मेदार है?”

"भ्रष्टाचार से लिप्त लोकतंत्र के लिए कौन ज़िम्मेदार है?"

देश की जनता कई दिनों से बहुत बेचैन है। इसलिए नहीं कि इलाज के खर्च के रूप में प्राइवेट अस्पतालों में चोरी और लूट हो रही है और सरकारें अपने मुंह और आंखें मूंद करके बैठी हैं। देश की जनता को इस बात का पता है कि जहां लूट होती है, वहां सरकार का निशाना सबसे ज्यादा सटीक होता है। इसलिए सरकारों से, देश की जनता को लगातार आराम दिया जा रहा है।

देश की जनता इस तथ्य से बेचैन नहीं थी कि उन्हें अपने जीवन में इस तरह की भारी समस्याएं आ रही हैं और विपक्ष भी कुछ नहीं कर रहा है। देश की जनता अच्छी तरह से जानती है कि विपक्ष कुछ कर ही नहीं कर सकता। लेकिन, जैसा भी है, वास्तव में प्यारा और निर्दोष विपक्ष है। देश की जनता ने विपक्ष की इस मासूमियत को स्वीकार भी किया है। जनता को विपक्ष से कोई नाराजगी भी नहीं है। इसलिए देश की जनता विपक्ष को भी अलग रखती है।

सरकारी तंत्र में नीचे से लेकर ऊपर तक सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं

फिर देश की जनता इतनी बेचैन क्यों थी? यह पूरी तरह से देश के भीतर  राफेल हथियारों का एक सौदा था और इसमें कोई लेन-देन नहीं हो, यह हो ही नहीं सकता है? वह भी एक हथियार सौदा !! जिस देश में प्राप्य है जहां प्रत्येक कण में भ्रष्ट लोगों बसते हैं।वहां ऐसा कैसे संभव हो सकता है? क्या देश के भीतर कोई व्यक्ति रहा है, जिसने अपने टू-पीस मिनीबाइक को चलाने के लिए लाइसेंस बनाने वाले एजेंट बाबू और आरटीओ अधिकारी को चाय-पानी नहीं भेजा?

खैर, देर आइए दुरुस्त आइए। वो तो भला हो, फ्रांसीसी वेबसाइट का जिसने दावा किया कि राफेल सौदे के तहत एक बिचौलिए को आठ करोड़ रुपये मिले थे। देश की जनता को तब कहीं जाकर थोड़ा आराम मिला।  हालांकि, सरकार के मंत्री अभी भी बेशर्मी पर उतरे हुए हैं। वे कह रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हम सब कुछ सहन करेंगे देश की एक सौ तीस करोड़ जनता सरकार को नहीं छोड़ेगी। जनता सब के लिए एक समान है और उसे  मिलकर सबक सिखाना भी आता है और चुप रहकर सहना भी।

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