कांग्रेस राफेल सौदा में घोटाला होने की बात पिछले कई सालों से कह रही है, किंतु देश की मीडिया ने कभी भी अपने साहब (प्रधानमंत्री) से खुद को दूर नहीं करना चाहा। शायद साहब गुस्सा हो जाते और इसका खामियाज़ा इनको अपनी नौकरी गंवाकर उठानी पड़ती।
इसलिए मीडिया ने साहब की उपासना और वंदना करना उचित समझा। वंदना वह हमेशा करते हैं और उपासना का फर्ज़ सरकार से सवाल न पूछकर उसके करीब बैठकर अदा करती है।
राफेल डील के बारे में देश को जानना ज़रूरी
विडंबना देखिए इस सरकार का कि सवाल रक्षा मंत्रालय से पूछा जा रहा है, और जवाब कानून मंत्रालय से आ रहा है। जब सवाल कानून मंत्रालय से पूछा जाएगा तो क्या तब भी इतनी तत्परता से रविशंकर प्रसाद जवाब देंगे या इनके सवाल का जवाब किसी दूसरे मंत्रालय से आएगा?
अभी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। शायद राफेल के पन्नों को बारीकी से अभी पढ़ने में व्यस्त होंगे क्योंकि जिस समय यह डीलिंग हुई थी उस समय यही गृह मंत्री थे। उन्हें इस डील के बारे में ठीक से पता नहीं होगा तभी तो अबतक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
आखिर देश जानना चाहता है कि घोटाला हुआ तो कितने का हुआ? किसने किया? कौन लोग शामिल थे? अगर यह सारी बातें हमें फ्रांस से पता चलती है, तो यह बड़े शर्म की बात है। फिर CAG और अन्य संस्थाओं का हमारे देश में क्या काम है?
क्या भाजपा सरकार में CAG कमजोर हो गई है?
CAG एक स्वतंत्र संस्था के रूप में खड़ी है जिसका काम सरकार द्वारा खरीद फरोख्त में गड़बड़ी होने पर विपक्ष को इतलाह करना और उसकी जांच करना है। आखिर इसे लोक लेखा समिति का ‘आंख व कान’ जो कहा गया है। याद करिए 2014 से पहले का CAG जो खुलकर बोलता था। भले ही घोटाला हो या ना हो लेकिन वह अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र था। वह बोलता था। उसके ऊपर किसी का दबाव नहीं था। अगर दबाव होता तो आज की तरह मूक बैठा रहता।
इन बीते सात सालों को जरा गौर से देखिए। 2014 से अभी तक CAG कुछ बोला नहीं है। लगता है वह भी मीडिया की तरह उपासना का धर्म निभा रहा है। आखिर उसे किस बात का डर है? सोचने वाली बात है कि अगर किसी देश का CAG कुछ नहीं बोल रहा है, तो उस देश का लोकतंत्र खतरे में है कि नहीं!
वहीं कांग्रेस की स्टूडेंट विंग जो हर समय देश के आंतरिक मुद्दों जैसे – बेरोजगारी, भुखमरी, मॉब लिंचिंग, शिक्षा की समस्या पर खुल कर बात रखने वाली व निम्न और मध्यम वर्ग के छात्रों की आवाज को धार देने वाली स्टूडेंट विंग ने भी इस घोटाले पर साल 2019 में देश के अलग अलग राज्यों में इस घोटाले को लेकर कंप्लेन दर्ज कराई थी।
सौदा कराने के लिए बिचौलिये को मिली भारी रकम
फ्रांस की एक वेबसाइट “मीडियापार्ट” के एक रिपोर्ट के बाद से यह और ज़्यादा पुख्ता हो गया है। इसमें यह आरोप लगाया गया है कि डील कराने वाले बिचौलियों को दसॉ एविएशन कंपनी के तरफ से भारी रकम दिए गए हैं।
EXCLUSIVE, EXPLOSIVE INTERVIEW with the French journalist who broke the story on the millions paid as commission by Dassault and Thales to Sushen Gupta for his role in the Rafale deal.
Yann Philippin of @Mediapart speaks to @MitaliLive for @thewire_in https://t.co/9F9iCRzDLd
— Siddharth (@svaradarajan) April 8, 2021
रिपोर्ट के मुताबिक राफेल लड़ाकू विमान डील में गड़बड़ी का सबसे पहले पता फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी AFA को 2016 में हुए इस सौदे पर दस्तखत के बाद लगा। AFA को ज्ञात हुआ कि राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन ने एक बिचौलिए को 10 लाख यूरो देने पर रजामंदी जताई थी। बिचौलिये पर पहले से ही एक हथियार सौदे में गड़बड़ी के लिए उसपर मुकदमा चल रहा है।
जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी से जांच क्यों नहीं?
NSUI पिछले कई सालों से इस मुद्दे को लेकर छात्रों के बीच जाती रही है और घोटाले की असली सच्चाई को जनता और छात्रों के बीच परोसने का काम किया है। इस मुद्दे को छात्रों व जनता के बीच फैलाने का काम NSUI ने बखूबी किया है।
“Difficult questions first” would the PM and his billionaire friends care to respond?
1. Who took money in the #Rafale corruption scandal?
2. Who deleted the anti-corruption clauses in the contract?
3. Who gave middlemen access to key Defence Ministry documents?#RafaleScam
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 9, 2021
अगर सरकार खुद को निष्पक्ष मान रही है, तो फिर विपक्ष की JPC (Joint Parliamentary Committee) जांच को मंजूरी क्यों नहीं दे रही है? ऐसे में सरकार के पास एक मौका भी है खुद को निष्पक्ष साबित करने का। JPC जांच में क्या बुराई है? ये वही सरकार है जो कभी विपक्ष में होते हुए सत्ता पक्ष से JPC जांच की मांग को जायज़ ठहराती थी।
फिर आज JPC जांच से दूर क्यों भाग रही है? कहीं कुछ दाल में काला तो नहीं या फिर पूरी दाल ही काली है, सोचने वाली बात है। उम्मीद है कि एक दिन राफेल घोटाले की सच्चाई पूरे देश के सामने आएगी और जो लोग इस सरकार को हरिश्चंद्र के विचारों पर चल रही है, ऐसा मानकर जी रहे हैं, एक दिन उन्हें इस तमाशाई सरकार की सच्चाई ज़रूर मालूम होगी।