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ऑक्सीजन के अभाव में बंद हो रहे आगरा में अस्पताल, दूसरे अस्पताल में शिफ्ट हो रहे मरीज़

पूरा देश लगातार कोविड आपदा के बीच ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है लेकिन भारत के अस्पतालों एक सरकारी अफसरों का एक अलग ही रवैया देखने को मिल रहा है। यहाँ बात हो रही है उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित आगरा शहर की, जहाँ एक तरफ मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर लोगों को आस्वस्त करते फिर रहे हैं कि यहाँ ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है वहीं दूसरी तरफ आगरा के अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत का बोर्ड चिपका नज़र आता है।

निजी अस्पताल दे रहे मरीज़ों को दूसरे अस्पताल जाने की सलाह

मरीज़ों की बढ़ती संख्या और संसाधनों की किल्लत का हवाला देते हुए आगरा के प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक मरीज़ों को पहले तो भर्ती लेने से इनकार कर रहे थें। लेकिन अब ऑक्सीजन की कमी का हवाला देते हुए अस्पताल प्रबंधन जल्द से जल्द मरीज़ को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने का फ़रमान सुना रहें है। यह हालत केवल एक या दो निजी अस्पतालों की नहीं है बल्कि नज़र दौड़ाने के बाद आपको लगभग सभी अस्पतालों की स्थिति वही नज़र आएगी।

ऑक्सीजन के अभाव में लोगों को दूसरे अस्पताल जाने को कह रहे है अस्पताल

महादेवा मल्टी स्पेसलिस्ट अस्पताल में भर्ती मर्जी बृजभूषण रावत को सांस लेने में परेशानी आ रही है, हालांकि रिपोर्ट्स से कोविड पॉजिटिव होने की पुष्टि नहीं कि है। अब अस्पताल प्रबंधन उन्हें नोटिस देकर जल्द से जल्द किसी दूसरे अस्पताल में भर्ती करने की बात कह रहें है। उनके जीजा बताते है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण अब हम जल्द से जल्द कोई दूसरा अस्पताल ढूंढने की कोशिश कर रहें है। जहाँ प्रर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके।

एक्टिविस्ट से 2000 से अधिक लोग कर चुके है ऑक्सीजन की मांग

ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए आगरा के रहने वाले नरेश पारस जो कि एक सोशल एक्टिविस्ट है वह ख़बरखण्ड से बात करते हुए बताते हैं कि इन दिनों आगरा में हर जगह ऑक्सीजन की कमी हो रही है। इस बात की तह तक जाने के किए मैंने सभी ऑक्सीजन प्लांट के चक्कर कांटे। साथ ही ऑक्सीजन की उपलब्धता भी सुनिश्चित की। 2 दिन में मेरे पास 2000 से अधिक फोन आ चुके है और हर कोई ऑक्सीजन की मांग कर रहा है।

तहसीलदार मैडम ऑक्सीजन नहीं लोगों की जान को पैरों तले दबा रही है : एक्टिविस्ट नरेश पारस

मैं सभी कॉल ले पाने में संभव नहीं हूं परंतु अपनी पूरी कोशिश करके मैं लोगों तक ऑक्सीजन उपलब्ध करवा रहा है। साथ ही वह जिक्र करते है कि ऑक्सीजन प्लांट से खबर मिली कि एसडीएम और तहसीलदार दोनो ही आए थे। लोगों की भीड़ देख उन्होंने सबके हाथ से सिलेंडर छीन ली। यह वही लोग थे जो किसी की जान बचाने के लिए आखिरी उम्मीद लेकर आए थे लेकिन वहां मची अफरा तफ़्तरी ने इंसानियत को अपने पैरों तले रौंद दिया।

ऑक्सीजन के अभाव में अस्पताल प्रबंधन कर रही हॉस्पिटल बन्द करने की तैयारी

इस प्रतारणा का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि आगरा स्थित चौहान हॉस्पिटल स्वास्थ्य अधिकारी से अस्पताल बन्द कर देने की इजाजत मांग रहा है। उनका आरोप है कि तहसीलदार प्रीति जैन ने उनके 30 में से 15 सिलेंडर छीन लिए। ऑक्सीजन के अभाव में लोगों की जान जाने से बेहतर है अस्पताल ही बन्द रखा जाए। अस्पताल प्रबंधन सरकारी कर्मचारी के इस रवैये को खुद के लिए मानसिक प्रड़तारणा से कम नहीं समझते।

आधे से भी कम सिलेंडर के साथ हम मरीज़ों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते: अस्पताल के मैनेजर

ख़बरखण्ड ने जब अस्पताल के मैनेजर से बात की तो रवि चौहान बताते है कि “अस्पताल के पास 30 सिलेंडर ही थे। जब हमारे डॉक्टर 15 सिलेंडर लेकर भरवाने ऑक्सीजन प्लांट गए थे तहसीलदार मैडम ने उनके साथ बदतमीजी और गाली गलौज भी की। साथ ही सभी 15 सिलेंडर जब्त कर लिए, जो कि हमारे पास बैक अप के तौर पर था। अब अस्पताल के पास केवल 15 सिलेंडर है जिसमें से आधे से अधिक खाली है। अब हम मरीज़ों को भगवान के भरोसे नहीं छोड़ सकते है।”

आगरा में हो रहा है इंसान और इंसानियत दोनों का कत्ल: डॉ दिनेश, चौहान हॉस्पिटल के संचालक

अस्पताल के संचालन डॉ दिनेश बताते है कि वह “हमेशा अपनी पीपीई किट रिमूव करके ऑक्सीजन गैस रिफिल करवाने ऑक्सीजन प्लांट जाते है। घंटो लाइन में खड़े रहते है। अस्पताल में कोरोना के कारण पहले से ही स्टाफ की कमी है। यहाँ मरीज़ों की देखभाल करने के बजाए हमें और हमारे स्टाफ को घंटो लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद वहां तहसीलदार प्रीति जैन आकर लोगों की बेज्जती करती है। लोगों को धक्के मारकर भगा रही है। जो किसी के जिंदगी की आस लिए वहां जाते है उनके हाथों से ऑक्सीजन सिलेंडर ही छीन ले रही है। यह इंसान और इंसानियत दोनों का ही कत्ल हो रहा है।”

 

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