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क्या कोविड से हुई मौतों का आंकड़ा छुपा रहा है केंद्र?

अभी है आए दिन मीडिया रिपोर्ट्स में आपको भारत में संक्रमण के बढ़ते आंकड़े और उससे होने वाली मौतों के आंकड़े देखने को मिल जाए रहें होंगे। यह वह आंकड़े है जो भारत सरकार की तरफ से स्वास्थ्य मंत्रालय पेश करता है। और इन्ही आकड़ो के आधार पर स्थिति की भयावहता का अंदाज़ा लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त हमारे पास आकड़ो का हिसाब रखने के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं है।

कत्ल कर रहें है डेटा, 2 से 5 गुनी है मौत का सही अकड़ा

परन्तु अभी अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) में छपी एक खबर के मुताबिक मुताबिक, मिशिगन यूनिवर्सिटी में महामारी एक्सपर्ट भ्रमर मुखर्जी, जिन्होंने भारत के हालात पर करीबी नजर बनाई हुई है, कहते है, ‘’यह डेटा का पूरी तरह से कत्ल है। हमने जो भी मॉडलिंग की हैं, उनके आधार पर हम मानते हैं कि मौतों की सही संख्या उससे 2 से 5 गुनी है, जो बताई जा रही है।’’

शमशान घाटों में नहीं दी जा रही स्लिप के साथ कोविड से मौत की वजह

अखबार ने बताया है कि गुजरात के अहमदाबाद में एक बड़े श्मशान घाट पर, लगातार लाशें जल रही हैं। वहां के एक कर्मचारी बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी ऐसा होता नहीं देखा। भले ही बड़ी संख्या में लोग COVID-19 की वजह से मर रहे हैं, लेकिन वहां के कर्मचारी बताते है कि मृतकों के परिवारों को जो पेपर स्लिप दी हैं, उनमें यह वजह नहीं लिखी है।

शमशान घाटों पर लगने वाली लंबी कतार बयान करती है कहानी

इसके साथ ही भारतीय मेन स्ट्रीम मीडिया के अलावा बाकी सभी सोशल मीडिया साइट्स पर भारत में हो रही कोविड से मौतों पर आंकड़ों को छुपाने की खबर आग की तरह फैल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि शमशान के भारत मृतक के परिजनों की लाइन लगी हुई है। सभी अपनी बारी का इंतजार कर रहे है। यब हाल उन शहरों के शमशान घाटों का है जहां मुश्किल से मौत का आंकड़ा 10 से 15 के पार गया है। लेकिन रिपोर्ट्स बताते है कि मरने वाले अधिकतर कोविड के ही मरीज़ है।

जलती लाशों से सारे शहर में विषाद का माहौल

उत्तर प्रदेश के शमशाम घाटों को चारों तरफ से बैरिकेडिंग कर ढक दिया गया है। यह कदम तब उठाया गया जब मीडिया की नज़र शमशान घाट में जलती अनगिनत चिताओं की ओर पड़ी। बावजूद इसके ड्रोन के सहारे ली गई एक तस्वीर सारी कहानी बयां करती है जहां कतारबद्ध होकर चिताए जल रही है। और उससे निकलने वाली आग और धुंए से सारे शहर में विषाद का माहौल छाया रहता है।

मौतों की वास्तविक संख्या और सरकारी आंकड़ों में बहुत अंतर: द हिन्दू

अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने 16 अप्रैल का एक उदाहरण देकर बताया है कि COVID-19 की वजह से मौतों की ‘वास्तविक संख्या’ और सरकारी आंकड़ों में कैसे बड़ा अंतर है। अखबार के मुताबिक, उस दिन गुजरात सरकार के हेल्थ बुलेटिन में 78 मौतों की जानकारी दी गई थी, जबकि 7 शहरों – अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, वड़ोदरा, गांधीनगर, जामनगर और भावनगर – में COVID-19 प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए 689 बॉडी को या तो जलाया गया था या दफनाया गया था।

भोपाल में जली 1000 लाशें अधिकारियों का आंकड़ा केवल 41

NYT की रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल में मध्य प्रदेश के भोपाल में अधिकारियों ने 13 दिनों में COVID-19 से संबंधित 41 मौतें होने की बात बताई थी, लेकिन शहर के मुख्य COVID-19 श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में किए गए अखबार के सर्वे से पता चला कि उस दौरान 1000 से ज्यादा मौतें हुई थीं।

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