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“शांत, यहां सवाल पूछना मना है”

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। सवाल करने पर जेल हो सकती है। लिखने पर जेल हो सकती है। शुक्र है कि अभी हम गोली मारने के आदेश के करीब नहीं पहुंचे है।

दरअसल मैं यह सब इसलिए कह रहा हूं कि सूचना मिली कि दिल्ली में पोस्टर लगाए जाने को लेकर 25 लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली गयी है और उनको गिरफ्तार कर लिया गया है। आखिर उस पोस्टर में ऐसा क्या था? आइए जानते हैं, दरअसल पोस्टर में लिखा था,” मोदी जी, हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया।”

पोस्टर में आखिर खामी क्या थी?

देखा जाए तो पोस्टर में उठाया गया प्रश्न कही हद तक जायज भी है। यदि देश में हालात सामान्य नहीं थे तो हमको दधीचि बनने की आवश्यकता क्या थी? अपनी प्रजा को आंसू देकर अन्य जगह अपनी प्रसिद्धि के लिए वैक्सीन का इस्तेमाल करना किसी भी स्तर से बुद्धिमत्ता नहीं कही जा सकती।

जहां के लिए आपको चुना गया है वहां की फिक्र यदि आप नहीं करेंगे तो कौन करेगा? कौन होगा जो हमारे परिवारों, बच्चों की फिक्र करेगा। आप विश्व में बेहतरी के दिखावे के चक्कर में आपने देश की जनता को लाशों के ढेर पर ले जाकर पटक दिया है।

वर्तमान में जब यह प्रश्न आपसे किये जा रहे हैं तो लोगों पर एफआईआर दर्ज हो रही है और जेल भेजा जा रहा है जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। आखिर एक स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसी घटनाएं कैसी हो सकती हैं? आखिर कैसे लोगों के मुंह जबरन सिले जा सकते हैं? आखिर कैसे लोगों के मुंह में अपने मन मुताबिक शब्द डाले जा सकते हैं? बहुत कुछ विचारणीय है। यदि यह सब देश में होता रहेगा तो हमको यह कहने में शर्मिंदगी होगी कि हम एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं।

सरकारें सवाल से इतना घबराती क्यों है?

ऐसी घटनाएं देश को पीछे धकेलती है। जो इन घटनाओं का समर्थन करते है, वे भी इस देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के पतन में बराबर के दोषी हैं। जरूरत है कि सरकार को लोकतांत्रिक मूल्यों को समझने की क्षमता होनी चाहिए। सिर्फ भाषणों और न्यूज़ चैनलों पर बेहतर तरीके से अपना पक्ष रख देने से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत नहीं हो सकती, यह तभी होगी जब हमारी सोच स्वस्थ होगी। हमारा कार्य करने का रवैया सकारात्मक व जनहित के दृष्टिकोण से परिपूर्ण होगा।

यदि हम लोकतांत्रिक मूल्य की रक्षा नहीं कर सके तो यकीन मानिए हम बहुत खो देंगे जिसकी भरपाई कई वर्षों में भी नहीं हो सकेगी।

 

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