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कोरोना मध्यम वर्ग के जीवन के लिए चिंतन का विषय है

कोरोना, मध्यम वर्ग के जीवन के लिए चिंतन का विषय है

आज के हालात को देखकर मध्यम वर्ग अपने भविष्य को लेकर चिंतित है, चाहे कोरोना बीमारी को लेकर हो या आने वाले हालातों को सोचकर और इसके साथ ही साथ अपने बच्चों के भविष्य को लेकर भी वह आशंकित है।

कोरोना महामारी के चलते मध्यम वर्ग पर अब बहुत बड़ा खतरा सामने आ रहा है। बीमार व्यक्ति लॉकडाउन को लेकर पहले ही चिंतित है और साथ ही साथ इस बात से भी चिंतित है कि किसी बीमारी या आपदा का सामना किस तरह किया जाएगा? चाहे दवाइयां हों या ऑक्सीजन या हॉस्पिटल की इलाज की कीमतें सब इतनी ज़्यादा हैं कि उच्च स्तर के लोगों को छोड़कर मध्यम वर्ग-गरीब परिवार अपनी जान तक बचाने के लिए इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं।

यहां तक कि मौजूदा सरकार में किसी भी प्रकार की सहायता नहीं हो रही है, चाहे राशन की व्यवस्था हो या दवाइयां, हॉस्पिटल, चाहे ऑक्सीजन सब चीज़ों की देश में त्राहि-त्राहि मची हुई है। लोगों की लगातार दवाईयों एवं ऑक्सीजन के अभाव में मौतें हो रही हैं।

सरकार अपनी कमियों को छुपाने में नाकाम हो रही है

विश्व में सबसे ज़्यादा ऑक्सीजन बनाने वाला देश आज खुद ऑक्सीजन की परेशानी में फंसा हुआ है। कई दिनों से टेलीविज़न पर दिखाया जा रहा है कि हमारे भारत देश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, परंतु सरकार हताश होकर विदेशो से ऑक्सीजन मंगा रही है।  लेकिन, फिर भी आज देश में आम जनमानस ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है तथा बेबस है। देश मे हज़ारो-लाखों की संख्याओं में मौतें हो रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार लोगों की परेशानी को लेकर चिंतित नहीं है। वह अपनी उपलब्धता के बयानों और प्रचारों में समय बर्बाद कर रही है।

युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित

देश का युवा कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत बड़ी परेशानी में फंसा हुआ है। प्राइवेट स्कूलों-कॉलेजो द्वारा बच्चों से पूरे वर्ष की फीस ली जा रही है, लेकिन पढ़ाई के नाम पर ठेंगा दिखाया जा रहा है। अभिभावक इस बात से चिंतित हैं कि मेरे बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है।

इस महामारी में गरीबों की स्थिति 

यूं, तो पहले ही सरकार ने नोटबन्दी कर गरीबो की कमर तोड़ ही दी थी। उसके बाद महामारी के प्रकोप से डरकर लोगों को किस्तों पर सांस लेने के लिए मजबूर कर दिया। किसी तरह लोगों ने अपनी जान बचाई। इस दौरान देश में जगह-जगह कांग्रेस पार्टी के लोगो ने प्रियंका गांधी रसोइयां चलाकर उन भूखे लोगो को खाना खिलाया, जो हताश और दुखी होकर ईश्वर से अपने प्राणों की भीख मांग रहे थे। समय बदला लोग सड़कों पर चलकर अपने घर पहुंचे, तब भी सरकार ने सहायता के नाम पर कुछ नहीं किया और ना ही किसी अन्य को करने दिया। गरीबों पर कर्ज़ बढ़ने लगा, सरकार के टैक्स बढ़ने लगे और गरीब लोग बाज़ार से सब्जी खरीदने में भी सोचने लगे।

अभी कुछ समय ही बीता था कि सरकार ने चुनावी सभाओं का बिगुल बजा दिया और इसके साथ ही कुंभ मेले को आयोजित कर इस महामारी को नई दिशा दे दी। अब गरीब डर रहा है कि मैं अब नही बच पाऊंगा अगर लॉकडाउन लगा, तो घर का सामान बेचकर या घरबार बेचकर भी मैं अपना और अपने परिवार का जीवन नहीं बचा सकता।

यह सच्चाई है कि हर मनुष्य चिंतित है। केंद्र और राज्य सरकारों को अपने देश के लोगों के बारे में कुछ सोचना चाहिए तथा आपस में विचार-विमर्श कर इस आपदा का निदान ढूंढना चाहिए।

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