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“पहले महिलाओं को अपने सिर से पल्लू हटाने की आज़ादी नहीं थी, आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं”

पहले महिलाओं को अपने सिर से पल्लू हटाने की आज़ादी नहीं थी, आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं

इक्कीसवीं सदी में भी दुनिया भर में अनेकों भेदभाव देखने को मिल जाते हैं। जिसमें से हमारे समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव होना बहुत ही चिंताजनक है। हमें जिसका बहुत बुरा असर समाज में देखने को मिलता है। इस भेदभाव की वजह से लोगों को कई तरह के शोषण का शिकार होना पड़ता हैं। महिलाओ के लिए आज भी कई जगह खाना, शिक्षा का अधिकार, रोज़गार के अधिकार नहीं हैं।

दुनियाभर में क्षेत्र, गरीबी, रंग, जाति, धर्म, लिंग अनेकों भेदभाव आज भी होते आ रहे हैं, लेकिन इन सभी भेदभावों में बेहद खतरनाक यदि कोई है, तो वह भेदभाव समाज में महिलाओं को लेकर है। जिसे महिलाओं को सहना पड़ता है। पुरुषों के लिए कुछ ही भेदभाव देखने को मिलते हैं, लेकिन एक महिला को इन सभी तरह के भेदभावों को मज़बूरी में झेलना पड़ता है। देखा जाए, तो महिलाओ के लिए मताधिकार भी कुछ ही सालों पहले शुरू हुआ है।

वैसे, हमारे समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव का बहुत पुराना इतिहास रहा है। कई जगहों पर आज भी महिलाओं को परिवार में कोई फैसले लेने की आज़ादी, संपत्ति पर अधिकार, पढ़ाई करने, काम करने या सार्वजनिक जीवन के किसी भी हिस्से में भाग लेने के अधिकार से वंचित रखा जाता है। हमारा समाज ऐसे मानता रहा है कि घरेलू कार्य, बच्चों का पालन-पोषण करना और अपने पति की सेवा ही महिलाओ का कर्तव्य है, जबकि पुरुषों को पूरी आज़ादी है।

1920 तक अमेरिका में भी महिलाओं को मताधिकार का अधिकार नहीं था

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया का सुपरशक्ति एवं मज़बूत  कहे जाने वाले देश में भी 1920 तक महिलाओं को वोट देने का अधिकार नही था। वहां के कुछ राजनेताओं का मानना था कि राजनीति में स्त्रियों का आना समाज को कमज़ोर कर देगा, लेकिन कई सालों तक संघर्ष करने के बाद वहां की महिलाओं को वोट का अधिकार प्राप्त हुआ। इसके कुछ सालों बाद अमेरिका में महिलाओं को परिवार, राजनीति, व्यावसायिक कार्यों तथा अन्य क्षेत्रों में भी अधिकार मिलने शुरू हुए।

घर के अंदर ही महिलाओं का जीवन था, किसी भी तरह के अधिकार प्राप्त नहीं थे

हमारे समाज में महिलाओं को सिर्फ अपने पति एवं बच्चो की देखभाल और खाना-पीना बनाने तक ही काम करने तक का ज्ञान दिया जाता था। महिलाओं को पुरुषों के सामने बोलने तक का अधिकार नहीं था। कुछ सालों पहले तक किसी भी महिला को सर उघाड़ने का अधिकार नही था, तो वोट का अधिकार कैसे मिलता? फिर कुछ साल बाद समाज में सामाजिक परिवर्तन हुए, जिससे आज महिलाओं को अपने सारे स्वतंत्र अधिकार प्राप्त हैं। महिलाएं भी आज पुरुषों की तरह ही अपनी आवाज़ को उठा सकती हैं।

आज़ादी के बाद महिलाओं के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए

आज़ादी के बाद भारत में महिलाओं के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। वर्तमान में शिक्षा, कला, खेल, रोज़गार, राजनीति एवं अनेकों क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी देखने को मिलती है। महिलाओं ने राजनीति में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्रालय, लोकसभा अध्यक्ष और नेता सहित उच्च कार्यालय के पदों को भी संभाला है, जिससे देश में स्वतंत्रता एवं समानता की झलक भी देखने को मिलती है।

लेकिन, आज भी महिलाओं को बलात्कार, एसिड फेंकने, दहेज़ हत्या और कई अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। ऐसे काम करना मानवता के लिए बहुत ही शर्म की बात है। ऐसे में बच्चों पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ता है। इसलिए हम सबको मिलकर ऐसी परंपरा को समाज से जड़ सहित समाप्त करना चाहिए। जो भी ऐसा कदम उठाता है, उसके लिए कानून द्वारा सज़ा का प्रावधान हो, तभी समाज में महिलाएं सुरक्षित रहेंगी।

हमारे समाज में आज भी लड़कियों को एक बोझ समझा जाता है

कई बार आज भी कुछ लोगों में देखने को मिलता है, अगर लड़की पैदा हुई है, तो वे लड़की को अपनी ज़िन्दगी में एक बोझ समझने लगते हैं। जिसके कारण वे अपनी बच्ची को ही गोद में लेना भी पसंद नही करते हैं। क्या यह सही बात है? जब बेटा होता है, तो परिवार के सभी सदस्य खुशी मनाते हैं, आखिर ऐसा क्यों?

क्या लड़कियां, किसी भी बात में आज के समय में लड़कों से कम हैं? मुझे लगता है ऐसी बातें सोचने वालों की सोच गलत है। आज के समय में लड़कियां पढ़ाई-लिखाई से लेकर किसी भी काम में देख लीजिए, सभी में लड़कों से आगे हैं। हम सबको महिलाओं का साथ देना चाहिए। जब हम पुरुष आज उनके साथ उनके अधिकारों के लिए खड़े होंगे, तो महिलाओं को समाज में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी।

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