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फिल्म समीक्षा : वो खास पर आर.जे चोखा से खास बातचीत

फिल्म समीक्षा : वो खास पर आर.जे चोखा से खास बातचीत

 प्रश्न.1) वो खास में काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?

मेरा बहुत ही प्यारा और शानदार अनुभव रहा, पूरी टीम मेरे लिए नई थी और मेरे ख्याल से एक बड़ा काम, यह टीम पहली बार कर रही थी और सबसे खास बात यह थी कि किसी अन्य प्रोजेक्ट की तरह इसमें आपाधापी, ज़ल्दीबाजी नहीं थी। एकदम इत्मीनान से ठंडे मन से काम करो और घर जाओ यह बड़ा अच्छा लगा।

 प्रश्न.2) अगम आनंद और शांभवी सिंह किस तरह के सह-कलाकार हैं?

सच बताऊं, तो अगम आनंद से जब मैं पहली बार मिला था और वह फिल्म की कहानी सुना रहे थे, तो मैंने उन्हें उस वक्त बड़े हल्के में लिया था, क्योंकि उस वक्त तक मुझे यह नहीं पता था कि यह इतने बड़े राइटर हैं और इंग्लिश नोबेल लिखते हैं। इसके बाद में मुझे पता चला, तो मेरे मन में बड़ा ही सम्मान उनके प्रति आया फिर जब पता चला कि यह इस फिल्म के खुद हीरो भी हैं, तो एक बार फिर मैं इनको हल्के में लिया और मन में यही था कि एक राइटर आदमी क्या एक्टिंग करेगा?

लेकिन, जब सेट पर उनकी गंभीरता को मैंने देखा और नेचुरल एक्टिंग करते हुए देखा, तो मैं एकदम फिर से अगम का फैन हो गया। शांभवी की बात करूं, तो एक नाटक में अभिनय करते हुए पहले भी इनको मैंने देखा था और इस फिल्म में इनकी एक्टिंग बहुत ही लाजवाब है। वे बहुत ही अच्छी अभिनेत्री हैं और यह बहुत आगे जाने वाली हैं। इन दोनों कलाकारों के भीतर सबसे खास बात यह है कि ये दोनों सब को सपोर्ट करते हुए चलते हैं। इन दोनों में से कोई यह नहीं समझता है कि मेरा अच्छा हो जाए या फिर मेरा अच्छा हो, दोनों लोग काबिले तारीफ हैं।

 प्रश्न.3) वो खास में आपके अभिनय की तारीफ हो रही है, आपको कैसा लग रहा है?

देखिए, तारीफ सुनना हर आदमी को अच्छा लगता है, लेकिन इस फिल्म में जो मेरी तारीफ हो रही है। इसका सारा श्रेय मैं पूरी टीम को देना चाहूंगा, क्योंकि सब ने मुझे बड़ा सपोर्ट किया है चाहे फिल्म का प्रोडक्शन संभालने वाले अविनाश हों या फिर गोलगप्पे वाले के रोल में उज्जवल हों या दानिश हों या फिल्म की असिस्टेंट भावना मीत हों और बहुत ही प्यारे-प्यारे शॉट बनाने वाले अमन हों या फिर डबिंग के समय मेरे डायलॉग पर वाह-वाह करने वाले अभिषेक हों, हर किसी ने मेरा हौसला बढ़ाया और तभी मैं इस फिल्म में इतना अच्छा अभिनय कर पाया।

 प्रश्न.4) मुझे ऋचा सिंह और अनायशा मोशन पिक्चर्स के बारे में कुछ बताएं?

मैं सच बताऊं, तो निर्माता के नाम से ही मुझे घबराहट होने लगती है और उनके सामने मैं कुछ बोल नहीं पाता, लेकिन यह वाला डर इस पिक्चर को करते वक्त मेरा थोड़ा खत्म हुआ, क्योंकि ऋचा सिंह जिनसे सिर्फ मेरी एक मुलाकात हुई है और उस मुलाकात में मुझे लगा ही नहीं की इस फिल्म की प्रोड्यूसर मेरे साथ खड़ी हैं। मुझे ऐसा लगता था कि जैसे हमारे घर का कोई मुखिया आकर खड़ा हो गया हो और मुझसे बोला हो कि शान से काम करो और कोई कमी हो, तो मुझे बताना।

यह बड़ा अच्छा लगा और हां, अनायशा मोशन पिक्चर की अगर बात करूं, तो यह ऋचा सिंह का नहीं है, अगम् आनंद का नहीं है, अंकित भारद्वाज का नहीं है, यह पूरी टीम का है। अनायशा मोशन पिक्चर की तरफ से कभी भी कोई काम मुझे मिले और पैसा मिले या ना मिले, लेकिन मैं इनके साथ काम ज़रूर करूंगा। यह मेरा वादा है।

 प्रश्न.5) किस तरह के निर्देशक हैं अंकित भारद्वाज? क्या आप एक बहुत ही युवा निर्देशक के साथ काम करने में सहज थे?

अंकित भारद्वाज एक बहुत ही उम्दा किस्म के डायरेक्टर हैं और मुझे लगता है कि किसी भी सीन को शूट करने से पहले सैकड़ों रिसर्च करते हैं तब वह सेट पर काम करते हैं। इतनी कम उम्र में इतनी प्रतिभा उनके अंदर भरी है कि क्या बताऊं इनकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।

सच बताऊं, तो जब मैं सेट पर इन से मिला और परिचय हुआ की यही निर्देशक हैं, तो एक बार इनको गौर से मैं देखा, मेरे मन में आया कि यह बच्चा क्या काम करेगा? लेकिन जब इनके काम करने के तरीके को मैंने देखा, तो मैं एकदम से समर्पित हो गया और डायरेक्टर का एक्टर बनकर खड़ा हो गया। अब यह बेचारा मुझसे इतने प्रेम से बोलता था और पूछता भी था कि सर आप संतुष्ट है ना? मैं एक ही बात बोलता कि अंकित जी आप संतुष्ट हैं, तो मैं संतुष्ट हूं बोलिए, तो एक टेक और दे सकता हूं, तो बोलते थे नहीं, नहीं सर मेरी मर्जी का हो गया। अंकित भारद्वाज भविष्य के बहुत अच्छे निर्देशक होंगे, अगर इन्हें अपनी मर्जी से खुलकर काम करने दिया जाए।

 प्रश्न.6) आपके आने वाले प्रोजेक्ट क्या हैं? क्या आप फिर से अगम आनंद के साथ काम करना पसंद करेंगे?

एक हिंदी की बड़ी फिल्म है “अंतराल ” और चूंकि भोजपुरी फिल्मों से मैंने शुरुआत की, तो भोजपुरी की भी एक फिल्म है, दोनों में मेरे दो तरह के किरदार हैं, एक पॉज़िटिव और एक नेगेटिव रोल है। एक बड़े टीवी चैनल से बात चल रही है, अगर फाइनल हो गया तो मैं बहुत ज़ल्दी वहां भी एक टीवी शो में नज़र आऊंगा।

आगे रही बात अगम आनंद के साथ फिर से काम करने की, तो मैं सच बताऊं कि अगर यह अगला कोई भी प्रोजेक्ट करते हैं, तो फिर चाहे ये कैमरे के आगे हों या फिर कैमरे के पीछे, मैं इनके साथ हर प्रोजेक्ट में जुड़ना चाहूंगा। यह मेरी दिली तमन्ना है, क्योंकि ज़रूरी नहीं कि हर प्रोजेक्ट में कैमरे के सामने ही मेरा रोल हो कैमरे के पीछे भी बहुत सारे काम होते हैं, तो एक मित्र के रूप में या एक सहकर्मी के रूप में भी, मैं ज़रूर इनके साथ रहना चाहूंगा।

 प्रश्न.7) कौन सा बेहतर है, रेडियो या सिनेमा? क्यों?

दोनों की अपनी-अपनी जगह अहमियत है, हां, सिनेमा का क्षेत्र थोड़ा बड़ा है और मैं शुरू से एक रंगमंच के कलाकार के रूप में रहा हूं, तो मुझे अभिनय करना ज़्यादा पसंद है, इसलिए सिनेमा बेहतर है।

 प्रश्न.8) आपकी अब तक की सबसे पसंदीदा फिल्में?

प्यार तो होना ही था, सिर्फ तुम और वो खास

 प्रश्न.9) अपने संघर्ष के बारे में बताएं? आप आने वाले युवा अभिनेताओं से क्या कहना चाहते हैं?

मेरा बचपन बड़ी ही गरीबी में गुज़रा है। मैं शुरू से ही सरकारी विद्यालय का विद्यार्थी रहा हूं, 12वीं तक, तो मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं एक्टिंग फील्ड में आऊंगा, बीकॉम में आया, तो थिएटर ज्वाइन किया फिर भारतेंदु नाट्य अकादमी, लखनऊ के एंट्रेंस एग्जाम में तीसरा स्थान प्राप्त किया, लेकिन घर में 7000रुपये ना होने के चलते मेरा वहां एडमिशन नहीं हो पाया, लेकिन मै लगातार रंगमंच करता रहा और 7 बार बेस्ट एक्टर का अवार्ड भी मैंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय नाटक प्रतियोगिताओं में प्राप्त किया।

उसके बाद लोकल टीवी चैनल से जुड़ा, फिर नेशनल टीवी चैनल पर काम करने लगा। उसके बाद फिल्मों की तरफ आया और मैंने भोजपुरी की बहुत सारी फिल्में भी की। मैंने एक हिंदी फिल्म 30 मिनट भी उस दौरान की, जिसमें स्टार कास्ट हितेन पेंटल और रिश्ता भट्ट थे। उसमें मेरा एक छोटा सा रोल था, उसके बाद मेरा टीवी का एक शो हिट हुआ, उसके बाद रेडियो में मुझे बुलाया गया और उसके बाद से एक रेडियो जॉकी के रूप में, मैं पटना में हूं और यहां रह कर रेडियो पर यूपी, बिहार, झारखंड तीनों राज्यों में शो करता हूं।

 प्रश्न.10) पहली बार अंग्रेज़ी में डबिंग करने का आपका अनुभव कैसा रहा?

बहुत ही कठिन, लेकिन मज़ेदार अनुभव था। मुझे उस दौरान कुछ-कुछ शब्द बोलने में दिक्कत होती थी और उस दिक्कत के दौरान इतनी हंसी आती थी कि हंसते-हंसते सब लोग लोटपोट हो जाते थे, सही कहूं, तो मैंने अंग्रेज़ी भाषा में डबिंग करते वक्त बहुत इंजॉय किया।

 प्रश्न.11) अपने दर्शकों, श्रोताओं और प्रशंसकों के लिए आपका संदेश?

देखिए, मैं अपने श्रोताओं एवं दर्शकों से और अपने चाहने वालों से यही कहना चाहूंगा कि किसी भी फिल्म को हमेशा मनोरंजन की दृष्टि से देखें और अच्छा लगे, तो उसकी सराहना ज़रूर करें, क्योंकि एक फिल्म बनाने में भले कैमरे के सामने दो-चार लोग ही दिखते हो, लेकिन इसको बनाने के लिए एक पूरी टीम काम करती है और आपकी थोड़ी सी सराहना आगे काम करने के लिए हमारा हौसला बढ़ाती है।

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