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आइए जानते हैं क्यों मचा है लक्षद्वीप में सियासी बवाल?

आइए जानते हैं क्यों मचा है लक्षद्वीप में सियासी बवाल?

लक्षद्वीप के मुद्दे को लगभग एक हफ्ता हो गया है। ट्विटर से लेकर तमाम सोशल मीडिया साइट पर यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है और वहीं सोमवार और मंगलवार को दो हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे थे। एक सेव लक्षद्वीप और दूसरा लक्षद्वीप।

इस पूरे मामले के पीछे वहां के वर्तमान प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को एक बड़ा कारण बताया जा रहा है। इससे पहले हम जान लेते हैं लक्षद्वीप के बारे में। लक्षद्वीप द्वीपसमूह होने के साथ-साथ भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश भी है। यह भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश है, जिसकी राजधानी करवत्ती है।

36 आईलैंड से बना यह द्वीप केरल उच्च न्यायालय के अधीन आता है। 1 नवंबर 1956 को इसकी स्थापना की गई तब से अभी तक इसके 35 प्रशासक नियुक्त किए जा चुके हैं। इस द्वीपसमूह के 34वे प्रशासक दिनेश्वर शर्मा नियुक्त किए गए थे, उसके बाद 2020 में फेफड़ों की समस्या के चलते उनकी मौत हो गई थी।

लक्षद्वीप

उसके बाद यहां के 35वे प्रशासक गुजरात के प्रफुल पटेल बने। जैसा कि लक्षद्वीप 1 केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ-साथ एक ज़िला भी और यहां के सांसद मोहम्मद फैजल जो कि एनसीपी से हैं। लक्षदीप की आबादी क्षेत्र से 75 हज़ार के लगभग है, लगभग 91% आबादी वाला क्षेत्र भारत का सबसे खूबसूरत प्रदेश भी कहा जाता है।अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का केंद्र मालदीव यहां से कुछ ही दूर है, इसके साथ ही यह केरल की सीमाओं से भी जुड़ा हुआ है।

क्या हैं प्रफुल पटेल के विवादित कानून? 

प्रशासक प्रफुल्ल पटेल आज विवादों से घिरे हुए हैं। देश भर में विपक्षी दल के वरिष्ठ नेता इनको हटाने की मांग कर रहे हैं तथा आम जनता भी इन सभी कानूनों को वापस लेने की मांग कर रही है।

लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021

(LDAR) का मसौदा पेश किया, जो प्रशासक को विकास के उद्देश्य से किसी भी संपत्ति को जब्त करने और उसके मालिकों को स्थानांतरित करने या हटाने की अनुमति देता है। दरअसल, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन के मसौदे को इस साल जनवरी में पेश किया गया था।

इसके तहत इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से जुड़े कामों के लिए स्थानीय लोगों को उनकी जगहों या ज़मीनों से हटाने और दूसरी जगह पर विस्थापित करने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही किसी भी तरह की अचल संपत्ति विकास से जुड़े काम के लिए दी जा सकती है। लोगों को डर है कि इससे आने वाले समय में उनकी ज़मीनें छीनें जा सकती हैं। हालांकि, इस पर प्रशासक की कुछ और ही प्रतिक्रिया है।

असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टीविटीज (PASA)

एक्ट भी पेश किया है, जो किसी व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से गिरफ्तारी का खुलासा किए बिना सरकार द्वारा उसे एक साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है। असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम के मसौदे में लिखा गया है कि बिना सार्वजनिक जानकारी दिए किसी भी व्यक्ति को एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है।

इसके विरोधियों का कहना है कि जब लक्षद्वीप में अपराध दर देश में सबसे कम है, तो ऐसे कड़े कानूनों की कोई ज़रूरत नहीं है। आलोचकों का कहना है कि नए कानूनों के विरोध में खड़े होने वाले लोगों को चुप कराने के लिए यह अधिनियम लाया जा रहा है।

इस कानून को स्थानीय लोग गुंडा एक्ट भी कह रहे हैं। लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैसल ने BBC से कहा कि ये कानून इसलिए लाए जा रहे हैं ताकि कोई सड़क पर उतर कर विरोध ना कर सके। यह हमारे संवैधानिक अधिकारों के छीनने की कोशिश है।

इसके अलावा, मसौदा पंचायत चुनाव अधिसूचना भी है, जो किसी ऐसे व्यक्ति को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकती है जिसके दो से अधिक बच्चे हैं। तीसरा विवादित मसौदा पंचायत अधिसूचना से जुड़ा हुआ है। इसमें कहा गया है कि ऐसे किसी व्यक्ति को पंचायत चुनाव लड़ने की इजाज़त नहीं होगी, जिसके दो से अधिक बच्चे हैं।

इसके विरोध में लोगों का आरोप है कि प्रशासक इस कानून के ज़रिये पंचायत और पंचायत सदस्यों की ताकत कम करना चाहते हैं। यह हमारे एवं पंचायतीराज व्यवस्था के लोकतांत्रिक अधिकारों की छीनने की षडयंत्र  है। वहां के सांसद फैसल का कहना है कि प्रशासक को ताकत देने एवं उसके पद को तानाशाह में परिवर्तित करने के लिए यह कानून लाया जा रहा है।

लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन

लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन भी है, जो वहां के स्कूलों में मांसाहारी भोजन परोसने पर प्रतिबंध के साथ-साथ गोमांस की बिक्री, खरीद या खपत पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव करता है। 2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप की 96 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। इन लोगों का कहना है कि बीफ उनका मुख्य भोजन है।

चौथा विवादित मसौदा बीफ से ही जुड़ा हुआ है। दरअसल, लक्षद्वीप पशु सरंक्षण विनियमन के लागू होने के बाद यहां किसी भी मांसाहारी जानवर को मारना बेहद मुश्किल हो जाएगा। दरअसल, मांसाहारी जानवरों को मारने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट की ज़रूरत होगी, लेकिन गाय, भैंस, बछड़ा और बैल आदि के लिए यह सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा।

बीफ खाने, रखने और बेचने की नहीं होगी इजाज़त

इस मसौदे की एक धारा में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बीफ या बीफ से बनी चीज़ों को किसी भी रूप में बेचने, रखने, स्टोर करने या कहीं ले जाने की इजाज़त नहीं होगी।

गाय की हत्या पर 10 साल से उम्रकैद तक की सज़ा और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वहीं गौमांस प्रतिबंध का उल्लंघन करने के दोषी को न्यूनतम सात साल की सज़ा हो सकती है।

 अपनी पसंद के भोजन के अधिकार के अधिकार पर रोक लगाने की कोशिश

इस मसौदे का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यहां ज़्यादातर लोग मुसलमान हैं और इस कानून के ज़रिये उन्हें अपने मनपसंद खाना खाने से रोकने की कोशिश हो रही है। इसके अलावा बीफ के कारोबार से जुड़े लोगों पर रोज़गार का संकट मंडरा रहा है। इसका विरोध कर रहे सांसद फैसल ने कहा कि वो हमें अपनी पसंद का खाना नहीं खाने देना चाहते हैं। मिड-डे मील में भी बच्चों को बीफ देना बंद कर दिया गया है।

इसके साथ ही प्रशासक की ओर से प्रस्तावित नए मसौदा कानून के तहत लक्षद्वीप में शराब के सेवन पर रोक हटाई गई है। प्रशासक का कहना है कि हम इसे मालदीव की तरह एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन का केंद्र बनाने की नीति पर काम कर रहे हैं, इसलिए शराब बिक्री पर छूट ज़रूरी है।

इस पूरे मामले पर पटेल की प्रतिक्रिया

वेबसाइट ‘द प्रिंट’ से बातचीत करते हुए प्रफुल पटेल ने बताया कि भारत के दक्षिण-पश्चिम किनारे पर स्थित लक्षद्वीप के विकास सम्बंधी सुधार के लिए एलडीएआर (लक्षद्वीप डिवलेपमेंट अथॉरिटी रेग्युलेशन) को लाया गया है। इसे लेकर विपक्ष की आलोचनाओं से घिरे लक्षद्वीप प्रशासन ने गुरुवार को कहा कि वह द्वीपसमूह के भविष्य के लिहाज से योजनाबद्ध तरीके से बुनियाद रख रहा है। प्रशासन ने कहा कि वह लक्षदीप को मालदीव की तर्ज़ पर विकसित करना चाहते हैं।

लक्षद्वीप की जनता को विश्वास में लिए बिना इस तरह के कदम उठाने के आरोपों को खारिज करते हुए ज़िलाधिकारी  एस.असकर अली ने कहा कि निहित स्वार्थ वाले और अवैध कारोबार में संलिप्त लोग लक्षदीप प्रशासन के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप बहुत शांति वाली जगह है।

लक्षदीप में असामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम (पासा) लागू करने के फैसले को उचित ठहराते हुए ज़िला अधिकारी ने कहा कि यह कदम ड्रग्स तस्करी और बच्चों के साथ बढ़ते यौन उत्पीड़न के मामलों को रोकने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा कि जब हम समग्र रूप से इस जगह को विकसित करने की योजना बना रहे हैं, तो हम कानून व्यवस्था के मोर्चों पर समझौता नहीं कर सकते।

मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप में शराब के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि यहां कुछ चुनिंदा पर्यटकों के लिए शराब के परमिट दिए गए, जो सिर्फ पर्यटकों के लिए हैं। लक्षद्वीप में गोहत्या पर प्रतिबंध के फैसले पर उन्होंने कहा कि देश में राज्यों ने गाय संरक्षण कानून बनाए हैं, इसलिए लक्षद्वीप में भी कानून लाया गया है।

लक्षद्वीप को मालदीव जैसा बनाने के प्रयास

लक्ष्यद्वीप ज़िलाधिकारी ने कहा कि प्रशासन चाहता है लक्षद्वीप को अगले 10 या 20 वर्षों में मालदीव जैसे द्वीपों की तरह विकसित किया जाए। सुरक्षा की दृष्टि से ये द्वीप बहुत महत्त्वपूर्ण हैं और यहां के लिए समग्र विकास की योजना बना रहे हैं।

मालदीव

मालदीव एक ही प्राकृतिक सुंदरता के साथ उभरा है, जो विश्व के पर्यटन स्थलों में से एक है। हालांकि, यहां सुविधाएं होने से पर्यटक बहुत कम आते हैं। इसलिए सुधार के कदम उठाए गए हैं, जिससे पर्यटक भी आएंगे और स्थानीय लोगों को रोज़गार भी मिल सकेगा। यह सत्य है कि मालदीव के विकास व उसका मुख्य साधन वहां का पर्यटन ही है।

आखिर कौन हैं प्रशासक प्रफुल पटेल?

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के प्रशासक हैं। लक्षद्वीप के तत्कालीन प्रशासक दिनेश्वर शर्मा के निधन के बाद दिसम्बर 2020 में उन्हें लक्षद्वीप का, अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

प्रफुल्ल खोड़ा पटेल ने गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में दो साल तक गृह राज्य मंत्री के तौर पर काम किया था। उनके पिता खोड़ाभाई पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता थे। पीएम नरेंद्र मोदी के शुरुआती राजनीतिक दिनों में उनके घनिष्ठ सम्बन्ध थे।

लक्षद्वीप के प्रशासक के रूप में प्रफुल्ल खोड़ा पटेल की नियुक्ति का विरोध किया गया था। द्वीप के नेताओं ने आरोप लगाया था कि वह आरएसएस के सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। कहा जाता है कि वह लक्षद्वीप के प्रशासक के रूप में नियुक्त होने वाले एकमात्र राजनेता हैं। इस पद पर पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों का कब्जा रहा है।

प्रफुल पटेल, तस्वीर सोर्स- TOI

2007 के विधानसभा चुनाव में प्रफुल पटेल ने कांग्रेस के कद्दावर नेता सीके पटेल को हराया था। पटेल पर नरेंद्र मोदी के भरोसे को इसी बात से समझा जा सकता है, जब अमित शाह को गुजरात में एक पुलिस मुठभेड़ के मामले में राज्य से बाहर रहने को कहा गया, तो उनके बदले पटेल को ही गृह मंत्री बनाया गया था।

वह 2010 से 2012 तक गुजरात के गृह मंत्री रहे। वे पहली बार विधायक बने थे, इसके बावजूद उन्हें इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी दी गई थी। 2012 में वह विधानसभा चुनाव हार गए। इसके बाद वह राजनीति में खास सक्रिय नहीं थे। हालांकि, वह अपने काम करने के नियमों और काम से काम रखने की शैली की वजह से मोदी को प्रभावित करते रहे हैं।

क्यों हो रहा है प्रफुल्ल पटेल का विरोध

प्रशासक प्रफुल पटेल को लेकर लक्षद्वीप में विरोध तेज़ हो रहा है। खबर है कि इसका कारण उनकी तरफ से लाई गई नीतियां हैं, जिसका विरोध राजनीतिक से लेकर सामाजिक स्तर पर जारी है। इसमें बीफ पर प्रतिबंध (Beef Ban) से लेकर गुंडा एक्ट तक शामिल हैं।

केरल की सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) से लेकर कांग्रेस समेत काई राजनीतिक दलों ने नई पॉलिसी की आलोचना की है। इसके साथ ही पटेल को केंद्र शासित प्रदेश में कोविड-19 (Covid-19) के बढ़ते मामलों का ज़िम्मेदार भी ठहराया जा रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी को लेकर बवाल ज़्यादा हो रहा है। केंद्र शासित प्रदेश में सांसद मोहम्मद फैजल इसे लोगों की ज़मीन हड़पने की कोशिश बताते हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद अथॉरिटी को मालिकों के हितों की सुरक्षा किए बगैर ज़मीन पर कब्जा करने की ताकत मिल जाएगी।

फैजल ने कहा, यहां सड़कों को नेशनल हाईवे मानकों के हिसाब से तैयार करने की कोशिश की जा रही है। लक्षद्वीप को बड़े हाईवे की ज़रूरत क्या है? प्रशासक यहां के लोगों के व्यापारिक हितों को बढ़ा रहे हैं। हालांकि, पटेल का कहना है कि स्थानीय सांसद ने उनसे कोई चर्चा नहीं की है। इसके अलावा देश के कई बड़े नेता प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ राष्ट्रपति के नाम पत्र लिख रहे हैं।

राहुल गांधी ने लिखा पत्र

लक्षद्वीप एनिमल प्रिजर्वेशन रेगुलेशन ड्राफ्ट के खिलाफ राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि इस केंद्र-शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के आदेशों को वापस लिया जाए, क्योंकि इस मसौदे से लक्षद्वीप के लोगों के भविष्य को खतरा पैदा हो गया है।

पत्र में क्या लिखा?

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पत्र में यह आरोप लगाया है कि प्रफुल्ल पटेल की ओर से मनमाने ढंग से किए गए संशोधनों और घोषित जन विरोधी नीतियों के कारण लक्षद्वीप के लोगों के भविष्य को खतरा पैदा हो गया है। राहुल गांधी ने लक्षद्वीप में विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए कहा कि लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण नियमन का मसौदा इस बात का सबूत है कि प्रशासक की ओर से लक्षद्वीप की पारिस्थितिकी शुचिता को कमतर करने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने दावा किया कि इस मसौदे के प्रावधान लक्षद्वीप में भू स्वामित्व से सम्बंधित सुरक्षा कवच को कमज़ोर करते हैं। कुछ निश्चित गतिविधियों के लिए पर्यावरण सम्बन्धी नियमन को कमतर करते हैं तथा प्रभावित लोगों के लिए कानूनी उपायों को सीमित करते हैं। 

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