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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर और निम्न मध्यमवर्ग के सामने खड़ा होता रोज़गार संकट

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर जारी है। पिछले कुछ हफ्तों से फिर एक संकट लौट आया है। लगातार रिकॉर्ड संख्या में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आना देश के लिए एक गंभीर विषय बन गया है। सरकारें लॉकडाउन लगाने के बावजूद कोरोना संक्रमण को रोकने में नाकाम रही हैं।

गरीबों के बारे में कुछ नहीं सोच रही सरकार

देश में कोरोना के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ रहे हैं। सबसे ज़्यादा देखा जाए तो उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड आदि राज्यों में बहुत अधिक मात्रा में कोरोना संक्रमण के मामले सबसे सामने आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन लगाकर मध्य वर्ग के लोगों के लिए एक मुश्किल खड़ा कर दिया है।

सभी के दिमाग में एक ही सवाल आता है कि कोरोना के मामले आखिर कब तक कम होंगे या खत्म होंगे? केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा लगाए गए पाबंदिया आखिर कब खत्म होंगी?

देखा जाए तो गरीब मज़दूर, रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदार, रिक्शा चालक आदि छोटे-छोटे परिवारों को इस कोरोना महामारी का सबसे ज़्यादा सामना करना पड़ रहा है। कुछ परिवार किराया देने तक में असमर्थ हैं, तो कुछ परिवार का खर्चा चलाने में भी। आखिर कब तक इन हालातों में गरीब परिवार अपनी परेशानियों को दूर करेगा?

कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों को लॉक डाउन लगाने में किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं है लेकिन गरीब परिवारों के लिए तो सोचना भी सरकार का ही दायित्व है। पिछली बार की देशभर में बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन लगाकर गरीबों को निचोड़ देने वाला दृश्य सामने आया था। जान बची लेकिन हालात इस तरह खराब हो गए कि आज तक गरीब अपने परिवार का खर्चा-पानी चलाने के लिए तरस रहा है।

संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए जान बचाना भी मुश्किल

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर हर वर्ग के लिए चुनौतीपूर्ण बन गया है। देशभर में ऑक्सीजन, बेड और दवाइयों के लिए हाहाकार मचा है। ऑक्सीजन को लेकर इस तरह का हाहाकार मचा है कि हर दूसरा घर ऑक्सीजन की मदद के लिए गुहार लगा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटलों में लोगों की परेशानी न सुनकर प्रबंधन अपनी जेब भरने में लगा हुआ है। मानवता की परिभाषा का अर्थ खत्म हो चुका है।

सभी अपने जीवन को बेहतर बनाने में व्यस्त हैं, चाहे उसके लिए किसी का कत्ल क्यों न करना पड़े? मेरा मानना तो यह है कि निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करो और आज ऐसा समय आया है कि एक दूसरे को एक दूसरे की ज़रूरत है। हमें निस्वार्थ भाव से लोगों की मदद करनी चाहिए।

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