Site icon Youth Ki Awaaz

द ग्रेट इंडियन किचन, हमारे समाज में महिलाओं की वास्तविक स्थिति का रेखांकन करती है

द ग्रेट इंडियन किचन, हमारे समाज में महिलाओं की वास्तविक स्थिति का रेखांकन करती है

“द ग्रेट इंडियन किचन” की सबसे इंटरेस्टिंग बात यह है- लड़का सोशियोलॉजी का टीचर है। परंतु, उसे ना जेंडर की समझ है, ना प्रेज्यूडिस की, ना स्टीरियोटाइप की, ना रिलिजन में उपस्थित पाखण्ड की, ना ट्रेडिशन की। वो टीचर होते हैं, ना जो क्लास में बराबरी का ज्ञान देते हैं, और घर में अपने मेड(काम करने वाली) के लिए अलग बर्तन रखते हैं। खैर, आगे बढ़ते हैं।

फिल्म में एक दृश्य है, जो मेल कैरेक्टर है। वो स्कूटी से मंदिर की तरफ जा रहा होता है और स्कूटी फिसल जाती है। उसकी पत्नी उसे उठाने आती है, तो वह पत्नी को झिड़क देता है। पत्नी तब अपने पीरियड(माहवारी) के दिनों में होती है। इसीलिए वह उसे झिड़क देता है। हमारे हिन्दू धर्म में पीरियड की अवस्था में लड़कियों को दूषित माना जाता है। हां, और एक बात पति यज्ञ करवाने वाला है, इसलिए उससे कहा गया है कि जब तक यज्ञ खत्म ना हो, उसे शुद्ध रहना है।

आगे यह होता है कि अब पति एक तथाकथित दूषित महिला के संपर्क में आ गया है, तो शुद्ध होने के लिए कुछ उपाय भी चाहिए। अब यहां उसका धर्म उपाय बताता है। एक बात और ऊपर जो समस्या दिखाई गई है, वह भी धर्म ही बता रहा है कि यह समस्या है, तो इससे शुद्ध करने का उपाय भी धर्म ही देगा ना।

पति जब पुजारी को यह बात बताता है, तो वह उपाय बताते हैं- तीन विकल्प हैं। पहला गाय का गोबर खा लो। दूसरा गौमूत्र पी लो। तीसरा गंगा नदी में स्नान कर लो। इन तीन में से कोई एक करो और शुद्ध हो जाओगे। आप कौन सा चुनेंगे? जाहिर है कि तीसरा चुनेंगे।

अब ऐसे सोचिये सौ तथाकथित अशुद्ध व्यक्तियों को गंगा नदी के पास लाया जाता है। वहां गाय का गोबर और गौमूत्र भी लाया जाता है। अब सबको शुद्ध होना है। सब के पास तीन विकल्प हैं। लोग कौन सा चुनेंगे? तीसरा। पहला और दूसरा शायद ही कोई चुने। यहां धर्म लोगों को रोक रहा है अपने यानी धर्म से दूर जाने से।

इस पूरी प्रक्रिया को समझने के बाद आप क्या कहेंगे? यह धर्म का लचीलापन है या पाखंड है! या लोगों को धर्म के नाम पर सिर्फ अंधा बनाया जा रहा है! या गाय का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। अम्बेडकर, एनिहिलेशन ऑफ कास्ट में लिखते हैं हिन्दू धर्म में जाति जैसी चीज़ अभी भी इसलिए अस्तित्व में है, क्योंकि उसका एक महत्वपूर्ण कारण है कि वहां प्रायश्चित करने का विकल्प भी है।

आदमी सारा शहर घूम के आ जाता है, किसी के भी संपर्क में आ जाता है, तो  छूत-अछूत फिर घर आकर प्रायश्चित कर लिया। उसके तरीके अलग-अलग हैं। ऊपर तरीका बताया भी गया है।

यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि जाति जैसी चीज़ में लोग अभी भी विश्वास करते हैं, क्योंकि कुछ विकल्प ही ना हो, तो फिर समझदार आदमी तो इस व्यवस्था से दूर ही भागेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि धर्म और जाति जैसी चीज़ों पर लोग अभी भी विश्वास करते हैं, क्योंकि इसमें आपके तथाकथित पाप के प्रायश्चित की भी सुविधा है।

यह सारा खेल पर्सपेक्टिव का है। धार्मिक ग्रंथ और भी जो धर्म के रूल बुक हैं। सभी धर्म के मेल पर्सपेक्टिव से लिखा गया है। धर्म के पूरे ग्रंथ, तो पढ़े नहीं जा सकते हैं, लेकिन जो व्यवहार में दिखता है, वह काफी है। आप देख लीजिए अपने आस-पास और हां, एक बात और कोई भी ग्रंथ हो, किसी भी धर्म का कोई मायावी शक्ति ने तो नहीं लिखा है। सारे धर्म के ग्रन्थ इंसान ने ही लिखे हैं और उसे थोप दिया किसी ईश्वर पर या अल्लाह पर लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए।

Exit mobile version