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“डिजिटल डिवाइड के दौर में वैक्सीनेशन के लिए वॉक-इन या डोर-टू-डोर कहीं बेहतर विकल्प हैं”

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते रोज़ हज़ारों लोगों की मौत हो रही है। कहा जा रहा है कि असली आंकड़े सरकारी आंकड़ों से भी कई गुणा बढ़कर हैं। कई रिपोर्ट्स ने जमीनी आंकड़ों के साथ इसकी पुष्टि भी की है। संक्रमण को रोकने के लिए 1 अप्रैल से कोविन वेबसाइट और आरोग्य सेतु एप पर सभी 18+ उम्र के व्यक्तियों के लिए टीकाकरण हेतु ऑनलाइन पंजीकरण शुरू हुआ।

स्लॉट मिलने में हो रही परेशानी

कई रिपोर्टों से ज्ञात हुआ है कि जिन व्यक्तियों ने ऑनलाइन पंजीकरण किया है, उन्हें टीके के लिए स्लॉट नहीं मिल रहे हैं। 18+ के स्लॉट एप पर या तो भरे हुए दिखते हैं या फिर अनुपलब्ध। बहुत लोगों ने शिकायत उठाई कि उनके आस-पास सभी टीकाकरण केंद्र अब भी केवल 45+ उम्र के लिए ही स्लॉट दर्शा रहे हैं। इस कारण लोगों में अफरा-तफरी फैल रही है, क्योंकि वायरस से मौतों का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

मेडिकल शोध दर्शाता है कि मौजूदा स्थिति से भी घातक स्थिति तीसरे लहर में होगी। ऐसे समय में सभी देशवासियों का टीकाकरण होना चाहिए, परंतु सरकार की मौजूदा टीकाकरण प्रणाली यह सुनिश्चित नहीं कर सकती। रिपोर्टों के अनुसार, 7 मई तक देशभर में केवल 16.7 करोड़ टीके लगाए गए हैं।

ये आंकड़े चौंका देने वाले हैं, क्योंकि भारत जैसी घनी आबादी वाले देश में तेज़ कम्युनिटी ट्रांसमिशन की परिस्थिति में यह अपर्याप्त है।

डिजिटल डिवाइड ने एक बड़े वर्ग को वैक्सीनेशन से दूर रखा है

मौजूदा टीकाकरण प्रक्रिया में एक और भारी कमी है। इसका पंजीकरण केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कराया जा रहा है, जिसके कारण देश के सबसे बड़े हिस्से को इस टीकाकरण प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है।

सरकार ने डिजिटल इंडिया के कई ऊंचे दावे किए हैं, परंतु जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है, जहां मेहनतकश जनता के पास ऑनलाइन साधनों तक पहुंच और जानकारी नहीं है। सरकार टीका उत्पादन का राष्ट्रीयकरण करे और सभी देशवासियों को टीके मुहैया कराए। राष्ट्रीय टीकरण प्रक्रिया सबके लिए मुफ्त और सुगम बनाई जाए।

सरकार को ऑनलाइन पंजीकरण के लिए एक विकल्प बनाना होगा, जिससे वो लोग जो इन तकनीकों से वंचित हैं, टीकाकरण से वंचित न रह जाएं। इसके लिए वॉक-इन या डोर-टू-डोर पंजीकरण और टीकाकरण किया जा सकता है।

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