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सावित्रीबाई फुले: देश की पहली महिला प्रिसिंपल, जो दलित महिलाओं के अधिकारों के लिए आखिरी सांस तक लड़ीं

सावित्रीबाई फुले: देश की पहली महिला प्रिसिंपल, जो दलित महिलाओं के अधिकारों के लिए आखिरी सांस तक लड़ीं

हमारे समाज में दलित शोषित वंचित लोगों की आवाज़ उठाने में महिलाओं में सबसे पहले नाम आता है, तो सावित्री बाई फुले का आता है। जिन्होंने विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं के अत्याचारों को लेकर उनके हक के लिए आवाज़ बुलंद की। सावित्री बाई फुले को मराठी की आदिकवयित्री के रूप में भी जाना जाता था।

महिलाओं के अधिकारों के लिए दिया अपना अहम योगदान

आज ही से नहीं, बल्कि पहले से ही कहा जाता है कि जितना अधिकार पुरुषों को है, उतना ही महिलाओं का भी होना चाहिए। सावित्री बाई फुले का एक ही उद्देश्य रहा कि महिलाएं शिक्षित बनें। महिलाओं को शिक्षा के साथ- साथ महिलाओं की मुक्ति और महिलाओं को लेकर विधवा विवाह करवाने के भी उनके अनेक मिशन रहे।

सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं  और साथ ही महिलाओ के अधिकारों के लिए अपनी आवाज़ को बुलंद किया और उन्हें उनके अधिकारों को दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। जिन्हें हम आज भी याद करते हैं। सावित्री बाई फुले को उस समय अनेक समाज की संस्कृति और सभ्यता के रूप में गढ़ी हुईं सामाजिक मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। उस समय महिलाओं के  अधिकारों एवं समाज में उनकी बराबरी के लिए अपनी आवाज़ उठाना बहुत ही कठिन था।

पहले बालिकाओं के लिये जब स्कूल खोलना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी, उन्हें उस समय इस के लिए अपनी आवाज़ उठाने के लिए बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। फिर भी उन्होंने अपने अधिकारों को लेकर आवाज़ उठाई और सफल भी रहीं, साथ ही दलित महिलाओं के ऊपर समाज के अत्याचारों को लेकर महिलाओं के साथ मिलकर उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई।

महिलाओं को शिक्षित करने के लिए विद्यालय की स्थापना

सावित्री बाई फुले  ने देखा कि महिलाओं को समाज में पुरुषों की भांति शिक्षा का अधिकार नहीं दिया जा रहा है, तो उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले जी के साथ मिलकर महिलाओ के लिए एक विद्यालय शुरू किया। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी, लेकिन उसके बावजूद भी उस दौर में ना सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी इंतजाम किया। उसके बाद उन्होंने एक वर्ष में पांच नए महिला विद्यालय खोले ताकि महिलाएं शिक्षित बनें और अपने अधिकारों के बारे में जानें।

दलितों के अधिकारों के लिए रहा बहुत बड़ा योगदान

दलित महिलाओं के लिए शिक्षा का अधिकार दिलाने में सबसे बड़ा योगदान देश में सावित्री बाई फुले जी का रहा। जिन्होंने अपने स्कूल खोलने के बाद अनेको लोगों द्वारा महिलाओं के लिए स्कूल खोलना शुरू हो गया। दलित महिलाओं को शिक्षित बनाने मे उनकी अहम भूमिका रही।

दलित महिलाओं के साथ-साथ दलित समाज के अधिकारों को लेकर उन्होंने समाज के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की और दलित समाज के साथ चलकर दलित समाज को आगे बढ़ाया।

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