गाजियाबाद के मुस्लिम युवक की पिटाई का सच
जबरन जोड़ा गया श्री राम के नाम के साथ
हमारे देश में किसी भी घटना को धर्म से जोड़ना एक फैशन बन गया है। हाल ही में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक वृद्ध को पीटा जा रहा है उसके साथ ही एक और वीडियो (फ़ेसबुक लाइव) जिसमें वही वृद्ध यह कहते नज़र आ रहे है कि मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ इसलिए पीटा गया क्यूँकि मैंने जय श्री राम के नारे नहीं लगाए इसलिए मुझे जबरन पिटा गया मेरी दाड़ी काट दी गई।
क्या है मामला
5 जून को अब्दुल समद (72) नाम का वृद्ध उत्तरप्रदेश के गाज़ियाबाद में तावीज़ बेचने पहुँचा, अक्सर यह व्यक्ति तावीज़ बेचा करता था यह कहकर की तावीज़ ले लीजिए इससे आपके सारे काम सही हो जाएंगे। पुलिस के मुताबिक 10 लड़को ने उस व्यक्ति के साथ मारपीट की क्यूँकि उन लड़कों का कहना है कि उस व्यक्ति ने जो तावीज़ उनको बेचे उनका असर नहीं हुआ वरन उनका उल्टा असर हुआ।
मारपीट करने वाले 10 लड़को में 5 हिन्दू व 5 मुस्लिम युवक शामिल थे। इसके बाद 7 जून को बुज़ुर्ग ने नज़दीकी थाने में F.I.R
दर्ज करवाई जिसमें कहीँ से कहीं तक यह नहीं लिखा गया कि जय श्री राम के नारे न लगाने पर बुज़ुर्ग को पिटा गया लेकिन उसके बाद एक फ़ेसबुक लाइव पर वह बुज़ुर्ग यह कहते दिख रहे है कि उन्हें सिर्फ़ इसलिए मारा गया क्यूँकि उन्होनें जय श्री राम का नारा नहीं लगाया।
इस घटना पर पत्रकारिता
हमारे देश में लोग सबसे पहले भरोसा करते हैं समाचार पत्रों पर बल्कि हमारे देश में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में किसी भी घटना की जानकारी के लिए लोग पत्रकारिता का सहारा लेते हैं। अब आप ज़रा सोचिए वही पत्रकार वही समाचार पत्र अगर ग़लत खबरें फैलाएंगे तो किस प्रकार हमारा समाज प्रभावित होगा। गाज़ियाबाद की इस घटना पर कई समाचार पत्रो ने इस ख़बर को मुख्य पेज पर छापा
जिसमें हिन्दी व इंग्लिश दोनों शामिल हैं व राष्ट्रीय समाचार पत्र भी शामिल हैं।
एक समाचार पत्र ने हैडलाइन में लिखा
-वृद्ध से ज़बरन धार्मिक नारे लगवाए गए
अब आप सोचिए जब हैडलाइन यह है तो ख़बर किस तरह ज़हरीली होगी
एक दूसरे अख़बार ने लिखा
यह अंग्रेज़ी अख़बार है जिसने लिखा-
एक बुज़ुर्ग पर हमला हुआ उससे जबर्दस्ती जय श्री राम का नारा लगवाया गया 1 गिरफ़्तार (अनिवादित) ।
फिर एक समाचार पत्र ने लिखा
-मुस्लिम मैन असाल्टेड
अब यहाँ पर बड़ा सवाल यह हैं कि देश के राष्ट्रीय समाचार पत्र बिना जानकारी के कुछ भी कैसे छाप सकते हैं? ऐसे कई अखबारो ने इस घटना को पहले पन्ने पर बड़ा चड़ा कर छापा।
देश के बुद्धिजीवियो ने भी ख़ूब फैलाई ग़लत ख़बर।
इस घटना के बाद देश के बड़े-बड़े नेताओ व पत्रकारो ने ट्विटर सहीत अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर इसे वायरल करना शुरू कर दिया। इसमें एक ट्वीट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व देश के जाने माने बड़े नेता राहुल गांधी ने भी किया
राहुल गांधी लिखते हैं राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि मैं ये मानने को तैयार नहीं हूँ कि श्रीराम के सच्चे भक्त ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में आगे कहा है कि ऐसी क्रूरता मानवता से कोसों दूर हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट में कहा है कि यह समाज और धर्म दोनों के लिए शर्मनाक है।
इसके बाद समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित कई पत्रकारो ने इस घटना को बढ़ा चढ़ाकर साम्प्रदायिक रंग दिया
पीड़ित व्यक्ति का दावा है कि उनकी पिटाई करने वालों ने उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को कहा था। हालांकि पुलिस ने इस मामले में साम्प्रदायिक पहलू होने से इंकार किया है। उनका कहना है कि सूफी अब्दुल समद की पिटाई करने वालों में हिन्दू-मुसलमान शामिल थे और सभी उनके द्वारा बेचे गए ताबीज को लेकर नाखुश थे।
*ट्विटर समेत 9 के खिलाफ F.I.R*
पुलिस ने ट्विटर समेत 9 के खिलाफ FIR दर्ज की है। ये FIR मामले को सांप्रदायिक रंग देने के आरोप में की गई है। Twitter पर आरोप है कि इस-इस तरह के वीडियो पर कोई एक्शन नहीं लिया। पुलिस ने इस मामले में ट्विटर के अलावा मोहम्मद जुबैर, राना अय्यूब, द वायर, सलमान निजामी, मसकूर उस्मानी, समा मोहम्मद, सबा नकवी, Twitter Communications India Pvt के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि पुलिस द्वारा मामला पूरी तरह से स्पष्ट किए जाने के बावजूद Twitter ने ग़लत ट्वीटस को हटाने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया।
पुलिस की FIR में कहा गया है
कि इन सभी लोगों ने ट्विटर पर घटना की सत्यता को जांचे बिना ही घटना को सांप्रदायिक रंग दे दिया और इनके द्वारा शांति को अस्त व्यस्त करने और धार्मिक समूहों में विभाजन के उद्दश्य से संदेश प्रचारित किए जाने लगे। गाजियाबाद पुलिस ने कहा कि ये घटना पीड़ित और शरारती तत्वों के बीच व्यक्तिगत विवाद की वज़ह से हुई। पुलिस ने बताया कि शरारती तत्वों में हिंदु और मुस्लिम दोनों ही संप्रदाय के लोग शामिल थे लेकिन आरोपियों ने घटना को इस तरह पेश किया की दोनों धार्मिक समूहों के बीच तनाव पैदा हो।
मुख्यमंत्री योगी का पलटवार
इस तमाम बहस बाजी के बाद उत्तरप्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए लिखा
“प्रभु श्री राम की पहली सीख है- “सत्य बोलना”, जो आपने (राहुल गांधी ने) कभी जीवन में किया नहीं. शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप समाज में जहर फैलाने में लगे हैं. सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें.”
इन तमाम बातों व बहस के बाद इतनी समझाईस के बाद फिर से कोई ऐसा नया मामला खड़ा हो जाता है जिसे जातिगत , धार्मिक या भगवान से जोड़ दिया जाता है । पहले भी ऐसी कई घटना हुई जिसमें मुस्लिम युवक या वृद्ध को किसी और वजह से पीटा गया व नाम जोड़ दिया गया जय श्री राम का । लेकिन इस बात को आम जनता तो ठीक लेकिन बड़े बड़े पत्रकार व बुद्धिजीवी भी आग की तरह फैलाते हैं जो कि सरासर गलत हैं । अंत में यही कहना चाहूंगा मानवता सबसे बड़ा धर्म हैं । धन्यवाद।
गोविंद पाटीदार