मोदी जी को सत्ता में 7 साल पूरा होने की खबर और पिछले 2 महीने में देश भर में 2 करोड़ 70 लाख लोगों के नौकरी गँवाने की खबर, देश में 97% परिवारों की आय घटने की खबर, वर्तमान वित्तवर्ष में आजादी के बाद पहली बार विकास दर 7 प्रतिशत नकारात्मक रहने की खबर, आजाद हिंदुस्तान में पहली बार बेरोजगारी दर 12% पहुँचने की खबर एक साथ आती है लेकिन बीजेपी या कहे कि मोदी जी का मीडिया मैनेजमेंट ने इन सभी जरूरी मुद्दों को कही आने ही नहीं दिया। अगर प्रिंट मीडिया में कहीं छपा भी तो आखिरी पन्ने के एक छोटे से कॉलम में सिमट कर रह गया और वहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (TV डिबेट) तक तो पहुँची ही नहीं।
मोदी जी को सत्ता में 7 वर्ष पूरा करने पर हर्ष मनाने वाले अगर पूछ लेते की इस 7 वर्ष में ऐसा क्या किया आपने जब आप सत्ता में आये थे तब GDP 7 फीसदी थी और अब आप 7 वर्ष पूरा करने का जब जश्न मना रहे है तब जीडीपी माईनस 7 फीसद है क्यों?
अगर मीडिया आप के जरूरी मुद्दें को नहीं उठाता है तो आप अपने मुद्दें को कितना उठाते हो? आप ने बेरोजगारी, महंगाई, कोरोना, अर्थव्यवस्था और निजीकरण पर कितनी आवाज उठाई है? आप उस मीडिया के एजेंडा में क्यों फसते है जो आपका जरूरी मुद्दा भी नहीं उठाता। आज से आप प्रण कीजिये कि आप अपने एक मुद्दें को प्रतिदिन सोसल मीडिया पर खुद ही उठायेंगें और लोगों को भी जागरूक करके इस बिकाऊ मीडिया के जाल में लोगों को फसने से भी बचायेंगे।
कल्पना कीजिए जिस देश में 1 साल में 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जा चुके हैं, 97% परिवार की आमदनी घट गयी है, करोड़ो लोगों की नौकरी छूट गयी और सैलरी कट के मिल रही है या नहीं मिल रही है। वहाँ महंगाई इस कदर बढ़ गयी है कि सरसों का तेल प्रति लीटर 200 से लेकर 215 ₹ तक बिक रहा है, रिफाइंड प्रति लीटर 180 तक बिक रहा है, अरहर की दाल प्रति किलो 130 से लेकर 150 तक बिक रही है, डीजल पेट्रोल और रसोई की गैस के दाम तो महीने में कितनी बार बढ़ जा रहे है कि इसका अंदाजा कोई ज्योतिष भी नहीं लगा सकता है आम आदमी की क्या विसात। मई 2021 में 17 बार पेट्रोल के दाम बढ़े है। कई राज्यों में एक लीटर की कीमत 100 रुपये के पार कर चुकी है और डीजल भी 100 पहुँचने वाला है।
सभी जरूरी चीजों के दाम में उस समय आग लगी हुयी है, जब देश मे सालभर से अधिक समय से महामारी फैली हुई है जिसके कारण लगे लॉकडाउन और बंदी ने करोड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया, किसी को महीनों से सैलरी नहीं मिल रही है, किसी को महीनों से सैलरी कट के मिल रही है। या कहे कि वर्ष 2018 में या उससे पहले का ही लोगों की सैलरी में बढ़ोतरी हुई थी। इसके बाद से केवल सैलरी में कमी और महंगाई में बढ़ोतरी हुई है।
महंगाई दिन दूना रात चौगुना बढ़ने के साथ खाद्य तेलों के दाम में पिछले एक साल में सबसे ज्यादा बढ़ोत्तरी सरसों के तेल में हुई है और खाने के तेल का दाम अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर है। तेल उत्पादकों को इससे बंपर फायदा हो रहा है।
सरसों के तेल में तेजी से हो रही वृद्धि पर एक बीजेपी नेता ने मुझसे बातचीत के दौरान कहा कि सरसों के तेल के दाम बढ़ने से किसानों को फायदा हो रहा है तब भी सबको समस्या हो रही है। जो लोग किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे है वो भी सरसों के तेल के दाम बढ़ने पर किसानों की स्तिथि में होने वाले सुधार का विरोध कर रहे है। उस मासूम व्हाट्सएप ज्ञानधारी बीजेपी नेता को मैं कैसे समझाऊ कि सरसों का MSP 4,650 ₹ प्रति कुन्तल यानी 46.50 ₹ प्रति किलो है और सरसों का तेल लगभग 200 ₹ प्रति किलो है।
भारत में सरसों तेल का सबसे बड़ा उत्पादक अडानी समूह है, जिसका तेल फ़ॉर्च्युन के ब्रांडनेम से बिकता हैं। यानी साफ है किसको फायदा हो रहा है और सरकार द्वारा किसको फायदा पहुँचाया जा रहा है। और किसको जनता को लुटने के लिए खुला छूट दिया गया है।
जब भारत की आम जनता और देश में 97% परिवारों की आय घट रही थी, करोड़ो लोग बेरोजगार हो रहे है और जेब दिन ब दिन खाली होती जा रही तब अम्बानी अडानी की दौलत में दिन दूना रात चौगुना इजाफा हो रहा था। और गौतम अडानी एशिया के दूसरे सबसे बड़े अमीर और अम्बानी तो पहले से नंबर 1 पर काबिज हो गये थे।
सरकार का खजाना लगातार खाली हो रहा है, राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है और सरकार कंगाल हो रही है। साथ ही साथ देश की जनता बेरोजगारी, महंगाई और भूखमरी की मार झेल रही है। लेकिन इस मंजर के बीच कुछ धन्नासेठ मालामाल हुए जा रहे है। देश आपदा में है जनता बेहाल है लेकिन अरबपति मालामाल हो रहे है अरबपतियों के लिए अवसर कौन बना रहा हैं?
आम जन मानस के लिए आपदा, उद्योगपतियों के लिए अवसर कैसे?
महंगाई हटाओ, बेरोजगारी हटाओ, भ्रस्टाचार हटाओ का नारा के साथ सत्ता में आने वाले अब महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों से मुँह मोड़ रखा है। जिस सरकार के नेता थोड़ी सी महंगाई बढ़ने पर सड़क से संसद तक हंगामा कर देते थे। आज उसी पार्टी की सत्ता है और अब उस पार्टी में और उस पार्टी के नेताओं में महंगाई को लेकर अब कोई चर्चा ही नहीं हो रही है।
जनता के जरूरी मुद्दे अब न तो सरकार के लिए जरूरी रहे और न ही मीडिया के लिए जरूरी रहे। मानो बढ़ती महंगाई के साथ प्रतिदिन बढ़ते पेट्रोल, डीज़ल की क़ीमत से अनजान होकर सरकार गहरी नींद में सो रही है। सत्ता की चाभी देने वाली जनता का दुःख, दर्द और तकलीफ इस सरकार को दिखाई नहीं दे रही है, अफ़सोस जनता की इस तकलीफ में सरकार द्वारा दैनिक उपयोग की वस्तुओं के मूल्यों में कटौती करना तो दूर इस कोरोना काल में लगातार दैनिक जीवन मे उपयोगी वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि जारी है। कोरोना के साथ साथ जनता महँगाई की मार भी झेल रही है। कोरोना, लॉकडाउन और महंगाई के कारण बेरोजगारी और भुखमरी बढ़ गयी है।
आम आदमी इस महामारी और घटती आमदनी में पेट काट कर अपने घर परिवार को चलाने की कोशिश कर ही रहा था तब तक महंगाई ने डाका डाल दिया। न जाने कहाँ हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी, आप तो एक महिला हो आप उन तमाम गृहणी महिलाओं का दर्द समझो और सरकार को भी समझाओ कि इस महामारी और लॉकडाउन में घर चलाना कितना कठिन हो गया है।