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लहर खत्म हो जाने के बाद जीएसटी करेगी कोरोना का इलाज

कोरोना की लहर देश में खत्म हो जाने के बाद भारत सरकार द्वारा गठित किए गए 44 वी जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में आज कोरोना से संबंधित अलग-अलग दवाइयां और ऑक्सीजन पर लगा टैक्स इसकी रिव्यू कर कोरोना का इलाज करने की कवायत सरकार करने जा रही है।

यह मांग महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं अर्थ मंत्री, कौन्सिल सदस्य श्री.अजित पवार जी द्वारा जीएसटी काउंसिल के मीटिंग में उठाई गई थी।

कोरोना कि भारत में दूसरी दूसरी लहर सबसे ज्यादा तबाही मचाने वाली रही इसमें सबसे ज्यादा लोग संक्रमित भी हुए साथ ही साथ लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी लंबी और कठिन लड़ाई इस दौरान भारत वासियों को झेलनी पड़ी। कोरोना के पहले दौर में रोजगार नौकरियां और अन्य तरीकों से मिलने वाले पैसे खत्म होते ही कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत हुई थी,पहली लहर में बहोत बड़े पैमाने का लंबा लॉकडाउन यह उसका कारण था जिसने सामान्य परिवारों को गरीबी रेखा के नीचे धकेलने का काम किया था।

 

कहां हुआ असर

कोरोना का हाल में पहले संक्रमण में बहुत से लोगों का रोजगार चला गया था इससे सबसे ज्यादा असर आम आदमियों के कमाई पर हुआ था। कोरोना की पहली लहर शहरों में ज्यादा असरदार रही। इसी के डर से लंबे समय तक लॉकडाउन लगा रहा। लॉकडाउन के चलते लगभग 40% आबादी गांव में अपने आप को सुरक्षित करने के लिए शहर छोड़ पलायन कर बैठी थी। और जब दूसरी लहर आई तब पूरे गांव की गांव इसके संक्रमण के चपेट में आ गए।

 

बीमारी पर खर्चा भारी

यह वैसे तो लाइलाज बीमारी कहलाती है फिर भी इसके इलाज के लिए बहुत से नए नए तरीकों का इस्तेमाल करने की कवायत डॉक्टरों द्वारा की गई आईसीएमआर के दिशा निर्देशन में बहुत बार ज्यादातर बदलाव लाए गए और इलाज के लिए अलग-अलग दवाइयां कारगर तरीके से काम करती है या नहीं इसकी भी जांच पड़ताल की गई उसमें ऐसा पाया गया कि मरीजों के ऊपर रेमदेसीविर और अन्य महंगी दवाइयों का असर होता है।

संक्रमण के दूसरे दौर में सबसे ज्यादा मरीज होने से सरकारी सुविधाएं और ऑक्सीजन संकट में गंभीर हालात पैदा हुए थे इससे बहुत सी अत्यावश्यक सामग्रियों की कमी होने के कारण भी दवाइयों के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए थे और दाम बढ़ते हुए भी वह मार्केट में उपलब्ध ना होने के कारण भी उसकी ब्लैक में खरीद-फरोख्त हो रही थी यह भी उतना ही सही है। ऐसे हालातों में बहुत भारी जीएसटी इस संक्रमण काल में लगने वाली दवाइयां उपकरणों एवं ऑक्सीजन पर लग रही थी इससे कोरोना का इलाज बहुत ही महंगा हुआ था। महंगे इलाज के कारण भी बहुत सी जाने चली गई और लोगों में सरकार के खिलाफ जनमत तैयार होने लगा था। सरकार के बहुत से आलोचकों ने महंगे इलाज के लिए केंद्र की सरकार को जिम्मेदार भी ठहराने का काम किया।

 

क्या होता है जीएसटी कैसे काम करती है कमेटी

 

भारत सरकार कि जीएसटी कानून के अनुसार Goods & Service Tax  के दायरे में आने वाली हर वस्तु एवं उत्पाद पर 5 से लेकर 28% तक जीएसटी लगाया जाता है। जीएसटी काउंसिल किस चीज पर कब कितना टैक्स लगाना है यह राज्यों के अर्थमंत्री एवं जीएसटी काउंसिल के मेंबर के साथ तय समय सीमा में समीक्षा करके बदलाव करती है।

कितने और कहां किए गए जीएसटी दरों में बदलाव

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कोरोना संक्रमण में सरकार एवं वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की तरफ से जो दावे किए जा रहे हैं कि वैक्सीन ही एकमात्र इससे बचने का कारगर उपाय है उस पर लगने वाले 5% जीएसटी में किसी भी तरीके की कमी नहीं की गई है।

टॉसिलिजूमैब 5% के बजाय 0%

अम्फोटेरिसिन 5% के बजाय 0%

हेपरिन एवं अन्य दवाइयों पर 12% की जगह 5%

रेमदेसीविर इंजेक्शन 12% की बजाय 5%

निजी इस्तेमाल के लिए इंपोर्ट किए गए पल्स ऑक्सीमीटर 12% की जगह 5% हैंड सैनिटाइजर जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है उसके जीएसटी दरों में 18% की जगह 5% पीपीइ किट, n95 मस्क ट्रिपल लेयर मस्क सर्जिकल मास्क इन पर 5% जैसे कि तैसा जीएसटी रखा गया है।

टेंपरेचर चेक करने वाले इक्विपमेंट पर 18 की जगह 5%

एंबुलेंस पर पहले 28% जीएसटी लगता था उसे 12% कर दिया है।

बिजली और गैस पर चलने वाली शवदाहिनी 18 की जगह 5% इस तरीके से टैक्स में बदलाव किए गए हैं।

ऑक्सीजन एवं ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाले संसाधनों पर भी 12% से कम कर उसे 5% किया है।

ब्लैक फंगस और अन्य दवाइयों पर टैक्स पूरी तरीके से माफ कर दिया गया है। यह बदलाव सिर्फ 30 सितंबर 2021 तक ही सीमित रहेगा।

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