बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने कहा है कि
शिक्षित बनो संगठित रहो संघर्ष करो।
क्या दलित समाज बाबासाहेब द्वारा बताए गए इस रास्ते पर आज चला रहा है ?
मुझे लगता है नही ?
आज दलित समाज शिक्षित भी हो रहा है संगर्ष भी कर रहा है लेकिन पूरी तरह से संगठित नही हो रहा है?
आखिर क्यों ?
आज मुझे बहुत दुख हुआ जब मैंने देखा कि दलित समाज सोशल मीडिया ट्विटर पर दो पक्षों में विभाजित हुआ। जिसमें की बसपा और ASP पार्टी ट्रेड के माध्यम से एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं।
आज बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता 26 साल पहले आज ही के दिन 3 जून 1995 को जब बसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष बसपा सुप्रीमो बहन मायावती जी ने पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री की शपत ली थी उसी के उपलक्ष्य में बहुजन समाज के कार्यकर्ता
#सामाजिक_परिवर्तन_दिवस
ट्विटर पर पर ट्रेड चलाकर खुशियां मना रहे हैं।
बहुत ही खुशी की बात है।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ दलित समाज की आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता
#बहुजनहिताय_बहुजनसुखाय
ट्विटर पर ट्रेड चला रहे हैं। ऐसे में दलित समाज दो पक्षो में बट चुका है। दोनों पार्टी आपस मे ही ट्रेड के माध्यम से लड़ने में लगी हुई हैं।
ऐसे में दलित समाज को छोड़कर बाकी सभी लोगो पर ऐसे दलित समाज के दो गुट देखकर लोगो मे कैसे विचार आएंगे। ऐसी प्रक्रिया को देख दलित समाज का दो पक्ष में बटवारा देख दलित समाज की बहुत बड़ी कमजोरी को दर्शाता है।
ऐसे में अगर ट्रेड को लेकर ही आपस मे होड़ लगी हुई है तो चनावो को लेकर आखिर क्या हाल होगा।
दलित समाज दो पक्षो में,आखिर कौन ज्यादा सही
आज ट्विटर के माध्यम से देखने को मिला कि दलित समाज दो पक्षों में हो चुका है ऐसे में राजनीति पार्टी के कार्यकर्ताओं को छोड़ दलित समाज बीच मे फंसा हुआ दिखाई दिया। दोनों पक्षो के कार्यकर्ता अपने अपने ट्रेड चलाने में लगे हुए हैं लेकिन दलित समाज सोच विचार में पड़ गया है कि आखिर किस ट्रेड का साथ दूं। दोनों ही अपने समाज की पार्टी हैं। दोनों पार्टी ही अपने समाज की आवाज है। ऐसे में मुझे लगता था कि यही नज़ारा आने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेगा। दलित वोट डालते समय सोचेगा किसको अपनी महत्वपूर्ण वोट दूं।
मुझे लगता है बसप और ASP दोनों ही पार्टी दलित समाज के हित की पार्टी हैं। अगर दलित समाज को आगे बढ़ाना है तो दोनों पार्टी को गठबंधन कर कदम से कदम मिलाकर काम करना होगा तभी हमारा समाज आगे बढ़ सकेगा। बसपा और ASP पार्टी एक हो जाएं तो चुनाव में कोई भी पार्टी बराबर की टक्कर नही ले सकती और हमारा समाज फिर से एक हो जाएगा।