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कोरोना वायरस – सत्ता और आवाम

          कोरोना वायरस – सत्ता और आवाम

          “आज सुबह जब मैने रेड लाइट पर गाड़ी रोकी तो एक महिला जिसकी गोद मे बच्चा था मेरी गाड़ी के सीसे को थपथपा रहे थे। ये सीन रोजाना होता है ये लोग भीख मांग कर अपना गुजारा करते हैं। उसने बाहर से खाली बोतल दिखाते हुए पानी का इशारा किया मुझे समझते देर नही लगी कि वो पानी मांग रही है। मैंने सीसा नीचे किया और मेरी गाड़ी में रखी बोतल का सारा पानी उसको दे दिया। वो महिला पानी लेकर चली गयी। लेकिन मेरे जेहन में अनेको सवाल छोड़ गई। इस समय कोरोना की महामारी के समय जब लोगो ने बाहर निकलना छोड़ अपने घरों में कैद हो गए है। सरकार लोगो से आह्वान कर रही है कि बाहर न निकलो, बाहर निकलो तो मास्क का प्रयोग करो, बार-बार साबुन से या साफ पानी से हाथ धो, सेनेटाइजर का प्रयोग करो”

ये सब हिदायते सरकार किसके लिए दे रही है। प्रधान मंत्री या राज्यों के मुख्यमंत्री ये हिदायते किसको दे रहे है। 

जिनके पास पीने का साफ पानी नही है उनके पास साबुन, मास्क, सेनेटाइजर का प्रयोग

क्या ये एक भद्दा मजाक नही है। 

 

          वर्तमान दौर में हमारा मुल्क ही नही पूरा विश्व COVID-19 कोरोना वायरस की महामारी की जकड़ में फंसा हुआ है। पूरा विश्व इस महामारी के कारण डर के साये में जीने पर मजबूर है। इस वायरस ने बहुत से देशों के लोगो को अपने ही घर मे जेल की तरह बन्द कर दिया है। करोना कब किसको अपने शिकंजे में जकड़ कर मौत के मुहाने तक ले जाये। ये डर वो अमीर हो या गरीब, हिन्दू हो या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई, दलित हो चाहे सवर्ण सबको डरा रहा है। ये समस्या कब तक रहेगी, कितनो की जान लेगी, ये अभी भविष्य की बाते है। 

          अब तक इस वायरस की कोई कारगर दवाई विकसित करने में विश्व के चिकित्सक कामयाब नही हुए है लेकिन वो सब अपने स्तर पर ईमानदारी से कोशिशें कर रहे है। इससे पहले भी जब विश्व पर संकट आया तो इन्ही चिकित्सको ने दिन-रात मेहनत करके मानव जाति को संकट से निकाला है। 

लेकिन वर्तमान में जब पूँजीवाद अपने फायदे के लिए चिकित्सा प्रणाली को इस्तेमाल कर रहा है। चिकित्सक पूंजीवाद के लूट में सांझेदार बने हुए है उस समय चिकित्सकों द्वारा निर्मित प्रत्येक दवाई पर पूंजी अपना अधिकार रखती है। इसलिए वर्तमान में चिकित्सक आम जनता के लिए काम न करके सिर्फ पूंजी की लूट के लिए अपनी सेवाएं दे रहे है। 

           लेकिन इसी लुटेरी अंधी दौड़ में क्यूबा जैसा छोटा सा समाजवादी मुल्क अपनी चिकित्सा प्रणाली को पूंजी की लूट के लिए इस्तेमाल न करके, आम जनता के लिए इस्तेमाल करके इन काली अंधेरी रातों में रोशनी का काम कर रहा है। क्यूबा की समाजवादी विचारधारा वाली सत्ता ने अपने मुल्क की आम जनता के लिए तो ये सब साबित किया ही है कि उसकी चिकित्सा लुटेरों का हथियार न बनके आम जनता के लिए है उसने पूरे विश्व में जब भी मानवता को बचाने के लिए क्यूबा की जरूत विश्व को महसूस हुई उसने अपना दायित्त्व मजबूती से निभाया है। 

          आज जब करोना वायरस पूरे विश्व को अपने लपेटे में लिए हुए है पूरी मानवजाति के लिए खतरा बना हुआ है। इस समय जब सभी मुल्कों खासकर विकसित मुल्कों को एकजुट होकर इस महामारी के खात्मे के लिए सांझा प्रयास करने चाहिए। लेकिन विकसित देशों का व्यवहार ठीक इसके विपरीत काम कर रहा है। वो इस महामारी में सिर्फ अपना मुनाफा देख रहे है। इस बुरे दौर में ईरान जैसे देश की मद्दत करने की बजाए उस पर प्रतिबंध जारी है। विकसित देशों के इस व्यवहार से ये साफ जाहिर हो रहा है कि पूंजी सिर्फ अपना फायदा देखती है उसको मानवता और मानव जाति से कोई सरोकार नही है। उसी दौर में क्यूबा ने अपने सार्थक प्रयास से साबित किया है कि समाजवाद ही मानवता और मानवजाति को बचा सकता है। क्यूबा द्वारा बनाई गई इंटरफेरॉन अल्फा 2 बी दवा से उसने विश्व के अलग-अलग मुल्कों में हजारो लोगो की इस वायरस से जान बचाई है। क्यूबा जिसको साम्राज्यवादी मुल्क हिकारत की नजर से देखते है। जिस पर साम्राज्यवादी मुल्कों और उनके सांझेदारो ने अमानवीय प्रतिबन्ध लगाए हुए है। इस समय क्यूबा ने उन सभी मुल्कों की जनता को बचाने के लिए अपने चिकित्सकों की टीमें रवाना कर दी है।  

भारत के हालात

          भारत मे करोना वायरस के अब तक लगभग 115 मरीज सामने आए है। 2 लोगो की इस वायरस से मौत हुई है। भारत के लुटेरे पूंजीपति भी इस नाजुक समय में आवाम के साथ खड़े होने की बजाए लूट में लगे हुए है। 5 से 6 रुपये में बिकने वाला साधारण मास्क 100 ₹ में बिक रहा है। सेनेटाइजर भी अपनी मूल कीमत से 10 गुना मंहगा बेचा जा रहा है। इससे पहले भी जब भी कोई प्राकृतिक आपदा मुल्क में आई, मुल्क के सरमायेदारों ने जनता का साथ देने की बजाए उनकी जेब काटने का काम किया। 5 रुपये वाला बिस्किट 50 में बेचा जाता है। 1 रुपये की टेबलेट 100 रुपये में मिलने लगती है। प्राकतिक आपदा या कोई महामारी पूंजीपति के लिए फायदे का सौदा ही साबित होती रही है। 

भारत सरकार के प्रयास

          कोरोना ने जैसे ही भारत में दस्तक दी भारत सरकार ने मूलभूत जरूरी काम करने की बजाए सिर्फ औपचारिकतायें ही निभाई है। उसके इन कदमो से लगता ही नही की उसको मुल्क के बहुमत आवाम की थोड़ी सी भी कोई चिंता है।  सरकार ने सभी फोनों में रिंग टोन लगा दी जिसमे कोरोना से कैसे बचा जाए ये जानकारियां दी जाती है। मास्क लगाओ, सेनेटाइजर से बार-बार हाथ साफ करो। खांसते हुए ये करो-वो करो। 

          सरकार ने जनता को ये बता कर की कोरोना को फैलने से रोकने और खुद के बचाव के लिए ये करना चाहिए। लेकिन सरकार ने ऐसा कोई कदम नही उठाया जिससे आम जनता को फ्री में मास्क और सेनेटाइजर मिल सके। इसके विपरीत सरकार ने ब्लैक में मास्क और सेनेटाइजर बेचने वालों पर भी कोई कार्यवाही नही करके पिछले दरवाजे से ब्लैक करने वालो को छूट ही दी है। इससे तो साफ सरकार का संदेश है कि सरकार सिर्फ जानकारी देने के लिए है जिसको अपनी जान बचानी है वो खुद अपनी सुरक्षा के लिए ये सब खरीदे। 

मुल्क की जनता 

          मुल्क की जनता जिसका बड़ा तबका गांव में किसान-मजदूर के तौर पर जीवन व्यतीत कर रहा है। जो कड़ी मेहनत करके जीवन यापन करता है। अवाम का एक बड़ा हिस्सा महानगरों में मजदूर के तौर पर फैक्ट्रियों में, निर्माण कार्यो में, ट्रांसपोर्ट में काम करता है। निर्माण और ट्रांसपोर्ट में काम करने वाला मजदूर जिसकी जिंदगी काम करेगा तो खायेगा, काम नही तो रोटी नही, वाली जिंदगी होती है। कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा ये मजदूर प्रभावित हुआ है। महानगरों में निर्माण कार्य ठप हो चुका है। लोग घर से नही निकल रहे है जिसके कारण उबेर/ओला जिसमे लाखो लोग अपनी गाड़िया लगाए हुए है जिसके कारण उनके घर का चूल्हा जलता है। वो भयानक मंदी की मार से गुजर रहे है। 

          महानगर की सड़कें खाली है। सड़को पर भीड़ से ही जिनको 2 वक्त की रोटी मिलती है अब वो कहाँ जाए। क्या सरकार उन लाखों मजदूरों, ड्राइवरों, भिखारियों, रेहड़ी-पटरी वालो को कुछ आर्थिक मद्दत करेगी। 

          लेकिन सरकार बहादुर है कि अपनी आंखों पर काली पट्टी बांध कर मजदूरों के उजड़ने का तमाशा देख रही है। वो आर्थिक मद्दत देना तो दूर मास्क और सेनेटाइजर भी फ्री में उपलब्ध नही करवा रही है।

          जनता जिसको इन मुद्दों पर बात करनी चाहिए। इस बुरे दौर में सरकार से सवाल करना चाहिए। सरकार और पुंजिपतियो की लूट पर सवाल उठाना चाहिए। 

लेकिन भारतीय समाज जो सड़ रहा है वो अपने-अपने धर्म का चश्मा लगा अपने धर्म की रूढ़िवादी परम्पराओं को सर्वोच्चम साबित करने पर तुला हुआ है। वो कोरोना पर चुटकले बना रहे है। वो सत्ता के अतार्किक फैसलो पर तालियां बजा रहा है। वो ईरान से लाये गए भारतीय मुश्लिमो पर व्यंग कर रहा है। 

धार्मिक संघठन

          देश ही नही विदेशों के धार्मिक संघठन भी इस नाजुक दौर में अफवाएं फैला रहे है। कोई ऊँट का पेशाब पीने से कोरोना का इलाज करने का दावा कर रहा है तो वही हमारे मुल्क के महान मूर्ख गाय मूत्र पार्टी कर रहे है। पार्टी में गाय का मूत्र और गोबर से बने बिस्किट खिला कर कोरोना का इलाज करने का मूर्खतापूर्ण दावा कर रहे है। ये मूर्ख लोग मांग कर रहे है कि विदेशों से आये लोगो को एयरपोर्ट पर गाय का मूत्र पिलाया जाए और गोबर से स्नान करवाया जाए। भारतीय सत्ता इन्ही मूर्खो के सहारे सत्ता में आसीन हुई वो इन मूर्खो पर कोई कार्यवाही करेगी ऐसा सोचना ही मूर्खता है।

इस समय जब पूरा विश्व डर के साये में जी रहा है उस समय मुल्क के आवाम को अंधविश्वास और मजाक, धर्म-जाति व पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर सरकार से मांग करनी चाहिए। 

Uday Che

 

 

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