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गरीब बच्चों की पढ़ाई का नेह- नीड़

कोरोना महामारी  का सबसे बुरा असर जिन क्षेत्रों पर पड़ा है, उनमे से एक शिक्षा भी है। पिछले साल जब देश में लॉकडाउन लगा , उससे बाद से स्कूल अबतक ठीक से खुल ही नहीं पाए। बड़ेबड़े और महंगी फीस वाले स्कूल तो फिर भी ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं। लेकिन छोटे स्कूल और सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खस्ता है। इनमें पढ़ने वाले गरीब परिवारों के बच्चे संसाधनों की कमी से ना ऑनलाइन क्लास कर पा रहे हैं और  ना ही कुछ सीख पा रहा हैं। ऐसे बच्चों की मदद करने के लिए मेरठ के कन्हैया लाल और उनकी पत्नी रीमा आगे आए हैं।

कन्हैया लाल और रीमा ने एक खुला मंच तैयार किया है, जिसपर देशभर के बच्चे फ्री में क्लास कर सकते हैं। कन्हैयालाल ने उन गरीब बच्चों की समस्या को भी समझा जिनके पास ना तो स्मार्ट फोन है ना ही इंटरनेट कनेक्शन। इसके लिए उन्होंने अपने मित्रों, परिवारजनों और जान पहचान वालों से निवेदन किया कि वे अपने आसपास रहने वाले बच्चों को एक जगह इकट्ठा करके कोरोना के नियमों को पालन करते हुए अपने फोन से ऑनलाइन पढ़ाई करवाने में मदद करें। कन्हैयालाल ने इसके लिए अपने सोशल मीडिया पर भी सबसे अपील भी की। जिसके बाद कई लोग इसके लिए आगे भी आएं हैं।

 

कन्हैयालाल लोगों से संपर्क करते हैं, बच्चों को जोड़ते हैं। वहीं उनकी पत्नी रीमा तथा एक अन्य कार्यकर्ता आकाश आर्य  लैपटॉप के माध्यम से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाते हैं। शुरुआत में तो बच्चों की संख्या कम रहती थी , लेकिन अब बच्चे बढ़ रहे हैं।

 कन्हैयालाल कहते हैं  “कोविड की पहली दूसरी लहर के कारण पिछले लगभग 1 वर्ष से सभी विद्यालय बंद हैं और बालकों की पढ़ाई अस्तव्यस्त हो गयी है। जो बच्चे सम्पन्न परिवारों से हैं ,और बड़े स्कूलों में पढ़ते है वे तो ऑनलाइन क्लासेज अथवा कोचिंग के द्वारा अपनी पढ़ाई जारी भी रखे हुए हैं, परंतु वंचित बस्तियों में रहने वाले और सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए तो वह भी उपलब्ध नहीं हैं।

 यह अत्यंत चिंताजनक है।

हमने विचार किया कि इस समस्या का भी कोई कोई तो समाधान होगा बाद में हमने तय किया कि इन बच्चो के लिए आॅनलाइन क्लास प्रारम्भ की जाए लेकिन इन बालकों के पास मोबाइल का ना होना ,इसमें एक बड़ी समस्या थी  इसके लिए हमने अलग अलग शहरों में अपने परिचितों , मित्रों से आग्रह किया कि क्या सुबह 1 घंटे के लिए वो अपने निकट के किन्ही ऐसे बालकों को अपना मोबाइल उपलब्ध करा सकते हैं। कुछ लोग आगे आएं और अभी 40 से 50 बालक क्लास ले रहे हैं।

हमें उम्मीद है कि आगे यह प्रयोग बढ़ता जाएगा और वंचित बास्तियों के गरीब बालक भी इस माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे।

 

ऑनलाइन क्लास गूगल मीट पर प्रतिदिन सुबह 7.30 से 8.30 तक होती है।

क्लास में बेसिक गणित, हिंदी, अंग्रेजी, भारतीय संस्कृति, सामान्य ज्ञान आदि की पढ़ाई कराई जाती है।

 

कन्हैयालाल ने पिछली साल मेरठ में नेहनीड़ फाउंडेशन शुरू किया था। इस फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से गरीब परिवारों के करीब 42 बच्चों का चयन किया। इसके बाद उन बच्चों को निशुल्क शिक्षा और रहने खाने की व्यवस्था मेरठ में की। लेकिन कोरोना के चलते बच्चों को घर भेज दिया गया। अब ये बच्चे तो ऑनलाइन पढ़ ही रहे हैं, इसके साथ ही अन्य बच्चे भी नेहनीड़ की इस मुहीम का हिस्सा बन रहे हैं।

 

कन्हैयालाल उन स्कूलों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई कराने से कतराते हैं। नेहनीड़ फाउंडेशन और कन्हैयालाल ने साबित कर दिया है कि अगर इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो कुछ भी असंभव नहीं है।

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