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पूरे विश्व में करीब 16 करोड़ से अधिक बाल मज़दूर – “आई.ऐल.ओ” एवं “यूनिसेफ”

बाल मज़दूरी एज अभिशाप

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जिन उत्पाद का प्रयोग गर्व से करते हैं, बाल मज़दूरी के कारण अभिशाप से कम नहीं 

 

क्या आप जानते हैं कि आज के समय आप जिन मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं उनमें लगी हुई बैटरी किससे बनती है? जी हां, लीथियम और कोबाल्ट जैसे मेटल से बनी होती है। इन्हीं धातु की मदद से मोबाइल फोन के अलावा लैपटॉप, इलेक्ट्रिक कार आदि में लगने वाली बैटरी का निर्माण भी किया जाता है। जिन्हें हम लिथियम आयन बैटरी कहते हैं। जबकि इसमें इस्तेमाल होने वाला कोबाल्ट ज़्यादातर अफ्रीका स्थित कोबाल्ट की खानों से प्राप्त किया जाता है। बाल मज़दूरी के द्वारा खानों से कोबाल्ट निकाला जाता है। अफ्रीका में करीब 5 से 17 साल की उम्र के छोटे-छोटे बच्चे बिना किसी सुरक्षा के कोबाल्ट की खानों से इन्हें निकलाते हैं।

 

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट की रिपोर्ट 

 

विश्वभर में करीब 40,000 से अधिक बच्चे कोबाल्ट की खानों में कार्य करते हैं। उन खानों से निकलने वाली विषैली धूल वहां काम करने वाले छोटे बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं। आज के समय में सस्ते दामों में टेक्नोलॉजी से लैस मोबाइल मिलने का सबसे बड़ा कारण है बाल मज़दूरी से प्राप्त होने वाला कोबाल्ट। आज यह बाल मज़दूर इनकी सप्लाई चैन का अब एक हिस्सा बन चुके हैं।

 

हाल ही में बाल मज़दूरी से जुड़ी यूनिसेफ एवं अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार कोबाल्ट की खानों में काम करने वाले बाल मज़दूर स्वयं अपने हाथों से कोबाल्ट जमा कर अपने बैगों में भर कर लाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार

 

 दुनिया भर की खानों में करीब 10 लाख से भी अधिक बच्चे बाल मज़दूरी करते हैं। यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर की खानों में काम करने वाले लोगों में से करीब 20 प्रतिशत बाल मज़दूर हैं। खानों के मालिक ज़्यादा से ज़्यादा लाभ कमान के लिए उन बाल मज़दूरों का शोषण करते हैं। उनसे ऐसे कार्य भी करवाए जाते हैं जिनमें कई हानिकारक रसायन एवं गैसों का इस्तेमाल उन्हें करना पड़ता है। जो उन बाल मज़दूरों के लिए काफी जानलेवा होता है। इसी तरह सोने की खानों में काम करने वाले बच्चे मरक्युरी निकलने का कार्य करते हैं जो की काफी विषैला माना जाता है।

 

माइका का सबसे ज़्यादा उत्पादन भारत करता है 

 

पूरे विश्वभर में माइका का सबसे ज़्यादा उत्पादन करने वाला देश भारत है। लगभग पूरे विश्व नें 60 प्रतिशत माइका का उत्पादन अकेले भारत में होता है। ज़्यादातर ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में माइका का इस्तेमाल किया जाता है जिस कारण उसके इस्तेमाल के पश्चात लोगों के चेहरे पर चमक एवं ग्लो आ सके। क्या आप जानते गैं कि इस चमक को पाने के लिए बाल मज़दूरों के द्वारा माइका की खानों में खनन कार्य करवाया जाता है। ताकि उनके नन्हे हाथों की मदद से छोटे-छोटे छेदों से माइका निकाला जा सके। पेंट इंडस्ट्री में भी माइका का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है। आज के समय माइका इंडस्ट्री में करीब 20,000 से अधिक बच्चे बाल मज़दूरी करते हैं।

 

यूनिसेफ एवं अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार कोरोना महामारी के कारण गरीबी एवं बेरोज़गारी बढ़ने के कारण लाखों बच्चे बाल मज़दूरी की तरफ चले गए। आज करीब 16 करोड़ बच्चे बाल मज़दूरी कर रहे हैं और करीब 84 लाख बच्चे पिछले 4 सालों में बाल मज़दूरी की तरफ धकेले गए हैं। 

 

जहां करीब विश्वभर के 70 प्रतिशत बाल मज़दूर जोखिम भरी परिस्थिति में कार्य करते हैं। केवल असंगठित क्षेत्र ही नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सप्लाई चेन में भी बाल मज़दूरों की सख्या मौजूद हैं। ऐसा मुमकिन है कि जो ब्रांडेड जूते आपने पहने हों वह शायद किसी बाल मज़दूर ने बनाये हों। जिन चॉक्लेट्स को आप खाते हैं वह भी किसी बाल मज़दूर ने ही बनाई हों, जिसने कभी खुद उस चॉक्लेट का स्वाद न चखा हो। जो ब्रांडेड शर्ट या टीशर्ट आप पहनते हैं वह शायद किसी ऐसे बच्चे ने बनाई हो जिसके पास खुद पहनने के लिए कपड़े न हों।

 

एसे उत्पादनों के क्षेत्र में बच्चे ही क्यों?

 

इस सवाल इसका सीधा सा कारण है गरीबी एवं बेरोज़गारी, जिस कारण माँ-बाप अपने बच्चों को बाल मज़दूरी की तरफ भेज देते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों एवं कारखानों के मालिक इन्हें इसलिए काम पर रख लेते हैं क्योंकि इनको बहुत कम मेहनताना देकर इनसे अधिक कार्य करवाया जा सकता है। हालांकि, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सप्लाई चेन काफी जटिल होती है और वह इसी बात का फायदा उठा कर अपना पल्ला झाड़ लेती हैं कि उनकी कंपनियों में किसी भी तरह की कोई बाल मज़दूरी नहीं करवाई जाती। आज कई ऐसे विकासशील देश हैं जहां से यदि बाल मज़दूरी को पूरी तरह से ख़त्म कर दिया जाए तो वहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा सकती है।

 

बाल मज़दूरी रोकने के उपाय

 

यदि बाल मज़दूरी को पूरे विश्व में जड़ से ख़त्म करना है तो हर देश की सरकारें, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, गैर सरकारी संगठनों, सक्रिय प्रतिभागियों, मनोवैज्ञानिकों एवं शिक्षकों को मिल कर इस क्षेत्र में कार्य करना होगा। बच्चों को बाल मज़दूरी करने से रोकना होगा और साथ ही साथ यह भी निश्चित करना होगा कि उन्हें बाल मज़दूरी से बहार निकाल कर एक अच्छी एवं बेहतर शिक्षा प्रदान की जा सके। यदि ऐसा नहीं होता है तो वह किसी भी तरह के गलत कार्यों को करने के लिए अग्रसर हो सकते हैं। बाल मज़दूरी आज पूरे विश्व के लिए एक अभिशाप है जिसे जितनी जल्दी हो सके खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।

 

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