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18+ से अधिक आयु वालों के लिए फ्री वैक्सीन, क्या केंद्र सरकार तैयार है?

18+ से अधिक आयु वालों के लिए फ्री वैक्सीन, क्या केंद्र सरकार तैयार है?

भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा है कि 18 साल से ज़्यादा उम्र वाले सभी भारतीयों को फ्री में वैक्सीन दी जाएगी। प्रधानमंत्री जी ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में बहुत सारी बातों को उजागर किया और उन्होंने यह बताया कि पिछले 100 सालों में ऐसी कठिन और आपदा वाली परिस्थिति कभी नहीं थी।

इसके साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि यह आपदा सिर्फ चंद देशों में नहीं वरन विश्व को बुरी तरीके से प्रभावित कर देने वाली रही है। इसके बाद उन्होंने अपने भाषण में कोरोना की दूसरी लहर के संक्रमण काल के दौरान सरकार द्वारा आम जनमानस के लिए किए गए राहत कार्यों को गिनाया।

 उस समय ऐसा लगा रहा था कि मान लो वह कोरोना से आम जनमानस की रक्षा करने में हुई स्वयं एवं सरकार की नाकामी को छुपाने के लिए लोगों के सामने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का बार-बार जिक्र कर रहे हों।

सरकार के अन्य वादों की तरह यह फ्री वैक्सीन का वादा भी कहीं जुमला साबित ना हो जाए 

अब तक मोदी सरकार द्वारा जितने भी वादे किए गए हैं, उससे यह हमें संज्ञान लेना चाहिए कि हर एक वादे से केंद्र की मोदी सरकार मुकर जाती है। इसके उदाहरण के तौर पर सरकार जब 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही थी, तब जनता को उन्होंने 15 लाख रुपये का वादा किया था, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है। 

इसके बाद में उन्हीं के वरिष्ठ मंत्रियों ने इस वादे के सम्बन्ध में आकर आम जनमानस को स्पष्ट किया कि यह महज़ एक जुमला था। अच्छे दिन के वादे के अब, तो वारे-न्यारे हो गए हैं। आसमान छूती महंगाई भारतीयों की कमर तोड़ रही है। इसके साथ ही साथ डेढ़ करोड़ रोज़गार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार आज डेढ़ करोड़ लोगों का रोज़गार छीन चुकी है।

इन सब बातों से ऐसा लगता है कि फ्री में 18 साल से अधिक उम्र के लगभग 130 करोड़ आबादी वाले देश को टीका लगाने की संभावना बहुत ही कम है। सरकार बड़ी चतुरता से समय निकालने की और अपने आप भगवान भरोसे यह लहर खत्म हो जाएगी और इसके लिए उन्हें कुछ नहीं करना पड़ेगा शायद इसका इंतज़ार कर रही है।

अधिकांशत: सभी का मानना है कि अब आगे आने वाले समय में यह टीका सभी को मिलने में बहुत सारी कठिनाइयां एवं प्रस्तुत परिस्थितियां बहुत ही बाधा दायक और इस फ्री वैक्सीनेशन को ज़मीनी तौर पर अमल लाने में नाकामयाब रहेंगी। ऐसे में देश के आम जनमानस को फ्री वैक्सीन मिलना लगभग असंभव एवं नामुमकिन सा  लगता है।

कोरोना की इस भयावहता में सरकार अपने स्वार्थों की पूर्ति में लगी हुई है 

केंद्र सरकार में बैठे लोगों की विचारधारा एवं उनके काम करने के तरीके पर उनके ऊपर बहुत से इल्जाम अब सही मायने में लग रहे हैं। कोरोनावायरस की इस भयावहता में सरकार अपनी व्यापारी नीति और व्यापारी दोस्तों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। सरकार इसके साथ ही साथ कोरोना की इस भयंकर त्रासदी में स्वयं के स्वार्थ की पूर्ति हेतु सेंट्रल विस्टा जैसे कार्यालय एवं नव संसद भवन का निर्माण करने में लगी हुई है? 

इस तरीके के आरोप केंद्र सरकार के ऊपर लग रहे हैं और सरकार की तरफ से इसकी कोई भी जवाबदेही नज़र नहीं आती है। इस आपदा को रोकने के बजाय अवसर ढूंढने का कार्य केंद्र की सरकार कर रही है, ऐसा ही नज़र आता है।

सेंट्रल विस्टा की पूरी लागत अगर सही मायनों में देश के देशवासियों के टीकाकरण में लगा दी जाए, तो इससे देश की एक बड़ी आबादी की जान बच जाएगी, ऐसा विपक्ष एवं आम जनमानस का कहना है।

सेंट्रल विस्टा

सुप्रीम कोर्ट के सरकार को वैक्सीन के मुद्दे पर फटकार के बाद सरकार को लेना पड़ा निर्णय

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में कोरोना वैक्सीन के बारे में बहुत से तथ्य सामने आए हैं जिनसे पता चला है कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग जगह पर वैक्सीन के अलग-अलग दाम तय किए जा रहे हैं। इसका संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अपनी वैक्सीनेशन पॉलिसी बदलने के लिए या उसको सही तरीके से ठीक करने  लिए कहा था।


उच्चतम न्यायालय

संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को दिशा-निर्देश जारी करते हुए यह कहा था कि आर्टिकल 14 में सभी व्यक्ति समान हैं, तो वैक्सीन के अलग-अलग दाम क्यों? उम्र के अनुसार दाम तय करना एवं राज्य के अनुसार दाम तय करना यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही साथ अनुच्छेद 21 का भी जिक्र किया है जिसमें सभी देशवासियों को नेचुरल जस्टिस के अनुसार, राइट टू मेडिकल केयर का भी अधिकार प्राप्त है। इससे हर व्यक्ति को समय रहते उचित चिकित्सीय सुविधाएं एवं उससे सम्बन्धित हर बात मिलना उसका मूल अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, केंद्र को दिशा-निर्देश जारी कर वैक्सीनेशन पॉलिसी को बदलने के लिए कहा गया था, इसलिए यह आज का फैसला केंद्र की मोदी सरकार द्वारा किया गया है। ऐसा सभी का मानना है और प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद ट्विटर पर यही ट्रेंड सबसे ज़्यादा चल रहा था।

इतनी बड़ी आबादी को वैक्सीन मिलने की राह आसान नहीं बहुत कठिन है 

भारत में अभी तय मानकों के अनुसार सिर्फ दो ही कंपनियों को वैक्सीन बनाने का लाइसेंस दिया गया है। राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री जी ने यह भी बताया है कि लगभग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में से 7 तरह की कंपनियां भारत में काम करने एवं वैक्सीन के निर्माण के लिए कारगर तरीके से काम कर रही हैं।

इसके साथ ही साथ आने वाले समय में और तीन कंपनियां वैक्सीन बनाने के लिए अपने आप को तैयार कर रही हैं। 60 साल में 60% वैक्सीन बनाने की भारत की क्षमता को अब लगभग 90% किया गया है, ऐसा प्रधानमंत्री का उनके उदबोधन में कहना था।

यह सारी बातें सिर्फ कहने के लिए हैं। हर एक कंपनी का अपना-अपना कॉन्ट्रैक्ट देश और दुनिया में वैक्सीन सप्लाई करने के लिए एडवांस पैसे लेकर किया जा चुका है और इतने कम समय में इतने ज़्यादा लोगों के लिए वैक्सीन पैदा करने के लिए कच्चे माल की भी आपूर्ति इतने कम समय में हो नहीं सकती ऐसा खुद वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की तरफ से कहा जा रहा है। इससे यह, तो तय है कि समय रहते सभी को टीका मिलना लगभग नामुमकिन है।

हम आशा करते हैं कि सभी 18 साल से ज़्यादा उम्र वाले लोगों को तय समय में टीका मिले और वह अपने आप को इस बीमारी से बचाने की कोशिश में सफल रहें।

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