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कविता : हमारे देश का प्रधानसेवक कैसा हो?

कविता : हमारे देश का प्रधानसेवक कैसा हो?

हमारा प्रधानसेवक
वो नहीं, जो स्कूल और अस्पताल बनवाएगा
वो नहीं, जो देश में समानता लेकर आएगा
वो नहीं, जो प्यार के बीज बोएगा
जिसके राज में हर कोई चैन से सोएगा

बल्कि हम जिससे घृणा करें, वो भी उससे नफरत करे
हमारे चाहने वाले ही उसके राज में बरकत करें
जो देश को अलग-अलग हिस्सों में बांट दे
नफरत की आरी से जो देश को काट दे

आदर्शवाद का ढोंग फुल हो उसकी स्पीच में
हर सांप्रदायिक हो उसकी रीच में
जिसके साथी हों, जो मजलूम को दबाए
हृष्ट पुष्ट समूह को और ऊपर उठाए

दबे हुए लोगों को बनाए अपना आसान टारगेट
महंगाई बढ़े, लगा दे विधायकों का मार्केट
अधूरी जिसकी राज में हर किसी की मांग हो
न्याय व्यवस्था जिसके राज में पूरी विकलांग हो

मीडिया भी जिसके लिए मदारी का बंदर हो
हर सोशल एक्टिविस्ट जेल के अंदर हो
हर संवेदना से वो कोसो दूर हो
जैसा भी हमारा नेता हो, उसमे ये सारे गुण भरपूर हों।

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