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‘ब्लड मैन ऑफ गिरिडीह’ के नाम से जाने जाते हैं रमेश यादव

'ब्लड मैन ऑफ गिरिडीह' के नाम से जाने जाते हैं रमेश यादव

झारखंड के गिरिडीह ज़िले में एक छोटा साइबर कैफे चलाने वाले रमेश यादव के परिवार का सामाजिक कार्यों से लगाव वर्षों से रहा है। पिछले 17 वर्षों से रमेश यादव खुद भी अन्य सामाजिक कार्यों सहित रक्तदान के क्षेत्र में एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुके हैं, जिसकी प्रेरणा उन्हें अपने परिवार से ही मिली है।

रमेश स्वयं साल भर में चार बार रक्तदान करते हैं और अन्य लोगों को भी प्रत्येक 90 दिन के बाद रक्तदान करने हेतु प्रेरित करते हैं। उनसे प्रेरित होकर करीब 1000 से ज़्यादा रक्तदाता प्रतिवर्ष तीन बार से ज़्यादा रक्तदान करते हैं।

रमेश यादव, ‘ब्लड मैन ऑफ गिरिडीह’

रमेश चौबीसों घंटे रक्तदान करवाने हेतु समर्पित भाव से प्रयासरत रहते हैं। इसके लिए वह समय-समय पर गिरीडीह ज़िले में रक्तदान कैंप का आयोजन करवाते रहते हैं। रक्तदान करने या करवाने की प्रेरणा कहां से मिली? इस बाबत पूछने पर रमेश कहते हैं कि मेरे घर के आसपास कई सारे अस्पताल हैं, जहां अक्सर किसी-ना-किसी मरीज़ के लिए रक्त की ज़रूरत पड़ती रहती है। 

 शुरुआत में ऐसी ही किसी ज़रूरत के लिए किसी व्यक्ति ने मुझसे संपर्क किया। उसकी मदद करके मुझे काफी अच्छा लगा। उसके बाद मैंने कुछ अन्य लोगों की भी मदद की और धीरे-धीरे रक्तदान की यह मुहिम मेरी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बनती चली गई।

आज गिरीडीह सहित झारखंड के अन्य राज्यों में भी अगर किसी को रक्त की ज़रूरत होती है, तो वे मुझसे संपर्क करते हैं। गिरीडीह के तो करीब 99 फीसदी मामले मेरे ही पास आते हैं। मुझे बेहद खुशी है कि मैं अपनी इस मुहिम के ज़रिये लोगों की जान बचा पा रहा हूं। 

 रक्तदाताओं को जोड़ने के लिए शुरू किया श्रेय क्लब

रमेश यादव ने अपने संपर्क के सभी रक्तदाताओं को एक प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए वर्ष 2003 में क्रिकेट टीम जूनियर स्टार क्लब  के नाम से एक सोशल मीडिया ग्रुप की शुरुआत की थी, बाद में इसका नाम बदल कर श्रेय क्लब कर दिया गया।

वर्ष 2016 में सोसायटी एक्ट के तहत श्रेय क्लब (shrey- सोसायटी फॉर ह्यूमैनिटेरियन एंड रिलीफ एफर्ट बाय यूथ) का रजिस्ट्रेशन हुआ। श्रेय क्लब के वॉलिंटियर्स युवा थैलेसीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया के 150 से ज़्यादा बच्चों को लगातार रक्त देकर उनकी ज़िन्दगी बचाने का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही एचआइवी, किडनी फेल्योर, गर्भवती महिलाओं तथा अन्य एनेमिक मरीज़ों को भी रक्त उपलब्ध कराते रहते हैं।

श्रेय क्लब

वर्तमान में श्रेय क्लब के फेसबुक पेज़ से 17,000 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जबकि अन्य व्हाट्सएप ग्रुप आदि से दो हज़ार से ज़्यादा कार्यकर्ता जुड़कर लगातार रक्तदान करते हैं। रमेश के अनुसार, वह इन सभी वॉलंटियर ब्लड डोनर्स का डाटा भी मेंटेन करते हैं।

वर्ष 2013 से अब तक रमेश कुल 7020 यूनिट रक्तदान करवा चुके हैं। हालांकि, वह ये काम 2003 से कर रहे हैं, लेकिन उसके पहले का डाटा उनके पास मेंटेन नहीं है। अपने प्रयासों ने रमेश हर दिन औसतन छह यूनिट ब्लड डोनेट करवा लेते हैं।

लॉकडाउन में भी अनलॉक रहा ब्लड डोनेशन का सफर

श्रेय क्लब के साहसी वॉलिंटियर्स के द्वारा कोरोना महामारी से उपजे हालात के बाद मार्च 2020 से जून 2021 तक लॉकडाउन के दौरान कुल 2686 यूनिट रक्त उपलब्ध कराया जा चुका है। इनमें थैलेसीमिया, किडनी फेल्योर और गर्भवती महिलाओं की संख्या सबसे ज़्यादा है।

रमेश की मानें, तो अपने रक्तदान मुहिम के लिए सोशल मीडिया से जुड़ने के बाद इस क्षेत्र में उनकी व्यस्तता काफी बढ़ गई है। इसकी वजह से उनका बिज़नेस भी काफी प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद भी वह अपने इस सामाजिक दायित्व के प्रति पूर्णत: प्रतिबद्ध हैं।

पिछले ही महीने रमेश की शादी हुई है। वह कहते हैं कि शादी से पहले ही मैंने अपनी भावी पत्नी को बता दिया था कि मेरी दिनचर्या क्या है? अगर वह उसके साथ एडजस्ट कर सकती है, तभी शादी के लिए हां कहे। मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि मेरी पत्नी मेरे सामाजिक दायित्व को समझती है और इसका सम्मान करती है। परिवार के अन्य लोगों का भी रमेश को पूरा समर्थन प्राप्त है।

रमेश यादव, ‘ब्लड मैन ऑफ गिरिडीह’

श्रेय समूह की विशेष उपलब्धियां

1 . गिरिडीह में मध्य प्रदेश से थैलेसीमिया पीड़ित दो बच्चियां 14 वर्षीया खुशी और 8 वर्षीया शाना गत कई वर्षों से लगातार आ रही हैं। इन दोनों बच्चियों को हर महीने रक्त चढ़ाया जाता है।

2 . देवघर ज़िले से 10 थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को श्रेय क्लब के वॉलिंटियर्स पिछले कई वर्षों से हर महीने रक्त की सहायता उपलब्ध करवा रहे हैं।

रमेश यादव, ‘ब्लड मैन ऑफ गिरिडीह’

3 . ज़िले के सभी ब्लॉक से ज़रूरतमंद रमेश यादव से संपर्क करते हैं और उन्हें रक्त उपलब्ध कराया जाता है।
4 . कोविड-19 से उपजे हालात में भी श्रेय क्लब के वॉलिंटियर्स निरंतर रक्तदान करते रहे और दूसरे लोगों को भी रक्तदान हेतु जागरूक करते रहे।
5 . लॉकडाउन के दौरान कुल 2686 यूनिट रक्त की ज़रूरत को पूरा कर चुके हैं। कुछ रक्तदाताओं ने तो 40 से 120 किलोमीटर दूर जाकर रक्तदान किया है।

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