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ऐसी व्यवस्था जो इन्सान को इन्सान नहीं मानती, इसी कारण ने मुझे नास्तिक बना दिया

ऐसी व्यवस्था जो इन्सान को इन्सान नहीं मानती, इसी कारण ने मुझे नास्तिक बना दिया

मेरा नाम जगपाल नास्तिक है और मै हरियाणा का रहने वाला हूं। मेरा बचपन रामायण, महाभारत जैसे सीरियल देखकर गुज़रा है, लेकिन मन में जानने की जिज्ञासा थी, क्योंकि बचपन से ही मुझे नई-नई चीज़ों के बारे में जानना अच्छा लगता था जैसे किसी में भूत-प्रेत का आना, शुभ मुर्हूत निकलवाओ नहीं, तो अशुभ होगा, राशिफल, क्या सच में आपको आपके भविष्य के बारे में पहले से ही बता देता है? आज ये होने वाला है?

मेरे नास्तिक बनने के मुख्य कारण

1. मेरे घर में, घरवाले मेरे बड़े भाई की शादी का शुभ मुहूर्त निकलवाने गए थे, तब पंडित जी बोले कि यह शादी ज़्यादा दिन तक नहीं चलेगी, लेकिन आज मेरे भाई की शादी को 4 साल हो गए हैं, लेकिन आज तक ऐसा नहीं लगा कि दोनों एक साथ नहीं रह सकते, शादी टूटने की बात तो बहुत दूर है। ऐसे दावा करने वाले पंडित जी सीधे लोगों को डराकर उनसे पैसे लूटते हैं, और जो इन सब चीज़ों में विश्वास करता है, वह तो अपनी मेहनत की कमाई लुटाएगा ही ना, क्योंकि उसके मन में तो शादी टूटने का यह डर बैठ ही जाएगा।

2. मेरी बड़ी बहन माता के व्रत करती थी, लेकिन शादी के 7 साल बाद ही उनका देहांत हो गया। उनकी दो छोटी-छोटी लड़कियां हैं। अगर सच में भगवान या माता है, तो उसे उन दो छोटी बच्चियों पर दया नहीं आई कि वो कैसे माँ बिन रह पाएंगी?

अब कुछ लोग बोलेगे यह तो पहले से ही तय था, तो धिक्कारता हूं मैं ऐसे ईश्वर पर जिन बच्चों को इस दुनिया में आए हुए महज़ तीन-चार साल ही हुए थे और भगवान ने उनकी माँ को उनसे छीन लिया। मैं इस घटना से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ और इसी कारण से मैं नास्तिक हुआ हूं। खैर, जैसे हमारे न्यायालयों द्वारा अपराधी व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाई जाती है, उससे तो यह सिद्ध होता है कि मृत्यु और जीवन ईश्वर के हाथों में नहीं है।

3. मैंने गौतम बुद्ध, ज्योतिबा फुले, भगत सिंह, डॉ. अंबेडकर, कार्ल मार्क्स, कबीर दास और ई.वी रामास्वामी पेरियार इत्यादि को भी पढ़ा है, इन सभी को पढ़कर भी मुझमें बदलाव आया है।

4. धर्म है, इसलिए समाज में जातिवाद है, क्योंकि वर्ण व्यवस्था पर ही हिन्दू धर्म टिका है, अगर हिन्दू धर्म से जाति के अवयव को हटा दिया जाए, तो कुछ बचेगा ही नहीं कोई बड़ा या छोटा कैसे रहेगा? तब तो सभी समान हो जाएंगे। ये जो आपके साथ समाज में जातिवाद होता है, यह किसकी देन है?

अगर कर्म के आधार पर है, तो आपका जिस जाति में भी जन्म हुआ है, वह आपकी जाति है। आप बिज़नेस करने लगे तो बनिया, अच्छा पढ़ लिए तो ब्राह्मण हो जाएंगे क्या? इन प्रश्नों के उत्तर मैंने खोजे, तो मैं खुद ही हिन्दू धर्म से अलग हो गया।

5. राजनीति भी धर्म का खूब प्रचार करती है, वोटों के लिए ना जाने कितने लोगों ने रोटी, कपड़ा, मकान अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को छोड़कर मंदिर-मस्जिद के लिए वोट दिया होगा। दूसरी तरफ, जो दंगे-फसाद होते हैं, वो भी धर्म की वजह से ही होते हैं। ज़रा सोचिए, अगर धर्म को साइड कर दिया जाए तो शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य पर वोट मांगना नेताओं की मज़बूरी बन जाएगी और ये सबसे अच्छी बात होगी।

6. भूतप्रेत और राशिफल व ढोंगी बाबाओं के बारे में आप गहराई से जानेंगे, तो आपको पता चलेगा कि ये लोग आपको कितना लूटते हैं और अपना मानसिक गुलाम बनाते हैं जैसे :-

भूतप्रेत

आपने अपने आप-पास कहीं ना कहीं या कभी-ना-कभी औरतों को लोटपोट होते हुए या सिर हिलाते हुए देखा होगा और वहां उपस्थित लोग बोलते हैं कि इसमें भूत- प्रेत (आत्मा) आ गया है, उनके अनुसार जो शख्स मरता है, अगर उसकी इच्छा पूरी ना हो तो उसे स्वर्ग या नरक नहीं मिलता है और फिर वह आत्मा बनकर भटकता है।

इच्छाएं कभी मनुष्य की ही नहीं वरन पशु-पक्षियों की भी पूरी नहीं होतीं, बल्कि ज़रूरतें पूरी होती हैं। आपने कभी सुना है कि किसी में पशु-पक्षियों का भूत आया है और दूसरी तरफ कभी आपने देखा है कि हरियाणा की महिला में अमेरिका, इटली, चीन इत्यादि स्थानों के भूत आए हैं या हरियाणा, बिहार, झारखंड इत्यादि स्थानों के भूत दूसरे देशों के लोगों मे आए हों, जो अलग भाषा बोलते हों, नहीं क्योंकि आप उतना ही सोचते हैं जितना आपके दिमाग में फिट बैठाया गया है।

राशिफल

राशिफल को मैं सबसे बकवास मानता हूं उदाहरण के लिए समझिए राम और रावण, कृष्ण और कंस की राशि एक थी। सभी जानते हैं कि कौन हारा या जीता? भला कैसे कोई एक ही वक्त पर कैसे जीत सकता है, क्योंकि राशि में तो जीतना तय लिखा है। इसका मतलब राशिफल सीधे-सीधे तौर पर गलत है, अगर राशिफल सही होता तो बेरोजगार, बीमार व्यक्ति, विपक्षी पार्टियों के नेता इत्यादि पहले ही जान लेते कि आगे क्या होने वाला है।

ढोंगी बाबा

ढोंगी बाबाओं की पहचान इस तरह से कर सकते हैं। ऐसे बाबाओं पर ज़्यादातर बलात्कार व मर्डर के आरोप लगते रहते हैं और न्यायालय में सिद्ध भी हुए हैं, बल्कि अब ये सब जेलों में भी हैं। इनमें आसाराम, राम रहीम, रामपाल इत्यादि शामिल हैं, ये वे ऐसे चेहरे हैं जिनके भक्त हज़ारों-लाखों में हैं। आपकी नज़रों में भी कुछ ऐसे बाबा होंगे जिनका काम आम जनमानस में अंधविश्वास फैलाना, धर्म ग्रंथों मे विज्ञान बताना इत्यादि होता है।

हमें उस व्यवस्था का अंत कर देना चाहिए, जो इन्सान को इन्सान नहीं मानती, जो अंधविश्वास, पाखंडवाद को बढ़ावा और वैज्ञानिक सोच का विरोध करती है।

2018 के बाद मैंने पूर्ण रूप से मंदिर जाना, पूजा-पाठ करना मतलब किसी भी धार्मिक कार्यक्रम मे जाना बंद कर दिया था। वैसे, मेरे घर वाले शुरु से ही आस्तिक रहे हैं, लेकिन वो सब मंदिर नहीं जाते और ना ही घर पर कोई पूजा-पाठ करवाते हैं।

नास्तिक बनने पर मेरे घर वालों की राय

जब मैंने मेरे पिताजी से कहा कि आज के बाद मैं किसी भी धार्मिक कार्यों मे भाग नहीं लूंगा, तो मेरी माँ ने यह कहा था कि अगर तुम्हें कुछ हो गया तो हमें मत कहना मतलब उन्हें डर था, किसी अदृश्य शक्ति का, लेकिन बाद में सब सही हो गया। एक बार तो मैं इतना बीमार हुआ कि मुझे अस्पताल में एडमिट होना पड़ा और उसके बाद बहुत से लोगों ने मुझसे कहा कि फला-ढ़िमका, छाड़ा लगवा लो आराम हो जाएगा, लेकिन मैंने जिद्द की कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं झाड़-फूंक नहीं करवाउंगा और मैं एक महीने में ही ठीक हो गया था।

मेरा अनुभव

जैसे किसी अपराधी को उम्र कैद की सजा सुनाई हो और उसे रिहा कर दिया जाए ऐसी ही मेरे अंदर है मतलब कि बिल्कुल आज़ाद इन धर्मों की गुलामी से, अब मैं यह नहीं देखता कि मंगलवार को नाखून नहीं काटने हैं, वीरवार को कपड़े नहीं धोने है, ना ही अब मैं बिल्ली के रास्ता काटने के बाद रूकता हूं, बल्कि अपनी ज़रूरतों के अनुसार काम करता हूं। अब मैं पहले की तरह इन सब पर अंधाधुंध विश्वास नहीं करता हूं। अब मैं केवल वही करता हूं, जो मानव समाज के लिए अच्छा हो।

मेरा लक्ष्य है लोगों को तर्कशील बनाना

बहुत से लोग अपने धर्म की कमियों पर इसलिए बात नहीं करना चाहते, क्योंकि वे सोचते हैं कि हमारा इस धर्म में जन्म हुआ है, लेकिन आप जिस भी धर्म में पैदा हुए हैं, उसकी आंतरिक कमियां आप से ज़्यादा और बेहतर कोई नहीं जान सकता है।

आपको सोशल मीडिया मिला है, इसका इस्तेमाल समाज में अन्य लोगों को जागरूक करने के लिए कीजिए। मैंने भी जब हिम्मत दिखाई थी, तो इसकी शुरुआत अपने घर से ही की थी। इसकी शुरुआत में तो आपको और परिवार वालों को यह बहुत अजीब लगेगा, लेकिन बाद मे आपको भी सुकून मिलेगा कि मैं जो कर रहा हूं, सही कर रहा हूं।

इसके लिए आप ज़्यादा-से-ज़्यादा किताबें पढ़ें और खुद पर पूर्ण विश्वास रखें। शुभ-अशुभ जैसा कुछ नहीं होता, जब किसी इन्सान का जन्म होता है, तो शुभ मूर्हूत देखकर नहीं होता ना ही मृत्यु शुभ-अशुभ मुहूर्त देखकर आती है, जो आपके विरोध में हैं, उनको जवाब देने के लिए आप खूब सारा अध्ययन कीजिए फिर अपना मत रखिए तर्क के माध्यम से यकीनन आप एक तर्कशील व्यक्ति बन जाएंगे।

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