Site icon Youth Ki Awaaz

हमारी बैंकिंग व्यवस्था की जनविरोधी नीतियां आम जनमानस के लिए एक बड़ी चुनौती है

हमारी बैंकिंग व्यवस्था की जनविरोधी नीतियां आम जनमानस के लिए एक बड़ी चुनौती है

कोरोना की दूसरी लहर ने हमारे पूरे देश भारत में त्राहिमाम मचा कर रख दिया है। कोरोना की दूसरी लहर पहले वाली से बेहद खतरनाक साबित हुई है। इस लहर में कई लोगों ने अपने पूरे परिवार को एक साथ अपने से दूर जाते हुए देखा है। कई बच्चों के ऊपर से उनके माता-पिता का साया छीन गया। यह कोरोना काल घरों में टिक्की, गोलगप्पे बनाते हुए नहीं, बल्कि अपनों को बचाने के लिए अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए भागते हुए बीता है।

लोगों का रोज़गार, तो पहले ही छिन गया था, लेकिन इस लहर में कई लोगों की ज़मीन तक इलाज कराने में बिक गईं। अब आते हैं मुद्दे की बात पर, तो मुद्दा कुछ इस तरह है। 

हर भारतीय गृहणी की तरह, मैंने भी अपने अकाउंट में बुरे समय के लिए कुछ सेविंग्स करके रखी थी। मेरी सेविंग्स ज़्यादा, तो नहीं थी, लेकिन ऐसे समय में जब लोगों के हाथों से नौकरी छिनती जा रही है। ऐसे में यह थोड़े से पैसे भी हमारे बहुत काम आते हैं। अपने यहां कहावत कही जाती है ना कि ‘बूंद-बूंद से ही सागर भरता है।’ 

कुछ इसी तरह मैं भी अपने ICICI Bank अकाउंट में पैसे जमा कर रही थी, लेकिन एक दिन मैं देखती हूं कि मेरे अकांउट में 1000 रुपये कम हो गए। ऐसा देखते ही मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। यह रकम कुछ ज़्यादा नहीं थी, लेकिन जब आपके पास जॉब नहीं होती है और आप बुरे दौर से गुज़र रहे होते हैं, तो 1000 रुपये भी लाख के बराबर होते हैं। पैसे कटने की जानकारी के लिए जब मैंने बैंक के कस्टमर केयर को कॉल किया तो, मैं उनकी बात सुनकर हैरान हो गई ! अब आप कहेंगे कि उन्होंने ऐसी कौन सी बात कह दी जिसे सुनकर, मैं इतनी ज़्यादा हैरान हो गई, तो उनका जवाब कुछ इस तरह था।

उन्होंने मुझे बताया कि नए नियम के मुताबिक, यदि व्यक्ति के अकाउंट में मिनिमम बैलेंस 10 हज़ार रुपये से कम होने पर 500 रुपये काट लिए जाएंगे। यह सुनकर मुझे बेहद हैरानी हुई कि 10 हज़ार कोई मामूली रकम नहीं है। 

यहां मैं अपने से उलट उन लोगों के बारे में सोचने लगी जिनकी कमाई महीने की 7 हज़ार रुपये या इससे ज़्यादा है, तो वह अपने मिनिमम बैलेंस को कैसे मेंटन रख पाएंगे? हर कोई सैलरी अकाउंट नहीं खुलवाता है।

प्राइवेट बैंक की ये मनमानी ऐसे समय में कई लोगों के लिए मुश्किल का सबब बनकर आई है। एसबीआई बैंक की पेनल्टी रकम काफी कम होती है, लेकिन इस बैंक में अकाउंट खोलना बहुत टेढ़ी खीर साबित होती है। प्राइवेट बैंक में अकाउंट खोलना चुटकी का काम होता है। कोई भी आसानी से इन बैंकों में अपना अकाउंट खुलवा सकता है। समय की कमी के कारण लोग इन बैंकों में अपना अकाउंट खुलवाते हैं, लेकिन समय की कमी के कारण इनके धन की बर्बादी हो रही है।

देश के तीसरे सबसे बड़े निजी बैंक ICICI बैंक (इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) को अपने ग्राहकों को बनाए रखने के लिए मिनिमम बैलेंस पर सोचने की ज़रूरत है। इस ​कठिनाई के समय में आप ग्राहकों से पैनेल्टी के रुपये में थोड़ा कम पैसा वसूलें। पिछले साल सरकार ने लॉकडाउन की समस्या को देखते हुए लोगों को मिनिमम बैलेंस रखने की बाध्यता में छूट दे दी थी। इस साल भी आम जनमानस के राहत के लिए ऐसी छूट की ही आवश्यकता है। 

Exit mobile version