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किसने कोरोना से हुई मौत छिपाई, कौन है जिम्मेदार

कोरोना महामारी विश्व में हर जगह तबाही मचाई हुई है वहीं अपने देश में भी कोरोना के नए वैरियेंट डेल्टा ने खलबली मचाते हुए लाखों लोगों को काल के गाल में समा लिया और इसके बाद से लोगो के मन में एक सवाल आज भी गुंज रहा है कि इस मौत का जिम्मेदार कौन है? सुप्रिम कोर्ट ने 30 जून को एक अहम फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया है कि जिनकी मौत कोरोना के कारण हुई है सरकार उनके परिवार को मुआवाजा दें हालांकि, ये मुआवाजा कितना होना चाहिए ये खुद सरकार को तय करना होगा पर मौत कितनी हुई है इसके आंकड़े किसी रहस्य से कम नहीं है।

क्या सरकार मौत के आकड़ों को छुपा रही है? आज मैं आपको बिहार के भोजपुर जिले के उदवंतनगर प्रखंड के छोटा सासाराम गांव के एक ऐसे परिवार से मिलाने जा रहा हूं जिसने इस कोरोना महामारी में अपना एकमात्र सहारा और अपने 28 साल के पति को खो दिया है और 2 साल की बच्ची के सिर से पिता का साया उठ चुका है। जिसका सब कुछ बर्बाद हो चुका है पर प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन इसके बाद भी ये मानने को तैयार नहीं है कि इसकी मौत कोरोना से हुई है।

खुशबू जिनके पति धीरज कुमार इस कोरोना काल में कोरोना के कारण काल के गाल में समा चुके है खुशबू के अनुसार उसके पति की मौत आरा सदर अस्पताल में इलाज के दौरान ही हुई। उनके पास सदर अस्पताल, आरा  से प्राप्त मृत्यु प्रमाणपत्र है जिसमें ये दर्शाया गया है कि मेरे पति की मौत कोरोना के कारण ही हुई है HRCT रिपोर्ट में भी कोरोना की पुष्टि हुई है फिर भी प्रशासन द्वारा जारी कोरोना मृतक की रिपोर्ट में मेरे पति का नाम दर्ज नहीं किया गया है। हमारी माली हालत इस समय खराब है पर सरकार के किसी भी अधिकारी ने आज तक मेरी सुध नहीं ली।

बिहार मे कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मौत के आकड़ें कितने भयावह थे इसका अंदाजा भोजपुर के महोली घाट पर दाह संस्कार का काम करने वाले डोमराजा के उस बात से लगाया जा सकता था कि एक शव की आग ठंडी होती  नहीं थी की दूसरी आ जाती थी जगह नहीं थे शव को जलाने के लिए अब जरा सोचिए इस कोरोना काल में किसी ने अपना पति किसी ने अपना बेटा तो किसी ने अपना भाई  खोया है। मुआवाजा कोई बड़ी बात नहीं है पर ये जानने का अधिकार हर किसी को है कि इस कोरोना काल में उसके सगे-संबंधियों की मौत इतने कम उम्र में आखिर हुई तो हुई कैसे?

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